पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने टीवी पत्रकार भावना किशोर की अंतरिम जमानत बढ़ाई, दो अन्य को राहत दी

Avanish Pathak

10 May 2023 11:12 AM GMT

  • पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने टीवी पत्रकार भावना किशोर की अंतरिम जमानत बढ़ाई, दो अन्य को राहत दी

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को टाइम्स नाउ की रिपोर्टर भावना किशोर को दी गई अंतरिम जमानत को बढ़ा दिया और उनके कैमरामैन मृत्युंजय कुमार और ड्राइवर परमेंद्र सिंह रावत को भी 22 मई तक के लिए अंतरिम जमानत दे दी।

    जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच ने में कहा कि गिरफ्तार करने वाले अधिकारी और फिर मामले से जुड़े न्यायिक अधिकारियों ने यंत्रवत गिरफ्तारी और रिमांड के आदेश पारित किए।

    न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सी‌नियर एडवोकेट द्वारा यह प्रस्तुत करने के बाद कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत आरोप, यदि कोई हैं, मुख्य रूप से याचिकाकर्ता संख्या 1 (भावना) के खिलाफ हैं और याचिकाकर्ता संख्या 2 और 3 के खिलाफ नहीं है।

    यह आगे तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता संख्या 2 और 3 द्वारा कथित रूप से जमानती अपराध किए गए हैं, जिस अधिकारी ने इन याचिकाकर्ताओं को हिरासत में लिया था, उन्हें इस पर ध्यान देना चाहिए था क्योंकि कहीं भी उन्हें जमानत जमा करने का विकल्प नहीं दिया गया था।

    मामले में ड्यूटी मजिस्ट्रेट, लुधियाना के न्यायिक रिमांड देने के आदेश की वैधता को भी चुनौती दी गई थी, क्योंकि यह तर्क दिया गया था कि जब याचिकाकर्ताओं को ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था, तो उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए था क्योंकि जांच के उद्देश्यों के लिए उनकी आवश्यकता नहीं थी।

    इसी तरह, यह आगे प्रस्तुत किया गया कि जब याचिकाकर्ताओं को विशेष अदालत, लुधियाना के समक्ष पेश किया गया था, तो उक्त अदालत ने भी यांत्रिक तरीके से, याचिकाकर्ता संख्या 2 और 3 सहित याचिकाकर्ताओं को न्यायिक रिमांड पर भेज दिया, उनके द्वारा किए गए कथित अपराध का सत्यापन किए बिना और प्रकृति का पता लगाए बिना।

    इन प्रस्तुतियों की पृष्ठभूमि और एफआईआर की सामग्री का अध्ययन करने के बाद, अदालत ने कहा कि एफआईआर में ऐसे अपराध का आरोप नहीं है, जो उनके लिए गैर-जमानती होगा।

    इसके अलावा, इस बात पर जोर देते हुए कि कानून के शासनादेश के बिना किसी नागरिक को हिरासत में रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, यानी अवैध हिरासत की अनुमति नहीं दी जा सकती है, अदालत ने जोर देकर कहा कि संवैधानिक न्यायालय को जब इसका पता चलता है, तो उस पर अपनी आंखें नहीं मूंद सकता है।

    उक्त टिप्पणियों के साथ अदालत ने याचिकाकर्ताओं संख्या 2 और 3 को अंतरिम को अंतरिम जमानत दे दी। प्रतिवादी-राज्य को एफआईआर रद्द करने की याचिका का जवाब दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय दिया गया है।

    केस टाइटलः भावना गुप्ता और अन्य बनाम पंजाब राज्य


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