घर से भागे युगल पर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने जुर्माना लगाया, आधार कार्ड में हेराफेरी का था आरोप

LiveLaw News Network

18 Feb 2021 1:20 PM GMT

  • P&H High Court Dismisses Protection Plea Of Married Woman Residing With Another Man

    Punjab & Haryana High Court

    पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हाल ही में घर से भागे एक युगल की संरक्षण याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने आधार कार्ड में दी गई जन्मतिथि में हेरफेर कारण युगल पर जुर्माना भी लगाया।

    फरीदाबाद की दंपति ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि उन्होंने शादी की है और उनकी साथ रहने की इच्छा है। हालांकि, आरोप लगाया गया था कि लड़की के परिजन उनके रिश्ते के खिलाफ हैं और लड़के के खिलाफ उन्होंने आईपीसी की धारा 346 (गुप्त रूप से, गलत ढंग से कैद में रखना) के तहत झूठी एफआईआर दर्ज कराई थी।

    याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि दोनों वयस्क हो चुके हैं और जन्म तिथि के प्रमाण के रूप में, उन्होंने आधार कार्ड की प्रतियां पेश की थीं।

    हालांकि ज‌स्ट‌िस अवनीश झिंगन की एकल पीठ ने दंपति को सुरक्षा देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि दस्तावेज में लड़की की जन्म तिथि में हेरफेर किया गया है, जिसे यह साबित करने के लिए कि पेश किया गया था कि वह वयस्क है।

    युगल ने 29 जनवरी, 2021 को शादी करने का दावा किया। रिकॉर्ड में दर्ज दस्तावेजों के अनुसार, लड़की शादी की तारीख से एक हफ्ते पहले, यानी 23 जनवरी, 2021 को वयस्क हो चुकी थी।

    लड़की के आधार कार्ड की टाइप की गई कॉपी पर उसकी जन्मतिथि 23 जनवरी, 2003 बताई गई थी। हालांकि, जज ने नोट किया कि आधार कार्ड की फोटोकॉपी में केवल लड़की के जन्म का साल है और पूरी तारीख नहीं है।

    जज ने कहा, "याचिकाकर्ता नंबर एक के आधार कार्ड की टाइप की गई प्रति, जो अनुलग्नक P-2 के रूप में संलग्न है, में जन्म तिथि 23.1.2003 के रूप में उल्लिखित है। जन्म तिथि के आधार पर यह दावा किया गया है कि शादी के समय वह वयस्क हो चुकी थी।

    याचिकाकर्ता नंबर एक के आधार कार्ड की फोटो कॉपी के अवलोकन पर, यह स्पष्ट है कि जन्म तिथि का उल्लेख नहीं किया गया है और जन्म का वर्ष 2003 के रूप में उल्लेख किया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि टाइप्ड कॉपी में हेरफेर किया गया है ताकि कोर्ट को ये लगे की दोनों याचिकाकर्ता वयस्क हैं।"

    याचिकाकर्ताओं के आचरण पर आपत्त‌ि दर्ज करते हुए कि कोर्ट ने कहा कि यह हस्तक्षेप के लिए उपयुक्त मामला नहीं है और याचिका को 25,000 रुपए के जुर्माने के साथ खारिज़ कर दिया गया।

    केस टाइटिल: निकिता शर्मा और अन्य बनाम हरियाणा और अन्य

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