राजस्थान हाईकोर्ट ने 17 वर्षीय दलित लड़की से बलात्कार, आत्महत्या के मामले में दोषी फिजिकल ट्रेनर इंस्ट्रक्टर की सजा निलंबित करने से इनकार किया
Shahadat
14 July 2023 4:25 AM GMT
Miner Girl Rape case
राजस्थान हाईकोर्ट ने उस फिजिकल ट्रेनर इंस्ट्रक्टर (पीटीआई) की सजा को निलंबित करने से इनकार कर दिया, जिसे 2021 में 17 वर्षीय छात्रा से बलात्कार और आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराया गया है।
जस्टिस विजय बिश्नोई और जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ ने कहा कि आरोपी आवेदक-अपीलकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर हैं और रिकॉर्ड पर उपलब्ध साक्ष्यों की सावधानीपूर्वक जांच करने के बाद वह उसे दी गई मूल सजा को निलंबित करने के इच्छुक नहीं है।
2016 में पीड़िता बीकानेर में अपने कॉलेज में मृत पाई गई थी, जिसके बाद उसके माता-पिता ने आरोप लगाया कि पीटीआई द्वारा उसके साथ बलात्कार किया गया। पीड़िता का शव उस संस्थान में पानी की टंकी में पाया गया था, जहां वह रहती थी।
ट्रायल कोर्ट ने 08 अक्टूबर, 2021 को संस्थान के प्रशिक्षक, प्रिंसिपल और वार्डन को आईपीसी, पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया।
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 363, 366, 376, 305 और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, प्रिंसिपल और वार्डन को 6 साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई गई।
आवेदक की ओर से पेश वकील ने कहा कि इस तथ्य को साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री उपलब्ध नहीं है कि उसने मृतक के साथ कोई अपराध किया, जबकि उसे पूरी जानकारी थी कि वह अनुसूचित जाति समुदाय से है।
आगे यह प्रस्तुत किया गया कि अभियोजन पक्ष के गवाह मृतक के पिता की गवाही केवल सुनी-सुनाई बातों पर आधारित है और आवेदक के खिलाफ किसी भी स्वतंत्र गवाह द्वारा इसकी पुष्टि नहीं की गई।
वकील ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष के अन्य गवाहों ने अभियोजन की कहानी का समर्थन नहीं किया और अपने बयान से मुकर गए। साथ ही उनकी क्रॉस एक्जामिनेशन में कुछ भी ठोस नहीं बताया जा सका।
दूसरी ओर, विशेष लोक अभियोजक ने प्रस्तुत किया कि अभियोजन पक्ष द्वारा ठोस और विश्वसनीय सबूत पेश करके आवेदक की भूमिका और मकसद को उचित संदेह से परे स्थापित किया गया।
आगे यह प्रस्तुत किया गया कि रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि आवेदक ने मृतक के साथ अपराध किया, जबकि उसे पूरी जानकारी थी कि वह अनुसूचित जाति समुदाय से है।
केस टाइटल: विजेंद्र सिंह बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य।
कोरम: जस्टिस विजय बिश्नोई और जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी
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