राजस्थान हाईकोर्ट ने कथित तौर पर आसाराम बापू के जीवन पर बनी फिल्म 'सिर्फ एक बंदा काफी है' की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार किया

Shahadat

27 May 2023 9:39 AM GMT

  • राजस्थान हाईकोर्ट ने कथित तौर पर आसाराम बापू के जीवन पर बनी फिल्म सिर्फ एक बंदा काफी है की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार किया

    राजस्थान हाईकोर्ट ने कथित तौर पर आसाराम बापू के जीवन पर आधारित फिल्म 'सिर्फ एक बंदा काफी है' की रिलीज पर रोक लगाने की अंतरिम अर्जी खारिज कर दी।

    जस्टिस डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी की पीठ ने कहा,

    "याचिकाकर्ता नंबर 2 (आसाराम बापू) से संबंधित कुछ भी सीधे तौर पर नहीं मिला है, जो इस अदालत को याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर स्थगन आवेदन में राहत देने के लिए राजी कर सके।"

    अदालत ने हालांकि कहा कि स्थगन आवेदन को खारिज करने से किसी भी पक्ष को रिट याचिका के अंतिम निस्तारण के समय गुण-दोष के आधार पर अपने कानूनी मुद्दों को उठाने से नहीं रोका जाएगा।

    याचिका बलात्कार के मामले में जेल में बंद आसाराम बापू और संत श्री आसाराम जी आश्रम चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी ओम प्रकाश लखानी ने दायर की। याचिका में आरोप लगाया गया कि आसाराम बापू के जीवन पर उनकी अनुमति के बिना फिल्म बनाई गई है और उन्हें नकारात्मक चरित्र में दिखाया गया है।

    एक्टर मनोज वाजपेयी फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं, जो अपूर्व सिंह कार्की द्वारा निर्देशित और Zee5 स्टूडियो और अन्य द्वारा निर्मित है।

    याचिका के अनुसार, फिल्म द्वारा आसाराम की प्रतिष्ठा और निजता के अधिकारों का उल्लंघन किया गया, जिसमें कथित तौर पर उन्हें "रावण" नामक खलनायक चरित्र के रूप में चित्रित किया गया है, जिसने जघन्य अपराध किए हैं।

    अंतरिम निषेधाज्ञा आवेदन का फैसला करते हुए अदालत ने कहा कि इसे सबसे पहले देखा जाना चाहिए कि प्रश्न में फिल्म के संबंध में "क्या याचिकाकर्ता द्वारा किसी भी अंतरिम निषेधाज्ञा की मांग करने के लिए कोई प्रथम दृष्टया मामला बनता है।"

    विचाराधीन फिल्म का ट्रेलर 5 मई को प्रसारित किया गया।

    बेंच ने कहा,

    "इसमें कुछ भी आसाराम से संबंधित नहीं है।"

    यह देखते हुए कि विचाराधीन फिल्म 23 मई को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर पहले ही रिलीज हो चुकी है, कोर्ट ने इस मौके पर कहा,

    "यदि कोई अंतरिम आदेश, जैसा कि यहां याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रार्थना की गई, विचाराधीन फिल्म के खिलाफ पारित किया जाता है तो इसका परिणाम फिल्म के प्रतिवादी-निर्माता को अनुचित और भारी वित्तीय नुकसान होगा।”

    जस्टिस पुष्पेंद्र ने कहा कि याचिकाकर्ता बाद में नुकसान और मानहानि के खिलाफ मुआवजे की मांग कर सकते हैं, अगर उनकी प्रतिष्ठा और गरिमा का कोई उल्लंघन होता है।

    अदालत ने रिट याचिका को आगे विचार के लिए जुलाई, 2023 के दूसरे सप्ताह में सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

    केस टाइटल: ओम प्रकाश लखयानी ट्रस्टी व अन्य बनाम भारत संघ और अन्य।

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




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