पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का कथित सैनिटरी नैपकिन आपूर्ति घोटाले में नारनौल रेड क्रॉस सोसाइटी के सचिव के खिलाफ एफआईआर रद्द करने से इनकार

Shahadat

16 May 2023 3:46 AM GMT

  • पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का कथित सैनिटरी नैपकिन आपूर्ति घोटाले में नारनौल रेड क्रॉस सोसाइटी के सचिव के खिलाफ एफआईआर रद्द करने से इनकार

    Punjab & Haryana High Court

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने रेडक्रॉस, नारनौल के सचिव और उनकी बेटी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को खारिज करने से इनकार कर दिया। यह कहा जाता है कि सचिव ने अपनी बेटी के पक्ष में कॉलेजों को सैनिटरी नैपकिन आपूर्ति आदेश प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल की पीठ ने कहा,

    "मामले के तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता के संबंध में यह न्यायालय पाता है कि याचिकाकर्ता नंबर 2 की बेटी के स्वामित्व वाली फर्म को आदेश देने की प्रक्रिया में कई अनियमितताएं हुई हैं, जो जाहिर तौर पर याचिकाकर्ता नंबर 1 की बेटी और याचिकाकर्ता नंबर 2 को अनुचित पक्ष देने के लिए किया गया।

    याचिका पिता और बेटी द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 409,420, 467, 468, 471, 120-बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(सी), 13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) के तहत दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की गई।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि विचाराधीन लेख विधिवत वितरित किए गए, लेकिन अदालत ने कहा कि एसडीएम की रिपोर्ट के अनुसार, रेड क्रॉस के ऑफिस में बनाए गए स्टॉक रजिस्टर में ऐसी कोई डिलीवरी दर्ज नहीं की गई।

    अदालत ने कहा,

    "यह भी कहा गया कि कॉलेजों से पूछताछ करने पर उन्होंने लेख प्राप्त करने की बात स्वीकार की, लेकिन यह भी कहा गया कि उक्त कॉलेजों के पास ऐसा कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।"

    यह देखते हुए कि "विभिन्न पूर्व-आवश्यकताओं की चूक", "17 लाख रुपये का अग्रिम भुगतान" किया गया और "एकल हस्ताक्षर" अनुमोदन पर अनुमति दी गई, अदालत ने कहा कि यह दर्शाता है कि "संबंधित विभाग अवार्ड अनुबंध और भुगतान करने के लिए बहुत उत्सुक है।”

    इसने आगे कहा,

    "बिलों में बहुत सी कटौती हैं, जो फिर से संबंधित सभी लोगों के आचरण पर संदेह पैदा करती हैं।"

    अदालत ने कहा कि एफआईआर में बताए गए तथ्य प्रथम दृष्टया अपराध का खुलासा करते हैं।

    अदालत ने कहा,

    "किसी भी मामले में तथ्य इस प्रारंभिक चरण में एफआईआर रद्द करने के लिए सीआरपीसी की धारा 482 के तहत शक्तियों के आह्वान का नहीं करते हैं।”

    केस टाइटल: मनोरंजन शर्मा व अन्य बनाम हरियाणा राज्य व अन्य

    प्रतिनिधित्व: याचिकाकर्ताओं की ओर से निशांत अरोड़ा के साथ वकील गौरव मोहंता।

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