"पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन": उड़ीसा हाईकोर्ट ने बिना आईडी प्रूफ के 2000 के नोट बदलने की अनुमति देने वाले आरबीआई सर्कुलर के खिलाफ जनहित याचिका खारिज की

Avanish Pathak

7 Jun 2023 10:52 AM GMT

  • पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन: उड़ीसा हाईकोर्ट ने बिना आईडी प्रूफ के 2000 के नोट बदलने की अनुमति देने वाले आरबीआई सर्कुलर के खिलाफ जनहित याचिका खारिज की

    Orissa High Court

    उड़ीसा हाईकोर्ट ने मंगलवार को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी 19 मई, 2023 के उस सर्कुलर को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें 2000 के नोटों के सर्कुलेशन को बंद करने की घोषणा की गई थी और लोगों को उन्हें बैंकों में बिना किसी पहचान प्रमाण के बदलने की अनुमति दी गई थी।

    याचिका को 'प्रचार हित याचिका' करार देते हुए जस्टिस संगम कुमार साहू और जस्टिस मुरहारी श्री रमन की अवकाश खंडपीठ ने कहा,

    "कानून अच्छी तरह से स्थापित है, एक जनहित याचिका एक हथियार है, जिसे बहुत सावधानी और विवेक के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए और न्यायपालिका को यह देखने के लिए बेहद सावधान रहना होगा कि जनहित के सुंदर पर्दे के पीछे, प्रचार की मांग ना छिपी हो... एक प्रचार हित याचिका को शुरु में ही समाप्त कर दिया जाना चाहिए ताकि न्यायालय का बहुमूल्य समय बचाया जा सके जिसका प्रभावी ढंग से लंबित मामलों को कम करने में उपयोग किया जा सकता है।

    जनहित याचिका कार्यकर्ता जयंती दास ने मुख्य रूप से इस आधार पर दायर की थी कि आरबीआई ने उक्त बैंक नोटों के एक्सचेंज के लिए दिशानिर्देश जारी नहीं किए, जैसे कि जो व्यक्ति नोट का एक्सचेंज करते हैं फॉर्म भरें, जिसमें व्यवसाय, मासिक आय, स्थायी पते जैसे सभी विवरणों का उल्लेख हो, राशन कार्ड धारक है या नहीं, मोबाइल नंबर आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि का उल्लेख को हो, साथ ही यह उल्लेख किया जाए कि क्या वह स्वयं के लिए या किसी और के लिए एक्सचेंज कर रहे हैं, आदि, जो याचिकाकर्ताकर्ता के अनुसार बैंकिंग प्रणाली में व्यक्तियों के अवैध एंट्री की जांच करेगा।

    उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि अधिसूचना एक गैर-खाताधारक को भी किसी भी बैंक शाखा में एक बार में 20,000/-रुपये की सीमा तक 2,000/- के नोट बदलने की अनुमति देती है।

    याचिकाकर्ता ने यह भी सवाल किया कि क्यों केवल ₹2000 के मूल्यवर्ग को बंद करने का निर्णय लिया गया है और किसी अन्य मूल्यवर्ग का नहीं जिसकी अवधि पहले ही समाप्त हो चुकी है और विकृत स्थिति में है और जो ₹2000 के नोटों से बहुत पहले मुद्रित किया गया था।

    इसलिए, उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया कि वह आरबीआई के उन अधिकारियों के नाम और पदनाम के साथ कार्यवृत्त और कार्यालय नोट का विवरण प्रदान करने के लिए निर्देश जारी करे, जिन्होंने ऐसी नीति और सर्वेक्षण रिपोर्ट पारित की थी, जिसने पुष्टि की थी कि ₹2000 के नोट कटे-फटे हैं और जीवन काल समाप्त हो गया है, जिसके आधार पर उन्होंने संचलन से ₹2000 के नोटों को वापस लेने के लिए परिपत्र जारी किया था।

    हालांकि, याचिका पर विचार करने और दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने पिछले महीने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का हवाला दिया, जिसने इसी तरह की एक याचिका को खारिज कर दिया।

    केस टाइटल: श्रीमती जयंती दास बनाम यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य।

    केस नंबर: डब्ल्यूपी (सी) नंबर 17775 ऑफ 2023

    साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (मूल) 66

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