मामलों की सुनवाई के लिए रविवार को भी बैठने को तैयार: गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरविंद कुमार

LiveLaw News Network

21 Oct 2021 11:46 PM GMT

  • मामलों की सुनवाई के लिए रविवार को भी बैठने को तैयार: गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरविंद कुमार

    गुजरात हाईकोर्ट के नवनियुक्त चीफ जस्टिस जस्टिस अरविंद कुमार ने कहा है कि मामलों की सुनवाई के लिए वह रविवार को भी अदालत आने के लिए तैयार हैं। चीफ जस्टिस ने कहा, "हम रविवार को भी आने के लिए तैयार हैं।"

    उन्होंने ये टिप्‍पणी तब कि जब एक वकील ने उनकी अदालत में आवास की मांग की। पीठ ने पहले मामले को 19 नवंबर को सूचीबद्ध किया था, हालांकि जब उन्हें बताया गया कि 19 नवंबर को छुट्टी है तो उन्होंने 20 नवंबर को मामले को फिर से सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। कोर्ट मास्टर ने उन्हें बताया कि 20 तारीख को शनिवार है। इस पर उन्होंने कहा कि 20 तारीख शनिवार है तो चीफ जस्टिस ने कहा कि वह रविवार को भी आने को तैयार हैं और वकील से पूछा कि क्या वह शनिवार (20 नवंबर) को आ रहे हैं। वकील ने कहा, हां मैं आ रहा हूं। जिसके बाद चीफ जस्टिस अरविंद कुमार ने भी आने के लिए सहमति दे दी। और कोर्ट की स्पेशल स‌िटिंग तय की गई।

    इसी प्रकार, एक अन्य मामले में चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस मौना एम भट्ट की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह शाम 7 बजे तक बैठक करने के लिए तैयार है।

    महत्वपूर्ण बात यह है कि एक अन्य मामले में जब सरकारी वकील ने स्थगन की मांग की तो चीफ जस्टिस कुमार ने कहा, "क्या आप जानते हैं कि पेंडिंग ब्रांच से कोर्ट में आने वाले एक मामले की कीमत क्या है? मैं रजिस्ट्रार (न्यायिक) के साथ यह पता लगाने के लिए गया था कि फ़ाइल कैसे यात्रा करती है। कोर्ट से पेंडिंग ब्रांच तक और वहां से कोर्ट तक आने वाली एक फाइल की लागत 5683.49 रुपये होगी।"

    चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने सोमवार, 18 अक्टूबर को जमीन हथियाने के कानून से जुड़े मामलों की रोजाना सुनवाई दिवाली की छुट्टी के ठीक बाद करने का फैसला किया था। सोमवार को ही चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पीठ ने अधिवक्ताओं द्वारा न्यायालय के समक्ष सिक नोट जमा करने पर चिंता व्यक्त की थी।

    चीफ जस्टिस ने कहा था, "अदालत द्वारा हर दिन अधिवक्ताओं से बहुत सिक नोट प्राप्त हो रहे थे और इसके लिए एक तंत्र विकसित करने की आवश्यकता थी।"

    चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस मौना एम. भट्ट की खंडपीठ ने कहा कि जब अदालत को सूचित किया गया था कि एक वकील ने दूसरे पक्ष की सहमति से एक सिक नोट दायर किया है और अनुरोध किया था कि मामले को किसी और दिन सूचीबद्ध किया जाए।

    इस पर चीफ जस्टिस अरविंद कुमार ने मौखिक रूप से कहा, "हर दिन इतने सारे स‌िक नोट दायर किए जा रहे हैं। कुछ विकसित करना होगा क्योंकि सभी उच्च न्यायालयों में, साल में 3 सिक नोट होते हैं या कुछ में... 10 दिन। हम आपके बार अध्यक्ष से पता लगाएंगे कि क्या हो सकता है।"

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