NDPS Act: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अभियोजन की कहानी 'मनगढ़त और फर्जी' बताने वाले ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, ट्रायल कोर्ट ने कहा था- साक्ष्य मे विसंगतियां हैं

Brij Nandan

13 July 2022 10:15 AM GMT

  • NDPS Act: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अभियोजन की कहानी मनगढ़त और फर्जी बताने वाले ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, ट्रायल कोर्ट ने कहा था- साक्ष्य मे विसंगतियां हैं

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab & Haryana High Court) ने एनडीपीएस अधिनियम (NDPS Act) की धारा 20 के तहत दर्ज मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ चंडीगढ़ के यूटी प्रशासन द्वारा दायर अपील पर विचार करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट ने सही कहा है कि अभियोजन पक्ष के गवाह विश्वसनीय नहीं हैं और मुहर, नमूने, दस्तावेज आदि से छेड़छाड़ की गई है।

    ट्रायल कोर्ट ने यह टिप्पणी की थी कि रिकॉर्ड पर साक्ष्य पुलिस स्टेशन में बैठकर तैयार किए गए प्रतीत होते हैं और अभियोजन की कहानी 'मनगढ़ंत' और 'नकली' है।

    फैसले को बरकरार रखते हुए जस्टिस विनोद एस भारद्वाज की पीठ ने टिप्पणी की,

    "न्यायाधीश, विशेष न्यायालय, चंडीगढ़ द्वारा उल्लिखित कारणों पर विचार करने पर, यह स्पष्ट है कि ट्रायल कोर्ट द्वारा सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर विधिवत विचार किया गया है। इस प्रकार न्यायालय द्वारा दर्ज किए गए निष्कर्षों को बरकरार रखा जाता है।"

    आरोप है कि पुलिस पार्टी को देख आरोपी पीछे हट गया। इसके बाद उसे पकड़ लिया गया और उसके पास रखे टिफिन से 220 ग्राम चरस बरामद की गई।

    ट्रायल कोर्ट ने कहा कि पेट्रोलिंग पार्टी के सदस्यों और एसएचओ के सबूतों से यह स्पष्ट है कि सील का ठीक से इस्तेमाल नहीं किया गया था और सील के उपयोग के संबंध में साक्ष्य विसंगतियां हैं, जो अभियोजन के मामले को अत्यधिक संदिग्ध बनाती हैं। इसने पुलिस द्वारा दिए गए बयानों में कई विरोधाभासों का भी हवाला दिया।

    हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों पर विधिवत विचार किया और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि उनके साक्ष्य में कई विसंगतियां हैं।

    इसके अलावा यह नोट किया गया कि अभियोजन पक्ष संदेह से परे अपराध को साबित करने में विफल रहा है और वह जो कुछ भी पेश कर सकता है वह संदिग्ध परिस्थितियों से ग्रस्त है।

    इसके अलावा, अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष की कहानी में विश्वसनीयता जोड़ने के लिए कोई स्वतंत्र गवाह पेश नहीं किया गया। पुलिस अधिकारियों की गवाही भी बड़े विरोधाभासों से ग्रस्त है।

    अतिरिक्त पी.पी. यूटी भी यह दिखाने के लिए कोई सबूत पेश नहीं कर सका कि ट्रायल कोर्ट द्वारा दर्ज किए गए निष्कर्ष साक्ष्य के गलत मूल्यांकन से ग्रस्त हैं या कानून की स्थापित स्थिति की अवहेलना में हैं।

    इसलिए, अदालत ने कहा कि आक्षेपित फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तद्नुसार, वर्ताम अपील खारिज की जाती है।

    केस टाइटल: स्टेट ऑफ यू.टी. चंडीगढ़ बनाम शंकर

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