पुणे PORSCHE CAR हादसा: किशोर न्याय बोर्ड ने कहा – नाबालिग पर वयस्क की तरह केस नहीं चलेगा

Shahadat

16 July 2025 11:03 AM IST

  • पुणे PORSCHE CAR हादसा: किशोर न्याय बोर्ड ने कहा – नाबालिग पर वयस्क की तरह केस नहीं चलेगा

    पुणे पोर्श दुर्घटना मामले में किशोर न्याय बोर्ड (JJB) ने मंगलवार को पुणे पुलिस द्वारा दायर आवेदन खारिज कर दिया, जिसमें वाहन चला रहे नाबालिग आरोपी पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाने की बोर्ड से अनुमति मांगी गई थी।

    इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए विशेष लोक अभियोजक शिशिर हिरय ने लाइव लॉ को बताया,

    "हमने नाबालिग लड़के पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाने के लिए आवेदन दायर किया था। इसमें कहा गया था कि उसने लापरवाही से और शराब के नशे में अपनी कार चलाकर दो लोगों की जान ले ली। हमने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि यह एक गंभीर और संवेदनशील मामला है। हालांकि, JJB ने आज हमारे आवेदन को खारिज कर दिया। हमें अभी तक JJB द्वारा हमारे आवेदन को खारिज करने का कारण पता नहीं चला है।"

    JJB के आदेश की विस्तृत प्रति अभी उपलब्ध नहीं कराई गई।

    अभियोजन पक्ष के अनुसार, 19 मई, 2024 की तड़के 17 साल और 8 महीने के नाबालिग द्वारा चलाई जा रही एक पोर्श कार, जो कथित तौर पर शराब के नशे में धुत था और तेज़ गति से गाड़ी चला रहा था, दो सवारों को ले जा रही एक मोटरसाइकिल से टकरा गई, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

    नाबालिग के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304ए, 279, 337, 338, 427 और मोटर वाहन अधिनियम की धारा 184, 190 और 177 के तहत अपराधों के लिए FIR दर्ज की गई। प्रत्यक्षदर्शियों ने बयान दर्ज कराए कि दुर्घटना नाबालिग की तेज़ और लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण हुई।

    अदालत ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, नाबालिग को जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ा और उसे पकड़कर किशोर न्याय बोर्ड, पुणे के समक्ष पेश करने से पहले उसके साथ मारपीट की गई। किशोर न्याय बोर्ड ने उसी दिन नाबालिग को ज़मानत दे दी।

    हालांकि, 21 मई, 2024 को अभियोजन पक्ष ने FIR में IPC की धारा 304 जोड़ने के बाद, किशोर न्याय (बालकों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 104 के तहत एक आवेदन दायर किया। इस आवेदन में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि नाबालिग के पास गाड़ी चलाने का लाइसेंस नहीं था, वह बहुत ज़्यादा नशे में था। उसने लापरवाही से गाड़ी चलाई, जिसके परिणामस्वरूप दोनों की मौत हो गई।

    आवेदन में नए सबूतों के आधार पर पहले के ज़मानत आदेश पर पुनर्विचार करने की मांग की गई, जिसमें सीसीटीवी फुटेज भी शामिल है। इस फुटेज में घटना से पहले किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य को शराब पीते और धूम्रपान करते हुए दिखाया गया था।

    22 मई, 2024 को किशोर न्याय बोर्ड ने अधिनियम की धारा 104 के तहत संशोधित आदेश जारी किया, जिसका उद्देश्य ज़मानत रद्द करना नहीं था, बल्कि नाबालिग को पुनर्वास के लिए एक संप्रेक्षण गृह में रखना था। आदेश में जांच रिपोर्टों में विसंगतियों और जनता के गुस्से और भीड़ हिंसा की संभावना को देखते हुए नाबालिग के मनोवैज्ञानिक उपचार और सुरक्षा की आवश्यकता का हवाला दिया गया।

    जांच अधिकारी द्वारा बाद में दिए गए आवेदनों के कारण नाबालिग का सुधार गृह में प्रवास 25 जून, 2024 तक बढ़ा दिया गया।

    नाबालिग की मौसी ने उसकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। उनका तर्क था कि ज़मानत मिलने के बाद उसे पुनर्वास की आड़ में सुधार गृह में नहीं रखा जा सकता।

    हाईकोर्ट ने 26 जून, 2024 को पारित आदेश द्वारा नाबालिग लड़के की रिहाई का आदेश दिया।

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