सावरकर मानहानि मामले में राहुल गांधी के वकील ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए याचिका ली वापस

Shahadat

14 Aug 2025 1:17 PM IST

  • सावरकर मानहानि मामले में राहुल गांधी के वकील ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए याचिका ली वापस

    कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए, खासकर कथित "वोट चोरी" का "पर्दाफाश" करने के बाद, याचिका दायर करने के एक दिन बाद उनके वकील ने गुरुवार को उक्त याचिका वापस ले ली। स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट ने इस याचिका को रिकॉर्ड में लिया। अदालत वर्तमान में दक्षिणपंथी नेता विनायक सावरकर के खिलाफ उनकी टिप्पणियों को लेकर उनके खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि के मामले में सुनवाई कर रही थी।

    वकील मिलिंद पवार ने याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला था कि कैसे भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता आरएन बिट्टू ने गांधी को "आतंकवादी" कहा। साथ ही एक अन्य BJP नेता तरविंदर मारवाह ने भी खुली धमकी दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि गांधी को "अच्छा व्यवहार करना चाहिए, अन्यथा उनका भी अपनी दादी जैसा हश्र हो सकता है।"

    इसके अलावा, पवार ने इस मामले में शिकायतकर्ता सत्यकी के सावरकर और (नाथूराम) गोडसे परिवारों से संबंध और उनके प्रभाव का दुरुपयोग करने के तरीके पर प्रकाश डाला था।

    हालांकि, बुधवार को इस पर्सिस के दाखिल होने और मीडिया द्वारा इसकी रिपोर्ट किए जाने के कुछ ही घंटों के भीतर पवार ने एक नोट जारी कर कहा कि उन्होंने इस पर्सिस को दाखिल करने से पहले गांधी से सलाह नहीं ली थी।

    इस बारे में पवार ने लाइव लॉ को बताया,

    "मैंने यह पर्सिस खुद दाखिल की है, क्योंकि मैं इस मामले का वकील हूं और जानता हूं कि मुकदमा कैसे चलना चाहिए। मैंने इस बारे में अपने मुवक्किल से सलाह नहीं ली। लेकिन अब मुझे उक्त पर्सिस वापस लेने का निर्देश दिया गया है। मैं इसे कल (गुरुवार) वापस ले लूंगा।"

    इसलिए आज (गुरुवार) सुबह पवार ने स्पेशल कोर्ट में एक आवेदन दायर कर उक्त पर्सिस वापस लेने की अनुमति देने का आग्रह किया।

    पवार ने पुष्टि की,

    "अदालत ने बुधवार को मेरी पर्सिस को रिकॉर्ड पर लिया था। हालांकि, आज अदालत ने मुझे उक्त पर्सिस वापस लेने की अनुमति दे दी।"

    उल्लेखनीय है कि पर्सिस मामले में पवार ने सत्यकि के सावरकर और महात्मा गांधी की हत्या में नामित गोडसे परिवारों के वंश का उल्लेख करते हुए कहा,

    "शिकायतकर्ता के वंश से जुड़ी हिंसक और संविधान-विरोधी प्रवृत्तियों के प्रलेखित इतिहास और मौजूदा राजनीतिक माहौल को देखते हुए यह स्पष्ट, उचित और ठोस आशंका है कि गांधी को विनायक सावरकर की विचारधारा को मानने वाले लोगों द्वारा नुकसान पहुंचाया जा सकता है, गलत तरीके से फंसाया जा सकता है या अन्य प्रकार से निशाना बनाया जा सकता है।"

    पुर्सिस ने कहा कि गांधी को न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर पूरा भरोसा है, लेकिन यह ज़रूरी है कि मामले के आगे बढ़ने के साथ ही न्यायालय उनके आसपास की ताकतों, प्रभावों और असाधारण परिस्थितियों के प्रति पूरी तरह सचेत रहे।

    याचिका में कहा गया,

    "शिकायतकर्ता ने स्वयं महात्मा गांधी के हत्यारों के सहयोगियों से अपनी वंशावली होने का दावा किया। इस वंश से जुड़े गंभीर इतिहास को देखते हुए बचाव पक्ष को यह वास्तविक और उचित आशंका है कि इतिहास को खुद को दोहराने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि शिकायतकर्ता के वैचारिक पूर्वजों द्वारा अपनाई गई हिंदुत्व की विचारधारा ने कई मामलों में असंवैधानिक तरीकों से राजनीतिक सत्ता हासिल की है।"

    याचिका में आगे आरोप लगाया गया कि इस विचारधारा के अनुयायी जाति और धार्मिक आधार पर वैमनस्य फैलाने, चुनावी प्रक्रियाओं में हेराफेरी करने और गरीबों की कीमत पर कुछ उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए जाने जाते हैं।

    याचिका में आगे कहा गया,

    "गांधी, विपक्ष के नेता के रूप में अपनी संवैधानिक क्षमता में ऐसी नीतियों के खिलाफ खड़े हैं और गरीबों तथा हाशिए पर पड़े लोगों के लिए आवाज उठा रहे हैं। तदनुसार, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि जाति-आधारित अतिवादी, राजनीति से प्रेरित उद्योगपति, हिंदुत्व समर्थक और संवैधानिक शासन को कमजोर करने के इच्छुक लोग अभियुक्तों के प्रति वैमनस्य रखते हों।"

    इसलिए यह दावा किया गया कि इस बात की वास्तविक आशंका थी कि शिकायतकर्ता न्यायालय पर प्रभाव डालने के इरादे से मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों से अनुचित लाभ उठाने की कोशिश कर सकता है।

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