राहुल गांधी की टिप्पणियों का भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सावरकर के योगदान से कोई लेना-देना नहीं: सावरकर की पोती ने पुणे कोर्ट में बताया
Shahadat
26 Feb 2025 5:08 AM

दक्षिणपंथी नेता विनायक सावरकर की पोती सत्यकी सावरकर ने मंगलवार को स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट को बताया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा उनके दादा के खिलाफ कथित अपमानजनक भाषण का कोई ऐतिहासिक महत्व नहीं है। इसलिए उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सावरकर के योगदान पर ध्यान भटकाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
गौरतलब है कि गांधी ने 18 फरवरी को वकील मिलिंद पवार के माध्यम से आवेदन दायर किया, जिसमें उन्होंने बताया कि इस मामले में शिकायतकर्ता सत्यकी ने अपनी शिकायत में दावा किया कि सावरकर ने ब्रिटिश शासकों से भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया है। हालांकि, इस पर विवाद करते हुए गांधी ने अदालत से आग्रह किया कि मुकदमे को 'समन ट्रायल' में बदल दिया जाए, जिससे ऐतिहासिक तथ्यों के रिकॉर्ड मंगाए जा सकें।
मंगलवार को सत्यकी ने अपने वकील संग्राम कोलटकर के माध्यम से स्पेशल जज अमोल शिंदे के समक्ष गांधी की अर्जी पर अपना जवाब दाखिल किया और दावा किया कि गांधी द्वारा दिए गए भाषण का स्वतंत्रता संग्राम में उनके दादा के योगदान से कोई लेना-देना नहीं है।
सत्यकी के जवाब में लिखा,
"आरोपी जानबूझकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सावरकर के योगदान के बारे में अप्रासंगिक तर्क देकर मामले को भटकाने की कोशिश कर रहा है। आरोपी ने कुछ ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में मुद्दे उठाए हैं, जो इस मामले के मूल विषय से अप्रासंगिक हैं। मुख्य विवाद आरोपी द्वारा उल्लिखित कथित पुस्तकों के इर्द-गिर्द घूमता है, फिर भी आरोपी ने अपने दावों का समर्थन करने के लिए कहीं भी कोई ठोस सबूत नहीं दिया। इसके बजाय, वह वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाकर अनावश्यक देरी कर रहा है।"
जवाब में आगे लिखा,
"आरोपी या तो अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है या मामले की गंभीरता का ठीक से विश्लेषण करने में विफल रहा है। इसके अलावा, आरोपी ऐतिहासिक कोण देकर मामले को भटकाने की कोशिश कर रहा है, जबकि शिकायतकर्ता इस बात पर जोर दे रहा है कि मामला विशेष रूप से आरोपी द्वारा दिए गए अपमानजनक भाषण से संबंधित है। इस भाषण का कोई ऐतिहासिक महत्व नहीं है। इस तरह का तर्क केवल मामले को लंबा खींचने की एक चाल है, जो आरोपी की कार्यप्रणाली प्रतीत होती है, क्योंकि उसके खिलाफ कई मामले लंबित हैं।"
इसके अलावा, सत्यकी ने विशेष अदालत से गांधी को 'सख्ती से' निर्देश देने का आग्रह किया कि वह सावरकर के खिलाफ कोई भी बयान न दें जिससे उनकी छवि 'खराब' हो।
जवाब में आगे लिखा,
"आरोपी केवल सावरकर की छवि को खराब करने का प्रयास कर रहा है। इसलिए यह अनुरोध किया जाता है कि यह अदालत आरोपी को सख्त निर्देश दे कि वह मुकदमे की सुनवाई पूरी होने के दौरान सावरकर के प्रति अपनी व्यक्तिगत नाराजगी या बुरी भावनाओं को व्यक्त न करे।"
अपने जवाब में सत्यकी ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि गांधी के पास अपमानजनक टिप्पणी करने का 'दस्तावेज' इतिहास है।
जवाब में कहा गया,
"आरोपी के पास अपमानजनक टिप्पणी करने का प्रलेखित इतिहास है, जिसके कारण भारत में विभिन्न न्यायालयों में कई कानूनी कार्यवाही हुई। वह पहले भी इसी तरह के मामलों में शामिल रहा है, जिसमें गुजरात राज्य का विशिष्ट मामला भी शामिल है, जहां उसे दोषी ठहराया गया और दो साल की सजा सुनाई गई, जिसके परिणामस्वरूप उसे लोकसभा से अस्थायी रूप से अयोग्य घोषित कर दिया गया, जिस पर बाद में सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई। आरोपी की इस पृष्ठभूमि को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वह अपमानजनक बयान देने वाला एक आदतन अपराधी है।"
इसलिए सत्यकी ने अदालत से गांधी का आवेदन खारिज करने का आग्रह किया।
जवाब की कॉपी को रिकॉर्ड पर लेते हुए स्पेशल कोर्ट ने मामले की सुनवाई 19 मार्च को बहस के लिए स्थगित की।