पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कथित तौर पर बाल विवाह कराने के लिए 'पंडित' की खिंचाई की

Shahadat

10 Oct 2023 7:49 AM GMT

  • पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कथित तौर पर बाल विवाह कराने के लिए पंडित की खिंचाई की

    Punjab & Haryana High Court

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने उस पंडित पर कड़ी कार्रवाई की, जिसने कथित तौर पर उम्र की पुष्टि किए बिना और हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन किए बिना बाल विवाह कराया था।

    सुखविंदर सिंह और अन्य बनाम पंजाब राज्य और अन्य में हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार, पंजाब, हरियाणा और यू.टी. चंडीगढ़ में मंदिर के सभी पंडित, मस्जिद के मौलवी, गुरुद्वारा के ग्रंथी और गिरजाघर के पादरी वर्ष के हर तीन महीने के बाद उस क्षेत्र पर अधिकार क्षेत्र वाले एसएचओ के समक्ष काउंटर-फाइल के साथ अपना रजिस्टर पेश करने का निर्देश दिया गया, जहां ऐसे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरजाघर स्थित हैं और निरीक्षण के बाद पक्षकारों की उम्र के सत्यापन के लिए संबंधित एसएचओ द्वारा को इसे वापस लौटाने का निर्देश दिया गया।

    जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान ने कहा,

    ''पहली नजर में विवाह कराने वाला पंडित उपरोक्त निर्देशों का पालन करने में विफल रहा है। उसके द्वारा दिखाए गए रिकॉर्ड से पता चलता है कि सत्यापन के संबंध में स्थानीय क्षेत्र के एसएचओ की कोई मुहर नहीं है। समय-समय पर यह पता लगाने के लिए कि कोई बाल विवाह हुआ है या नहीं।''

    कोर्ट ने कहा कि पुलिस सुरक्षा की मांग करने वाले जोड़े ने यह साबित करने के लिए फर्जी दस्तावेज पेश किए कि लड़की बालिग है।

    अदालत ने कहा,

    "यहां तक कि जो पंडित रिकॉर्ड लेकर आया है, उसने अपने रिकॉर्ड में कहीं भी (लड़की की) जन्मतिथि नहीं दर्शाई है। ऐसा प्रतीत होता है कि बिना किसी दस्तावेज के सत्यापन के उसने केवल अपनी फीस लेने के लिए कथित विवाह कराया है।"

    अदालत ने पंचकुला के पुलिस आयुक्त को नाबालिग लड़की की कथित शादी के प्रदर्शन के संबंध में मामले को देखने का निर्देश दिया।

    ये टिप्पणियां नाबालिग लड़की के पिता द्वारा एसएचओ के खिलाफ दायर अवमानना याचिका में की गईं। नाबालिग लड़की ने कथित तौर पर अपने माता-पिता से पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए 27 साल के लड़के से शादी कर ली थी।

    याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि बर्थ सर्टिफिकेट के अनुसार, लड़की की जन्म तिथि 08.02.2007 है और यहां तक कि आधार कार्ड में भी वही जन्म तिथि दर्शाई गई है।

    यह भरोसा हेडमास्टर, सरकारी हाई स्कूल, मुल्लांवाल, गुरदासपुर द्वारा दिनांक 30.08.2023 को जारी सर्टिफिकेट पर किया गया, जिसमें सरकारी स्कूल के रिकॉर्ड के अनुसार लड़की की जन्म तिथि भी 08.02.2007 दिखाई गई है।

    न्यायालय ने कहा कि ये दोनों दस्तावेज़ वास्तविक दस्तावेज़ प्रतीत होते हैं और सुरक्षा याचिका में दम्पति द्वारा जिस आधार कार्ड पर भरोसा किया गया कि वह "झूठा दस्तावेज़" है, उस व्यक्ति के बारे में तो बिल्कुल भी टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए, जिसने अनुवाद किया है, जिसमें जन्म तिथि अंकित है और जिसे 07.08.2002 के रूप में दिखाया गया है। यह आधार कार्ड का सही अनुवाद नहीं है।

    पीठ ने कहा कि पिछले आदेश के अनुपालन में गुरदासपुर (ग्रामीण) के पुलिस डिप्टी सुपरिटेंडेंट की ओर से हलफनामा अदालत में दायर किया गया, जिसे रिकॉर्ड पर लिया गया। इसमें कहा गया कि जांच की गई और बर्थ सर्टिफिकेट के अनुसार, लड़की की उम्र 08.02.2007 है और वह कम उम्र की होने के कारण पंडित के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जा रही है।

    इसमें आगे सुखविंदर सिंह और अन्य बनाम पंजाब राज्य और अन्य का उल्लेख किया गया, जहां न्यायालय ने पंजाब, हरियाणा और यू.टी. क्षेत्र में बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए चंडीगढ़ में पुजारियों, मौलवियों, पिताओं को कई निर्देश जारी किए।

    अदालत ने पंचकुला के पुलिस आयुक्त को लड़की की कथित शादी के प्रदर्शन के संबंध में मामले को देखने का निर्देश दिया, जो बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत निषिद्ध है।

    मामले को 12 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध करते हुए इसने एसएचओ और महिला हेड कांस्टेबल को बच्ची को वापस लेने और उसके पिता के आवास पर छोड़ने का निर्देश दिया।

    अपीयरेंस: शाम लाल साहा, वकील और राजेंद्र कुमार, याचिकाकर्ता के वकील और मोनू कौशिक (पंडित) के वकील विक्रम श्योराण।

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