राजस्थान हाईकोर्ट ने मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण के फैसले को पलटा; आपत्तिजनक वाहन के बीमाकर्ता को विपरीत वाहन के बीमाकर्ता द्वारा किए गए भुगतान की प्रतिपूर्ति का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

7 Feb 2022 3:05 PM IST

  • राजस्थान हाईकोर्ट ने मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण के फैसले को पलटा; आपत्तिजनक वाहन के बीमाकर्ता को विपरीत वाहन के बीमाकर्ता द्वारा किए गए भुगतान की प्रतिपूर्ति का निर्देश दिया

    राजस्थान हाईकोर्ट ने मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण के निष्कर्षों को उलटते हुए, जिसने ट्रक चालक की 50% अंशदायी लापरवाही तय की थी, कार बीमा कंपनी को ट्रक बीमाकर्ता द्वारा किए गए भुगतान की प्रतिपूर्ति का निर्देश दिया है। ट्रक ने दावेदारों की कार को टक्कर मार दी थी।

    जस्टिस बीरेंद्र कुमार ने माना कि न्यायाधिकरण ने आक्षेपित आदेश में इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया कि ट्रक चालक की मृत्यु दुर्घटना से दो दिन पहले हो हो गई थी। ट्रक को पुलिस ने जब्त कर सड़क के किनारे खड़ा किया था। प‌िच रोड बिल्कुल खाली थी, इसके बावजूद दावदारों की कार ट्रक से टकरा गई।

    बेंच ने आदेश में कहा,

    "तदनुसार, आक्षेपित निर्णय को इस सीमा तक रद्द किया जाता है कि ट्रिब्यूनल ने प्रतिवादी संख्या 2 और 3 यानी ट्रक के मालिक और बीमाकर्ता पर मुआवजे का भुगतान करने के लिए दायित्व तय किया है। वास्तव में, दायित्व कार के मालिक और बीमाकर्ता पर था ...तदनुसार, उसे रद्द किया जाता है और यह आदेश दिया जाता है कि मुआवजे के भुगतान की पूरी देयता कार के मालिक और बीमाकर्ता की है। चूंकि कार का बीमा प्रतिवादी संख्या 12 के साथ था, इसलिए वह दावेदारों को देय संपूर्ण मुआवजे के भुगतान का उत्तरदायी है... यह बताया गया गया है कि अपीलकर्ता (ट्रक बीमाकर्ता) ने पहले ही दावेदार को 5,10,500 रुपये का भुगतान किया है। इसलिए, अपीलकर्ता प्रतिवादी संख्या 12 द्वारा प्रतिपूर्ति का हकदार होगा।"

    तथ्य

    अपीलकर्ता- न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ट्रक का बीमाकर्ता था। 24.12.2007 को तेज रफ्तार ट्रॉली से ट्रक टकरा गया, जिससे चालक रघुवीर सिंह की मौत हो गई। पुलिस ने क्रेन की मदद से क्षतिग्रस्त ट्रक को सड़क किनारे रखवा दिया। 26.12.2007 को प्रतिवादी संख्या 12- ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के साथ बीमाकृत चालक पवन कुमार अन्य लोगों के साथ कार चला रहा था।

    27.12.2007 को दर्ज एफआईआर से पता चला कि पवन कुमार 26.12.2007 को लापरवाही से कार चला रहा था। और उक्त ट्रक से पीछे से टकरा गया, जिससे पवन कुमार की मौत हो गई और अन्य घायल हो गए। जांच के बाद पुलिस ने पाया कि हादसा पवन कुमार की तेज रफ्तार और लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण हुआ। पीड़ित पवन कुमार के कानूनी प्रतिनिधि ने एमएसीटी, ब्यावर के समक्ष दावा पेश किया।

    ट्रिब्यूनल ने पाया कि उक्त दुर्घटना ट्रक की लापरवाही से पार्किंग के कारण हुई थी।‌ जिसके बाद ट्रिब्यूनल ने ट्रक पर 50% दायित्व और मृतक पर 50% अंशदायी लापरवाही तय की। 01.05.2012 को पारित आदेश से व्यथित होकर अपील दायर की गई।

    अदालत ने अपील को स्वीकार करते हुए, प्रतिवादी संख्या 12 को केवल इस सवाल पर नोटिस जारी किया कि क्या अपीलकर्ता-बीमा कंपनी को मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है या यह प्रतिवादी संख्या 12-ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी है, जिसे मुआवजे के भुगतान का दायित्व वहन करना है।

    परिणाम

    अदालत ने पाया कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ट्रक को उसके चालक या मालिक ने सार्वजनिक स्थान पर खड़ा किया था, बल्कि इस बात का पक्का सबूत है कि पुलिस ने ट्रक को क्रेन से खींचकर सड़क के किनारे खड़ा किया था और पिच रोड को आवाजाही के लिए पूरी तरह से मुक्त कर दिया था।

    कार सड़क के किनारे खड़े ट्रक से टकरा गई थी, जबकि सामने किसी भी प्रकार की बाधा नहीं थी। अदालत ने फैसला सुनाया कि दुर्घटना कार के तेज गति और लापरवाही से ड्राइविंग का नतीजा थी।

    अदालत ने कहा कि चूंकि प्रतिवादी संख्या 12 के साथ कार का बीमा किया गया था, इसलिए यह दावेदारों को देय संपूर्ण मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। अदालत ने कहा कि अगर पॉलिसी के नियमों और शर्तों का उल्लंघन होता है यानी कार के चालक के पास वाहन चलाने का कोई लाइसेंस नहीं है या बिना किसी उचित लाइसेंस के है, तो प्रतिवादी संख्या 12 दावेदार को पेमेंट के बाद कार मालिक से एक अलग कार्यवाही में वसूली के लिए सक्षम होगा।

    मामले में एडवोकेट प्रवीन जैन अपीलार्थी की ओर से पेश हुए, जबकि एडवोकेट ऋषिपाल अग्रवाल और जय प्रकाश गुप्ता उत्तरदाताओं की ओर से उपस्थित हुए।

    केस शीर्षक: न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, क्षेत्रीय प्रबंधक के माध्यम से बनाम बनाम श्रीमती कंचन देवी

    ‌सिटेशन: 2022 लाइव लॉ (राज) 55

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