पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अनधिकृत रूप से रोगी का इलाज करने के आरोपी एक्यूप्रेशर प्रैक्टिशनर को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया

Shahadat

18 July 2022 11:26 AM IST

  • पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अनधिकृत रूप से रोगी का इलाज करने के आरोपी एक्यूप्रेशर प्रैक्टिशनर को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक्यूप्रेशर प्रैक्टिशनर को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। उक्त प्रैक्टिशनर ने गैंग्रीन नामक बीमारी से पीड़ित मरीज का इलाज किया था। हालांकि, प्रैक्टिशनर इस बीमारी के इलाज के लिए योग्य नहीं है।

    वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता-अभियुक्त द्वारा बीमारी के लिए उपचार दिया गया है, जो उसके ज्ञान और योग्यता से बाहर है। इस बीमारी के इलाज के लिए वह अधिकृत नहीं है। न्यायालय को बताया गया कि उसकी कोई भी शैक्षणिक योग्यता गैंग्रीन की बीमारी के लिए वैकल्पिक मेडिकल में प्रैक्टिस को आगे बढ़ाने के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया या किसी राज्य मेडिकल बोर्ड की तरह सक्षम अधिकारियों द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है।

    जस्टिस संदीप मौदगिल की पीठ ने कहा कि उसकी योग्यता यानी एक्यूप्रेशर और इलेक्ट्रोहोम्योपैथी मेडिकल प्रणाली के अनुसार, अभी भी उचित रूप से देखभाल करने और उसके लिए कुशल होना उसका कर्तव्य है। उसके पास इस तरह के कर्तव्य का उल्लंघन नहीं करने का निहित वचन है। लापरवाही के कारण भारी नुकसान हुआ, जिसकी भरपाई किसी भी तरह से नहीं की जा सकती।

    यह न्यायालय इस तथ्य के प्रति संवेदनशील है कि याचिकाकर्ता-अभियुक्त को इस तरह का कोई मौका नहीं दिया जाना चाहिए, जब​​कि एक्यूप्रेशर और इलेक्ट्रोहोम्योपैथी मेडिकल प्रणाली के लिए उसकी योग्यता के अनुसार, उचित देखभाल और कौशल के साथ कार्य करना उसका कर्तव्य है। इस तरह के कर्तव्य के उल्लंघन ने लापरवाही के लिए कार्रवाई का कारण दिया है, जिसके परिणामस्वरूप शिकायतकर्ता के पिता को भारी नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई किसी भी तरह से नहीं की जा सकती है।

    वर्तमान मामले में आरोपी ने जो उपचार दिया, वह उसके ज्ञान और योग्यता से परे था, जिसके लिए वह अधिकृत नहीं थी। उसकी लापरवाही के कारण बीमारी फैल गई, जिसके परिणामस्वरूप अंतिम उपाय के रूप में पैर को काटना पड़ा।

    इस तरह की हानि न केवल व्यक्ति को उसके नियमित जीवन से अक्षम कर देगी, बल्कि बड़े पैमाने पर समाज में दैनिक दिनचर्या में शर्मिंदगी के अलावा लगातार मानसिक क्रूरता और उत्पीड़न का कारण यह उसके मन में चुभती भी रहेगी।

    आरोपी प्रैक्टिशनर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 338, 406, 420 और इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट की धारा 15 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

    पूर्वोक्त चर्चाओं और रिकॉर्ड पर मौजूद तथ्यों के आलोक में वर्तमान याचिका में कोई योग्यता नहीं पाते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत को यह मानते हुए खारिज कर दिया कि जांच में उसकी हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।

    तदनुसार, वर्तमान याचिका खारिज कर दी गई।

    केस टाइटल: ममता रानी बनाम हरियाणा राज्य




    Next Story