राहुल गांधी-सावरकर मानहानि मामला: शिकायतकर्ता के आवेदन में कोई दम नहीं, इसे खारिज किया जाना चाहिए- पुणे कोर्ट

Shahadat

24 Sept 2025 7:28 PM IST

  • राहुल गांधी-सावरकर मानहानि मामला: शिकायतकर्ता के आवेदन में कोई दम नहीं, इसे खारिज किया जाना चाहिए- पुणे कोर्ट

    दक्षिणपंथी विचारक विनायक सावरकर के खिलाफ राहुल गांधी की टिप्पणियों से जुड़े मानहानि के मामले में पुणे स्पेशल सांसद/विधायक कोर्ट ने मंगलवार को उस आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें पुणे पुलिस को सावरकर के खिलाफ कांग्रेस नेता द्वारा दिए गए कथित अपमानजनक भाषण के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देने की मांग की गई थी, जिसका उसे यूट्यूब यूएसए से शुरू में इंतजार है।

    गौरतलब है कि शिकायतकर्ता सत्यकी सावरकर ने पिछले महीने एक आवेदन दायर कर स्पेशल सांसद/विधायक अदालत से पुणे पुलिस को वह रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देने का आग्रह किया था, जिसका उन्हें यूट्यूब यूएसए से इंतजार है। गांधी को लंदन में दिए गए उनके भाषण को हटाने के खिलाफ एक और निर्देश देने की मांग की गई, जिसे उन्होंने बाद में अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया था।

    हालांकि, स्पेशल जज अमोल शिंदे ने कहा कि मामले के शुरुआती चरण में सत्यकी ने स्वयं तर्क दिया कि यूट्यूब से प्राप्त जानकारी के संबंध में पुलिस द्वारा दिए गए कारण अप्रासंगिक हैं, क्योंकि उन्होंने समाचार पत्रों की कतरनें दाखिल की हैं, जो उनके अनुसार, इस उद्देश्य के लिए पर्याप्त हैं।

    स्पेशल कोर्ट ने कहा,

    "रिपोर्ट केवल मजिस्ट्रेट को यह निर्णय लेने में सहायता करने के लिए दाखिल की जाती है कि क्या प्रक्रिया जारी की जानी चाहिए। रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बाद जांच समाप्त हो जाती है। इसके बाद मजिस्ट्रेट को या तो CrPC की धारा 203 के तहत शिकायत खारिज करनी होती है या अभियुक्त के विरुद्ध प्रक्रिया जारी करनी होती है। इस मामले में मजिस्ट्रेट ने रिपोर्ट पर विचार करने के बाद अभियुक्त के विरुद्ध प्रक्रिया जारी की है। प्रक्रिया जारी होने के बाद CrPC की धारा 202 के तहत नई रिपोर्ट नहीं मंगवाई जा सकती।"

    जज ने कहा कि अब मामला शिकायतकर्ता के साक्ष्य का है। साथ ही कहा कि इस स्तर पर कोर्ट CrPC की धारा 202 के तहत कोई आदेश पारित करने के लिए पीछे नहीं हट सकता।

    अदालत ने कहा,

    "अब शिकायतकर्ता को अपने साक्ष्य प्रस्तुत करने होंगे और उचित संदेह के आधार पर अपना मामला साबित करना होगा। वह अभियुक्त के विरुद्ध साक्ष्य एकत्र करने के लिए अदालत के आदेश का लाभ नहीं उठा सकता। निजी शिकायत में पुलिस रिपोर्ट नहीं मंगवाई जा सकती।"

    जज ने ज़ोर देकर कहा कि इस स्तर पर गांधी को वीडियो हटाने से नहीं रोका जा सकता।

    जज ने कहा,

    "आरोपी की किसी भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर रोक नहीं लगाई जा सकती। शिकायतकर्ता ने कथित मानहानिकारक वीडियो की सीडी दाखिल की। अदालत मुकदमे के दौरान उस पर भरोसा कर सकती है। शिकायतकर्ता ने कथित मानहानिकारक वीडियो के बारे में विवरण रिकॉर्ड में दर्ज किया। इसलिए यह अदालत पाती है कि शिकायतकर्ता के आवेदन में कोई दम नहीं है। इसे खारिज किया जाना चाहिए।"

    यह उल्लेख करना अनुचित नहीं होगा कि गांधी ने अपने वकील मिलिंद पवार के माध्यम से उक्त आवेदन का विरोध किया, जिन्होंने बताया कि पुणे पुलिस ने स्पेशल कोर्ट के आदेश पर 19 जनवरी, 2024 को रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें भाषण की प्रतिलिपि, ईमेल, एक सीडी, दो गवाहों के बयान और केस डायरी शामिल थी। पवार ने तर्क दिया कि यह फाइनल रिपोर्ट है, क्योंकि इसी रिपोर्ट के आधार पर स्पेशल कोर्ट ने सत्यकी की शिकायत का संज्ञान लिया और फिर गांधी के खिलाफ समन जारी किया।

    पवार ने आगे बताया कि जनवरी, 2024 में ही सत्यकी ने सीडी, भाषण की प्रति, अखबार के कटआउट आदि सामग्री जमा करते हुए स्पेशल कोर्ट को बताया कि यूट्यूब से प्राप्त होने वाली जानकारी अप्रासंगिक होगी और अदालत ने उक्त दलील को रिकॉर्ड में भी दर्ज कर लिया था।

    जवाब में कहा गया,

    "अब उनका यह दावा करना पूरी तरह से असंगत और असमर्थनीय है कि पुलिस अधिकारियों की तकनीकी रिपोर्ट आरोपी के खिलाफ निर्णायक सबूत के रूप में काम करेगी। यह विरोधाभास स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि दुर्भावनापूर्ण इरादों और दबाव की रणनीति अपनाकर शिकायतकर्ता ने इस अदालत से आदेश प्राप्त करने की कोशिश की है।"

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