राजस्थान हाईकोर्ट ने बाल विवाह के साथी के साथ रहने के लिए माता-पिता के दबाव से सुरक्षा के लिए महिला को पुलिस से संपर्क करने के लिए कहा
Shahadat
15 Jun 2022 10:53 AM IST
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक ऐसी महिला की याचिका पर सुनवाई की, जिसका बाल विवाह किया गया और उसके माता पिता उसके बाल विवाह के साथी के साथ रहने के लिए महिला पर दबाव डाल रहे हैंं। महिला ने अब अलग रहने की इच्छा जताई और अदालत से गुहार लगाई कि उसके माता पिता को उक्त दबाव बनाने से रोका जाए और उसे सुरक्षा दी जाए। अदालत ने महिला को उचित सुरक्षा के लिए पुलिस अधीक्षक, जोधपुर (ग्रामीण) के समक्ष अभ्यावेदन दायर करने का निर्देश दिया।
महिला ने इस शिकायत के साथ अदालत का दरवाजा खटखटाया कि उसके माता-पिता उस व्यक्ति के साथ रहने के लिए दबाव बना रहे हैं जिसके साथ उसकी शादी हुई थी। शादी वक्त वह महज एक बच्ची थी। उसने तर्क दिया कि इस तरह की शादी अवैध है, क्योंकि वह प्रासंगिक समय पर विवाह योग्य उम्र की नहीं थी।
इसके अलावा, महिला ने अदालत को सूचित किया कि हालांकि वह अपनी पढ़ाई करना चाहती है, उसके परिवार के सदस्य उसे अपने काबू में ले लेंगे या जबरदस्ती उसके गांव ले जाएंगे और उसके आने-जाने पर रोक लगा देंगे, जिसके कारण वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाएगी।
जस्टिस दिनेश मेहता ने कहा,
"याचिकाकर्ता द्वारा व्यक्त की गई आशंका के संबंध में कि उसके माता-पिता और परिवार के सदस्य उसके जीवन और स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करेंगे, याचिकाकर्ता को उचित सुरक्षा के लिए पुलिस अधीक्षक, जोधपुर (ग्रामीण) के समक्ष अभ्यावेदन दायर करने के निर्देश के साथ वर्तमान याचिका का निपटारा किया जा रहा है ताकि वह जयपुर में अपनी परीक्षाएं दे सकें, जो 11.06.2022 से 06.07.2022 तक होने वाली हैं।"
अदालत ने आदेश दिया कि यदि महिला द्वारा ऐसा कोई अभ्यावेदन दिया जाता है तो पुलिस अधीक्षक, जोधपुर (ग्रामीण) कानून के अनुसार उस पर विचार करेंगे।
एडवोकेट नमन मोहनोत याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए जबकि पीपी महिपाल बिश्नोई प्रतिवादियों की ओर से पेश हुए
केस टाइटल: मनीषा विश्नोई बनाम राजस्थान राज्य और अन्य।
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (राज) 191
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