महिलाएं पुरुष मित्र के साथ मतभेद होने पर बलात्कार कानून को हथियार बना कर दुरुपयोग करती हैं: उत्तराखंड हाईकोर्ट
Brij Nandan
21 July 2023 1:25 PM IST
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रेप केस में आरोपी व्यक्ति के खिलाफ लंबित आपराधिक कार्यवाही रद्द की और कहा- कुछ महिलाएं पहले अपने पुरुष मित्रों के साथ होटल या कई अन्य जगहों पर जाती हैं, फिर मतभेद होने पर रेप के कानून को हथियार बना कर दुरुपयोग करती हैं। कानून का दुरुपयोग करने वाली महिलाओं को जेल भेजा जाना चाहिए।
जस्टिस शरद कुमार शर्मा की सिंगल बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि महिलाएं आईपीसी की धारा-376 के तहत रेप के अपराधी को दंडित करने वाले कानून को हथियार बना कर दुरुपयोग कर रही हैं।
पूरा मामला
साल 2005 में शिकायतकर्ता और आरोपी दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे। रिलेशनशिप में थे। दोनों ने एक-दूसरे से शादी करने का वादा भी किया। दशकों से दोनों ने एक-दूसरे के साथ शारीरिक संबंध बनाए।
इसके बाद आरोपी व्यक्ति ने किसी दूसरी महिला से शादी कर ली। शादी के बाद भी दोनों मिलते थे और शारीरिक संबंध बनाते थे। कुछ साल बीतने के बाद 2020 में, महिला ने अपने प्रेमी पर शादी के झूठे वादा कर शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया। रेप का केस दर्ज कराया। शिकायत पर आपराधिक कार्यवाही हुई। लंबित कार्यवाही को रद्द करने की मांग करते हुए आरोपी ने हाईकोर्ट का रूख किया।
कोर्ट ने क्या-क्या कहा वो भी जान लेते हैं।
कोर्ट ने कहा- महिला को पता था कि उसके प्रेमी की किसी दूसरी महिला से शादी हो चुकी है, फिर भी उसने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। इसका मतलब ये है कि दोनों ने सहमति से संबंध बनाए थे। कई सालों से दोनों के शारीरिक संबंध थे, लेकिन FIR दर्ज होने से पहले उसने कभी रेप की शिकायत तक नहीं की।
कोर्ट ने कहा कि शादी करने का वादा झूठा है या नहीं? इस सवाल को उस वादे की शुरुआत में ही रखना चाहिए ना कि बाद में।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ये आईपीसी की धारा 376 के तहत अपराध नहीं का मामला नहीं है। क्योंकि महिला को शादी की जानकारी थी, फिर भी शारीरिक संबंध बनाने में शामिल थी।
कोर्ट ने ये भी कहा कि आईपीसी की धारा 376 के तहत अपराध में कोर्ट को सावधानीपूर्वक जांच करनी चाहिए कि क्या आरोपी सच में पीड़िता से शादी करना चाहता था या झूठा वादा कर शारीरिक संबंध बनाना चाहता था।
कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ लंबित आपराधिक कार्यवाही रद्द करते हुए कहा- आरोपी के खिलाफ केस नहीं बनता है। महिला ने सहमति से शारीरिक संबंध बनाए थे।
केस टाइटल: मनोज कुमार आर्य बनाम उत्तराखंड राज्य एवं अन्य।
केस नंबर: आपराधिक विविध आवेदन क्रमांक 79 ऑफ 2021
फैसले की तारीख: 05 जुलाई, 2023
आवेदक के वकील: राज कुमार सिंह, अधिवक्ता
प्रतिवादियों के वकील: टी.सी. अग्रवाल, राज्य के डिप्टी ए.जी.; पंकज सिंह चौहान, निजी प्रतिवादी के वकील
फैसले को पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें: