राहुल गांधी नागरिकता विवाद | BJP कार्यकर्ता ने रायबरेली में वकीलों पर 'जान से मारने की धमकी' देने का आरोप लगाया, हाईकोर्ट ने मामला लखनऊ ट्रांसफर किया
Shahadat
19 Dec 2025 7:29 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ बेंच) ने बुधवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता और रायबरेली के सांसद राहुल गांधी के खिलाफ दायर आपराधिक शिकायत मामले को रायबरेली के एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट-IV की कोर्ट से लखनऊ की स्पेशल MP/MLA कोर्ट में तुरंत ट्रांसफर करने का निर्देश दिया।
जस्टिस बृज राज सिंह की बेंच ने इस तरह BJP कार्यकर्ता एस. विग्नेश शिशिर (मूल शिकायतकर्ता) द्वारा BNSS की धारा 447 के तहत दायर ट्रांसफर एप्लीकेशन को मंज़ूरी दी।
अपनी ट्रांसफर याचिका में शिशिर ने रायबरेली कोर्ट में तनावपूर्ण और हिंसक माहौल का ज़िक्र किया और आरोप लगाया कि उन्हें स्थानीय वकीलों और कांग्रेस नेता के समर्थकों ने धमकाया। इसलिए उन्होंने तर्क दिया कि वहां निष्पक्ष और बिना किसी भेदभाव के कोर्ट की कार्यवाही संभव नहीं है।
संक्षेप में मामला
शिशिर ने हाल ही में BNSS की धारा 173(4) के तहत आवेदन दायर किया था, जिसमें राहुल गांधी के खिलाफ यह दावा करते हुए FIR दर्ज करने की मांग की गई कि उनके पास ब्रिटिश नागरिकता है।
अपनी याचिका में उन्होंने यूनाइटेड किंगडम कंपनीज़ हाउस और यूके इलेक्टोरल रोल्स के रिकॉर्ड का हवाला दिया और रायबरेली सांसद के खिलाफ फॉरेनर्स एक्ट, पासपोर्ट एक्ट और ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग की। उनका दावा है कि उनके पास गांधी की ब्रिटिश नागरिकता के बारे में खास सबूत हैं।
उनकी ट्रांसफर याचिका के अनुसार, 5 दिसंबर, 2025 को जब वह रायबरेली कोर्ट परिसर में थे तो सौ से ज़्यादा स्थानीय वकील कोर्ट रूम के अंदर आ गए, उन्हें गाली दी और चिल्लाने लगे कि "वकील दिवस" के मौके पर लोकल बार द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसके कारण कोर्ट स्थानीय बार की अनुमति के बिना काम नहीं कर सकती।
हाईकोर्ट के आदेश में याचिकाकर्ता के दावों को विशेष रूप से दर्ज किया गया कि हालांकि उनके साथ हमेशा पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (PSO) होता है, कोर्ट के निर्देश के तहत स्थानीय वकीलों ने जबरदस्ती पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर को कोर्ट रूम से बाहर फेंक दिया, "शिकायतकर्ता/आवेदक की जान को नुकसान पहुंचाने/खतरे में डालने के छिपे हुए एजेंडे के साथ"।
हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार, उन्होंने आगे दावा किया कि उन्हें जान से मारने की धमकी मिली, क्योंकि गांधी ने वहां मौजूद लोगों को कोर्ट रूम के अंदर ही शिकायतकर्ता/आवेदक की जान को नुकसान पहुंचाने और इसे अज्ञात व्यक्तियों द्वारा की गई भीड़ की घटना बनाने का निर्देश दिया। दरअसल, उनकी याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि स्पेशल जज को कोर्टरूम में बन रहे हालात से बचाने के लिए पुलिस/गनर को उनके चैंबर तक ले जाना पड़ा।
इसके अलावा, उनके दावों के अनुसार, चूंकि नारेबाज़ी और विरोध प्रदर्शन और भी तेज़ हो गया, इसलिए स्पेशल जज ने मामले की सुनवाई बाद की तारीख तक के लिए टाल दी और अगली तारीख 12/12/2025 तय की गई।
सरकारी वकील वीके सिंह ने AGA राव नरेंद्र सिंह की मदद से यह कहा कि चूंकि यह केस ट्रांसफर करने की एप्लीकेशन है, इसलिए इसमें राज्य की कोई भूमिका नहीं है।
इन दलीलों के आधार पर हाईकोर्ट ने इस स्टेज पर राहुल गांधी को नोटिस जारी करने से यह देखते हुए मना कर दिया कि चूंकि FIR दर्ज करने का आदेश अभी तक पास नहीं हुआ, इसलिए दूसरी पार्टी अभी तक "पीड़ित व्यक्ति" नहीं है।
इसके अलावा, ट्रांसफर के मुख्य मुद्दे पर बात करते हुए हाईकोर्ट ने इस तरह ऑब्ज़र्व करते हुए याचिका को मंज़ूरी दी:
"ऊपर बताए गए तथ्यों को देखते हुए मुझे लगता है कि निष्पक्षता से आवेदन को रायबरेली ज़िले से लखनऊ ट्रांसफर किया जाना चाहिए।"

