रैगिंग समानता के खिलाफ है: कलकत्ता हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी के छात्रों को घायल छात्रों के मेडिकल खर्च का भुगतान करने और सामुदायिक सेवा करने का आदेश दिया

Shahadat

23 May 2022 5:09 AM GMT

  • रैगिंग समानता के खिलाफ है: कलकत्ता हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी के छात्रों को घायल छात्रों के मेडिकल खर्च का भुगतान करने और सामुदायिक सेवा करने का आदेश दिया

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को यूनिवर्सिटी के छात्रों को घायल छात्रों के इलाज का भुगतान करने और इस तरह के कृत्यों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए स्कूली छात्रों को पढ़ाने की सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया।

    जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य ने कहा,

    "याचिकाकर्ताओं ने स्वीकार किया कि यूनिवर्सिटी के शांतिपूर्ण वातावरण को अव्यवस्थित किया। याचिकाकर्ताओं और कुछ अन्य लोगों ने अनपढ़ लोगों के समूह की तरह काम किया और खुद को इस तरह से संचालित किया, जैसी छात्र से अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। रैगिंग समानता के अधिकार के खिलाफ है और छात्रों की गरिमा और आत्म-सम्मान के विरोधी हैं, खासकर जब यह शारीरिक और अपमानजनक रूप लेती है। रैगिंग से साथी-छात्र का मानसिक और शारीरिक शोषण होता है। इसके अलावा, शैक्षणिक संस्थान में हिंसा और बर्बरता के कृत्यों के लिए कोई संभावित बहाना नहीं है।"

    यूनिवर्सिटी द्वारा जारी किए गए 22 फरवरी, 2022 के निष्कासन के नोटिस पर रोक लगाने और बी.टेक में आठवें सेमेस्टर की परीक्षा देने की अनुमति के लिए वर्तमान याचिका दायर की गई थी। उक्त छात्रों के चश्मदीदों के बयान, सीसीटीवी फुटेज और यूनिवर्सिटी की एंटी रैगिंग कमेटी की जांच के आधार पर निष्कासन का नोटिस जारी किया गया था।

    रिकॉर्ड का अवलोकन करते हुए न्यायालय ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि याचिकाकर्ताओं ने उक्त कृत्यों के अंजाम दिया है और याचिकाकर्ताओं के अभिभावकों को आक्षेपित नोटिस जारी करने से पहले याचिकाकर्ताओं को सुनवाई का मौका दिया गया।

    कोर्ट ने आगे कहा कि प्रतिरोध के रूप में कुछ उपाय किए जाने चाहिए ताकि भविष्य में यूनिवर्सिटी के किसी भी छात्र द्वारा इस तरह के कृत्यों की पुनरावृत्ति न हो। आगे यह देखा गया कि याचिकाकर्ताओं को यूनिवर्सिटी की संपत्ति को हुए नुकसान और यूनिवर्सिटी द्वारा वहन किए जाने वाले अन्य खर्चों सहित किए गए गलत काम की भरपाई की जानी चाहिए।

    तदनुसार, अदालत ने याचिकाकर्ताओं को कुछ घायल छात्रों के इलाज के लिए यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए अस्पताल में किए गए खर्च का भुगतान करने का निर्देश दिया।

    इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं को सामुदायिक सेवा करने का निर्देश देते हुए न्यायालय ने आगे कहा,

    "याचिकाकर्ता बारासात के सदाईपुर प्राथमिक विद्यालय और सुभाषनगर एफपी स्कूल, कोकापुर स्कूलों में छात्रों को 12 सप्ताह तक सप्ताह में दो दिन और प्रत्येक चार घंटे पढ़ाने की सामुदायिक सेवा भी करेंगे। सामुदायिक सेवा आठवें सेमेस्टर की परीक्षा के अंतिम पेपर के दिन शुरू होगी और उसके बाद 12 सप्ताह तक बिना किसी रुकावट के जारी रहेगी।"

    कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को यूनिवर्सिटी में 12 सप्ताह की सामुदायिक सेवा की अवधि के दौरान स्कूली छात्रों की ली गई कक्षाओं और शिक्षण की गुणवत्ता पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया। संबंधित स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को यह प्रमाणित करने का भी निर्देश दिया गया कि याचिकाकर्ताओं ने निर्देशानुसार सेवा की है या नहीं।

    आगे यह भी निर्देश दिया गया कि यूनिवर्सिटी द्वारा आदेश की तारीख से 48 घंटे के भीतर अस्पताल में भर्ती शुल्क और अन्य खर्चों की प्रतिपूर्ति की जानकारी याचिकाकर्ताओं को दी जाएगी और इस तरह का भुगतान उस तारीख से 72 घंटे के भीतर किया जाना चाहिए, जिस दिन याचिकाकर्ताओं को आरोपों से अवगत करा दिया गया है।

    हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश देकर अपनी सेमेस्टर परीक्षा देने की अनुमति दी,

    "याचिकाकर्ताओं को परीक्षा देने के उद्देश्य के अलावा यूनिवर्सिटी में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जैसा कि ऊपर निर्देशित किया गया है। अध्ययन सामग्री और अन्य सभी परीक्षा सहायता याचिकाकर्ताओं को प्रदान की जाएंगी ताकि याचिकाकर्ताओं को किसी भी तरह से असुविधा न हो। याचिकाकर्ताओं के माता-पिता / परिवार के सदस्य यूनिवर्सिटी से अध्ययन सामग्री एकत्र करेंगे।"

    यूनिवर्सिटी इस न्यायालय को सूचित करने के लिए स्वतंत्र होगा यदि याचिकाकर्ता ऊपर दिए गए निर्देशों का कोई उल्लंघन करते हैं। तदनुसार, कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को यह सुनिश्चित करने का आदेश देते हुए याचिका का निपटारा किया कि परीक्षा देते समय यूनिवर्सिटी के शांतिपूर्ण शैक्षणिक माहौल में कोई व्यवधान न हो।

    केस टाइटल: कनिष्क रॉय और अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य

    केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (Cal) 199

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