'इस तरह व्यवहार नहीं कर सकते': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने नई मां बनी महिला को पति के कार्यस्थल से दूर ट्रांसफर करने के लिए राष्ट्रीयकृत बैंक की खिंचाई की
Shahadat
14 Oct 2023 1:25 PM IST
पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय ने अपने कर्मचारी को पति के कार्यस्थल से दूर ट्रांसफर करने के लिए बैंक ऑफ इंडिया की खिंचाई की। कोर्ट ने कहा कि बैंक को "उस तरीके से व्यवहार नहीं करना चाहिए, जिस तरह से उन्होंने विवाहित महिला के साथ व्यवहार किया है, जिसके कुछ महीने का बच्चा हुआ है।" इसके साथ ही नीति का उल्लंघन किया और फिर उसका इस्तीफा स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
चंडीगढ़ में बैंक की महाप्रबंधक चांदनी को बीमार छुट्टी पर रहते हुए राजकोट, गुजरात ट्रांसफर कर दिया गया। उनका कुछ महीने का बच्चा है और उनके पति चंडीगढ़ में रहते है। उन्होंने राजकोट में ड्यूटी ज्वाइन करने में असमर्थता जताते हुए अपना इस्तीफा सौंप दिया था। हालांकि, इस्तीफा अस्वीकार कर दिया गया और उन्हें राजकोट में ड्यूटी ज्वाइन करने और फिर इस्तीफा देने के लिए कहा गया। इसके बाद बैंक ने ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के लिए विभागीय जांच शुरू की।
जस्टिस जगमोहन बंसल ने कहा,
"बैंक द्वारा अपनाया गया दृष्टिकोण कठोर, पांडित्यपूर्ण और अत्यधिक तकनीकी प्रतीत होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारियों ने बहुत ही यांत्रिक और क्रूर तरीके से काम किया। इस मामले से निपटने वाले अधिकारियों का आचरण अच्छा होना चाहिए। प्रतिवादी-बैंक को उस तरह से व्यवहार नहीं करना चाहिए जिस तरह से उन्होंने कुछ महीनों के बच्चे वाली विवाहित महिला के साथ व्यवहार किया है।"
कोर्ट ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता ने इस्तीफे की पेशकश की, क्योंकि उसके लिए राजकोट में शामिल होना असंभव था।
कोर्ट ने कहा,
"उत्तरदाताओं का यह रुख कि याचिकाकर्ता को इस्तीफा दाखिल करने से पहले राजकोट में ड्यूटी जॉइन करना आवश्यक है, पूरी तरह से निराधार है, जबकि इसे मुख्य कार्यालय द्वारा स्वीकार किया जा सकता है।"
महिला ने बैंक को इस्तीफा स्वीकार करने का निर्देश देने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उसके वकील ने तर्क दिया कि उसके खराब स्वास्थ्य और कुछ महीनों का बच्चा होने के कारण वह राजकोट में शामिल नहीं हो सकी और बार-बार प्रतिवादियों से ट्रांसफर आदेश रद्द करने का अनुरोध किया। आगे यह भी कहा गया कि ट्रांसफर पॉलिसी के पैरा 2.5 के अनुसार, विवाहित महिला को पति के कार्यस्थल पर या उसके आसपास रखा जाएगा।
दूसरी ओर, बैंक के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने राजकोट में इस्तीफा जमा नहीं किया है, इसलिए उसका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जा सकता।
दलीलों पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा,
"यह निर्विवाद तथ्य है कि प्रतिवादी-बैंक राष्ट्रीयकृत बैंक है, जिसकी देश भर में शाखाएं हैं। ऐसा मामला नहीं है कि याचिकाकर्ता को प्राधिकरण/विभाग से दूसरे प्राधिकरण/विभाग में ट्रांसफर कर दिया गया है। यह ऐसा मामला है, जहां याचिकाकर्ता को उसी बैंक की एक शाखा से दूसरी शाखा में ट्रांसफर कर दिया गया है।"
कोर्ट ने टिप्पणी की,
'यह सर्वविदित तथ्य है कि हमारे देश में सरकारी नौकरी पाना बहुत मुश्किल है, ऐसे में यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि कोई अपनी मर्जी से इस्तीफा दे रहा है।'
पीठ ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता का ट्रांसफर "इस तथ्य को नजरअंदाज करते हुए किया गया कि वह विवाहित महिला है, उसका पति चंडीगढ़ में कार्यरत है और ट्रांसफर की तारीख से कुछ महीने पहले उसने बच्चे को जन्म दिया है।"
ट्रांसफर पॉलिसी पर गौर करते हुए जस्टिस बंसल ने कहा,
"पॉलिसी के पैराग्राफ 2.5 में विशेष रूप से प्रावधान है कि विवाहित महिला को पति के कार्यस्थल पर या उस स्थान के करीब रखा जाएगा।"
इसमें कहा गया,
"उत्तरदाताओं ने सबसे पहले अपनी नीति का उल्लंघन करते हुए याचिकाकर्ता को चंडीगढ़ से राजकोट ट्रांसफर कर दिया और उसका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया।"
उपरोक्त के आलोक में न्यायालय ने बैंक को यह निर्देश देते हुए राहत दी कि वह याचिकाकर्ता के इस्तीफे की मांग करने वाले आवेदन पर विचार करे और राजकोट में उसकी गैर-ज्वाइनिंग को नजरअंदाज करते हुए दो सप्ताह के भीतर नया आदेश पारित करे।
याचिकाकर्ता के वकील: रमेश कुमार और उत्तरदाताओं के वकील: आर.एन.लोहान और अनस अहमद