पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूल द्वारा अवैध रूप से बर्खास्त किए गए गुरुग्राम शिक्षक दंपति को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया

Shahadat

5 Jan 2023 5:38 AM GMT

  • पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूल द्वारा अवैध रूप से बर्खास्त किए गए गुरुग्राम शिक्षक दंपति को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में जीडी गोयनका स्कूल, गुरुग्राम को शिक्षक दंपति को मुआवजे के रूप में 50 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया। उक्त शिक्षक दंपत्ति को नियमों का उल्लंघन करते हुए और अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना स्कूल द्वारा अवैध रूप से बर्खास्त कर दिया गया था।

    विवाद तब शुरू हुआ जब 2015 में जीडी गोयनका स्कूल में फिजिकल एजुकेशन शिक्षक युगल परवीन शेखावत और अजय सिंह शेखावत को नोटिस जारी किया गया था, जिसमें उनके प्रदर्शन को मानक स्तर से कम होने की सूचना दी गई। इसके बाद दोनों को एक माह का नोटिस देकर बर्खास्त कर दिया गया।

    जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन की खंडपीठ तक यह मामला पहुंचा कि जब स्कूल ने अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेशों और हाईकोर्ट के एकल पीठ के फैसले के खिलाफ दो पत्र पेटेंट अपील दायर की।

    इससे पहले ट्रिब्यूनल ने दंपती को बैक वेज के साथ बहाल करने का आदेश दिया, जिसकी पुष्टि हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने की।

    यह देखते हुए कि हालांकि यह तर्क कि युगल की बहाली नहीं की जा सकती, अमान्य है, न्यायालय ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न उदाहरणों के आलोक में मुआवजे के भुगतान का आदेश दिया।

    तदनुसार, खंडपीठ ने कहा,

    "यह तर्क कि बहाली नहीं होनी चाहिए, बिना किसी आधार के है ... वैश्य डिग्री कॉलेज, शामली बनाम लक्ष्मी नारायण, एआईआर (1976) एससी 888 की कार्यकारी समिति में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून को ध्यान में रखते हुए जे तिवारी बनाम ज्वाला देवी विद्या मंदिर और अन्य, 1979 (4) एससीसी 160 के अनुसरण में किया गया, जहां प्रिंसिपल द्वारा बहाली के लिए दावा हाईकोर्ट द्वारा इस आधार पर क्षति के लिए डिक्री में परिवर्तित किया गया कि संस्थान प्राइवेट हैऔर वहां अनुबंध परस्पर है। कैलाश सिंह बनाम प्रबंध समिति, मेयो कॉलेज, अजमेर और अन्य, (2018) 18 SCC 216 पर विचार करते हुए हमारी राय है कि बहाली का निर्देश देने के बजाय मुआवजा बढ़ाया जाना चाहिए।'

    डिवीजन बेंच के समक्ष स्कूल ने तर्क दिया कि अनुबंध अधिनियम, 1872 की धारा 73 के तहत व्यक्तिगत सेवा के अनुबंध से संबंधित रोजगार विवाद के बाद से बहाली का आदेश नहीं दिया जा सकता। इस मामले में अधिक से अधिक क्षति का भुगतान करने का आदेश दिया जा सकता है। चूंकि नुकसान का भुगतान पहले ही कर दिया गया, ट्रिब्यूनल द्वारा कोई बहाली का आदेश नहीं दिया जा सकता।

    स्कूल द्वारा सचिव, ए.पी.डी. जैन पाठशाला और अन्य बनाम शिवाजी भागवत मोरे और अन्य, (2011) 13 एससीसी 99 और कैलाश सिंह के फैसलों पर भरोसा किया गया।

    दूसरी ओर, कर्मचारियों ने तर्क दिया कि नियुक्ति पत्र के अनुसार, तीन महीने का नोटिस दिया जाना है, जिसका उल्लंघन करते हुए उनकी बर्खास्तगी अवैध है।

    विशेष रूप से हरियाणा शिक्षा अधिनियम, 2003 के तहत ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में दो कर्मचारियों को तीन महीने का नोटिस दिए बिना या सुनवाई का मौका दिए बिना प्राकृतिक न्याय सिद्धांतों के खिलाफ होने और इसलिए अवैध रूप से बर्खास्त करने का अवलोकन किया है।

    तदनुसार, कोर्ट ने उनकी बर्खास्तगी की तारीख से 6% प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ पूरे बैक वेतन के साथ सेवा में बहाली का आदेश दिया।

    हाईकोर्ट की खंडपीठ ने हरियाणा विद्यालय शिक्षा अधिनियम, 1995 और हरियाणा विद्यालय नियम, 2003 पर भरोसा जताया।

    न्यायालय ने कहा,

    "यह स्पष्ट है कि निर्धारित प्रक्रिया को लागू किया गया और उत्तरदाताओं की सेवाओं के वितरण के दौरान स्कूल द्वारा किसी भी चरण में उक्त प्रक्रिया का कभी भी पालन नहीं किया गया... प्रबंध समिति ... दुर्भाग्य से समाप्ति से पहले किसी भी समय इन प्रावधानों का पालन नहीं किया गया..."

    यह देखते हुए कि अधिनियम और नियमों के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया, अदालत ने मुआवजे को बढ़ाकर 50 लाख रुपये करने का आदेश दिया। इसमें 50 लाख रुपये की राशि के खिलाफ 20 लाख रुपये को समायोजित किया जाना है, जिसे पहले हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में आदेश दिया।

    न्यायालय ने कहा,

    "हमारी सुविचारित राय है कि यदि परवीन शेखावत को बिना किसी जांच के उनकी सेवाओं को समाप्त करने में स्कूल प्रबंधन की अवैध कार्रवाई और उसके पति को मुआवजे के रूप में 20,00,000 रुपये का भुगतान किया जाता है, तो न्याय होगा। अजय सिंह शेखावत मुआवजे के रूप में 30,00,000 रुपये के हकदार होंगे। 50,00,000 रुपये का उपरोक्त मुआवजा 20,00,000 रुपये के समायोजन के अधीन होगा, जो उन्हें वर्ष 2018 में पहले ही मिल चुका है।

    न्यायालय ने कहा कि उक्त राशि का भुगतान आदेश प्राप्त होने की तिथि से एक महीने की अवधि के भीतर प्रतिवादियों को किया जाना है, जिसमें विफल होने पर दंपती बैक वेज के साथ बहाली के आदेश को लागू करने के लिए स्वतंत्र होंगे, जैसा कि ट्रिब्यूनल ने निर्देश दिया।

    अपीलकर्ता स्कूल की ओर से सीनियर एडवोकेट अक्षय भान और एडवोकेट गुरमोहन सिंह बेदी, पवनदीप सिंह और अमनदीप सिंह पेश हुए और परवीन शेखावत और अजय सिंह शेखावत प्रतिवादी व्यक्तिगत रूप से पेश हुए।

    केस टाइटल: एम/एस. जीडी गोयनका स्कूल बनाम परवीन सिंह शेखावत और अन्य और मैसर्स जीडी गोयनका स्कूल बनाम अजय सिंह शेखावत और अन्य

    साइटेशन: लाइवलॉ (पीएच) 2/2023

    कोरम : जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन

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