पंजाब एंड हरियाणा बार काउंसिल ने हाईकोर्ट में 'बेंच हंटिंग' के आरोपों में आरोपी वकीलों को बरी किया
Shahadat
15 Nov 2025 8:46 AM IST

पंजाब एंड हरियाणा बार काउंसिल की विशेषाधिकार समिति ने उन सभी वकीलों और अन्य व्यक्तियों को बरी कर दिया, जिन्हें उसने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में बेंच हंटिंग के आरोपों के संबंध में पहले नोटिस जारी किए।
राज्य बार काउंसिल ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में वकीलों द्वारा बेंच हंटिंग के गंभीर आरोपों की जांच शुरू की थी।
एक कार्यालय आदेश में राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष ने कहा कि बार काउंसिल के सदस्यों ने बताया कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के कुछ वकील किसी विशेष बेंच से अनुकूल आदेश प्राप्त करने या उस बेंच के समक्ष पेश होने से बचने के लिए "बेंच हंटिंग" में लगे हुए हैं।
काउंसिल ने 16 वकीलों - सीनियर एडवोकेट राकेश नेहरा, सीनियर एडवोकेट पुनीत बाली, एडवोकेट जे.के. सिंगला, सिद्धार्थ भारद्वाज, आदित्य अग्रवाल एडवोकेट, गगनदीप सिंह, अनमोल चंदन, एडवोकेट बलजीत बेनीवाल, हर्ष शर्मा, सौहार्द सिंह, रूपेंद्र सिंह, अंकित यादव, आशिम सिंगला, आकाश शर्मा, बिंदु, एपीएस शेरगिल - इन आरोपों की जाँच के लिए कि वे रूप बंसल मामले में बेंच हंटिंग में शामिल हो सकते हैं।
उपरोक्त सभी वकील या तो फाइलिंग वकील थे या एम3एम निदेशक रूप बंसल के लिए पेश हुए।
हालांकि, 28 अक्टूबर को पारित आदेश में "समिति ने एम3एम के निदेशकों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और IPC की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज FIR नंबर 0006 दिनांक 17.04.2025 से संबंधित परिस्थितियों की जांच की। FIR रद्द करने के लिए एक याचिका...हाईकोर्ट में दायर की गई। 13.02.2025 को तकनीकी खामियों और भौतिक विवरणों के अभाव के कारण याचिका को एक नई याचिका दायर करने की छूट के साथ वापस ले लिया गया। समिति ने पाया कि यह वापसी नियमित और वास्तविक थी। इसमें कोई संदिग्ध आचरण नहीं था। चूंकि कोर्ट का 13.02.2025 का आदेश अंतिम रूप ले चुका है, इसलिए समिति इस निष्कर्ष पर पहुंची कि इस याचिका में शामिल सभी वकील और वादी निर्दोष हैं।"
इसमें आगे कहा गया कि, दूसरी याचिका के दौरान विवाद और गहरा गया... 14.01.2025 को एक पीठ ने खुद को इससे अलग कर लिया, "हालांकि आदेश में किसी भी वकील के खिलाफ कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं थी। मामला पुनः सौंपा गया लेकिन बाद में वकील जे.के. सिंगला के उस पीठ की प्रतिबंधित सूची में होने के कारण इसे फिर से स्थानांतरित कर दिया गया।"
आदेश में कहा गया,
"वकील सिंगला ने स्पष्ट किया कि उन्हें ऐसी किसी सूची की जानकारी नहीं थी और वे नियमित रूप से विभिन्न पीठों के समक्ष पेश होते रहे हैं। उनके स्पष्टीकरण को विश्वसनीय माना गया, क्योंकि वकील हाईकोर्ट की प्रशासनिक शाखा द्वारा तैयार की जाने वाली गोपनीय सूचियों से अवगत नहीं होते हैं, जिनमें आमतौर पर जजों से जुड़े व्यक्तियों के नाम शामिल होते हैं।"
आदेश में आगे कहा गया,
"समिति को इन कार्यवाहियों में शामिल वकीलों और वादियों की ओर से किसी भी दुर्भावनापूर्ण इरादे का संदेह करने का कोई कारण नहीं मिला," जांच बंद कर दी गई और सभी वकीलों को दोषमुक्त कर दिया गया।

