पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एमएसीटी आदेश को संशोधित किया, मुआवजे की राशि को तीन साल की सावधि जमा से दावेदार को जारी करने की अनुमति दी
Shahadat
3 Jun 2022 1:10 PM IST
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में शोक संतप्त माता-पिता की याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें मोटर दुर्घटना में अपने बच्चे की मौत के लिए दी गई 50% मुआवजे की राशि को तीन साल की सावधि जमा सावधि जमा (Fixed Deposit) से मुक्त करने की मांग की गई थी।
जस्टिस अलका सरीन ने एच.एस. अहमद हुसैन बनाम इरफ़ान अहमद, [2002(3) आरसीआर (सिविल) 563] मामले का संदर्भ दिया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि माताओं के पक्ष में दिए गए मुआवजे की राशि को राष्ट्रीयकृत बैंक में सावधि जमा में नहीं रखा जाना चाहिए।
वर्तमान मामले में याचिकाकर्ताओं ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी थी। इस आदेश में यह निर्देश दिया गया था कि मुआवजे का 50% तीन साल की अवधि के लिए उनके नाम पर सावधि जमा में जमा किया जाए। आगे की चुनौती याचिकाकर्ताओं द्वारा एफडीआर में जमा करने के लिए निर्देशित राशि को जारी करने के लिए दायर आवेदन को खारिज करने के आदेश को थी।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि दोनों याचिकाकर्ताओं की उम्र 40 वर्ष से अधिक है और उनकी देखभाल के लिए तीन अन्य बच्चे हैं। इसलिए उन्हें धन की तत्काल आवश्यकता है।
उपरोक्त संदर्भित मामले में निर्धारित कानून के साथ-साथ इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता की उम्र 40 वर्ष से अधिक है और उनके तीन अन्य नाबालिग बच्चे भी हैं, वर्तमान याचिका की अनुमति है।
अदालत ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के आदेश और अधिनिर्णय को रद्द कर दिया और एफडीआर के रूप में जमा मुआवजे की राशि को जारी करने का आदेश दिया।
ट्रिब्यूनल द्वारा पारित आदेश दिनांक 12.05.2022 को अपास्त किया जाता है और दिनांक 23.09.2021 के निर्णय को उक्त सीमा तक संशोधित किया जाता है। एफडीआर के रूप में जमा की गई मुआवजे की राशि को याचिकाकर्ताओं को तत्काल जारी किया जाए।
केस टाइटल: अयूब खान और अन्य बनाम प्रताप गुर्जर और अन्य।
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें