स्वप्ना सुरेश के धारा 164 के तहत दिए गए बयान का प्रकाशनः केरल के एडवोकेट जनरल ने अवमानना याचिका के तहत सीमा शुल्क आयुक्त को नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

10 March 2021 6:50 AM GMT

  • स्वप्ना सुरेश के धारा 164 के तहत दिए गए बयान का प्रकाशनः केरल के एडवोकेट जनरल ने अवमानना याचिका के तहत सीमा शुल्क आयुक्त को नोटिस जारी किया

    केरल के एडवोकेट जनरल सीपी सुधाकर प्रसाद ने सीमा शुल्क आयुक्त सुमित कुमार को एक याचिका पर नोटिस जारी किया है।

    याचिका में सीआरपीसी की धारा 164 (1) के तहत दर्ज तस्करी की आरोपी स्वप्ना सुरेश के बयानों ‌को छापने के आरोप में सुमित कुमार के खिलाफ आपराधिक अवमानना की अदालती कार्रवाई शुरू करने के लिए मंजूरी की मांग की गई है।

    स्वप्ना सुरेश ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 164 (1) के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयानों में मुख्यमंत्री, मंत्रियों, स्पीकर और अन्य लोगों को कथित रूप से फंसाया था।

    शिकायतकर्ता, राजनेता केजे जैकब ने कोंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट्स एक्ट के तहत एक याचिका दायर की, जिसमें सीमा शुल्क अधिकारी के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​कार्यवाही की की मांग की गई।

    याचिका में, जैकब ने एक मामले में किए गए खुलासे के समय पर सवाल उठाया है, जो कि मैजिस्ट्रेट को दिए गए स्वप्ना के बयानों से संबंधित भी नहीं है।

    बयान को राज्य के सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं को बदनाम करने की कोशिश करार देते हुए, याचिका में कहा गया है,

    "यह स्पष्ट है कि सुश्री स्वप्ना को राज्य के सत्तारूढ़ गठबंधन के उच्‍च स्तर के नेताओं को बदनाम करने के लिए, एक बड़ी साजिश के तहत, ऐसा बयान देने के लिए मजबूर किया गया है, और सुश्री स्वप्ना द्वारा लगाए गए पहले के आरोपों कि ईडी अध‌िकारी उन पर माननीय मुख्यमंत्री के खिलाफ बयान देने के दबाव डाल रहे हैं, को कवर करने के लिए ऐसा किया गया है।"

    धारा 164 के बयान को, तय कानून के विपरीत, सार्वजनिक करने की शिकायत करते हुए, याचिका में दावा किया गया है- "प्रतिवादी, जो न तो आपराधिक विविध मामले में पक्ष है और न ही जांच अधिकारी, के कृत्य से जो उचित अनुमान लगाया जा सकता है, ... वह यह कहता है कि वह केंद्र में सत्तारूढ़ दल के आदेश के तहत काम कर रहा है और उसका प्रयास केवल माननीय उच्च न्यायालय को एक राजनीतिक अखाड़े में बदलना है...."

    शिकायतकर्ता का आरोप है कि बयान को छापना और प्रसारित करना-

    -उच्च न्यायालय में लंबित न्यायिक कार्यवाही मे हस्तक्षेप है जैसा है।

    -न्याय के प्रशासन को प्रभावित करना और राज्य में माननीय उच्च न्यायालय और न्याय वितरण प्रणाली की शक्ति को कम करने जैसा है।

    -राजनीतिक कारणों से कानूनी कार्यवाही का दुर्भावनापूर्ण और अनुचित उपयोग जैसा है।

    शुक्रवार को सीमा शुल्क कर ओर से अदालत में दिया गया बयान इस प्रकार है-

    "उसने यूएई के पिछले महावाणिज्य दूतावास और अवैध मौद्रिक लेनदेन से मुख्यमंत्री के घनिष्ठ संबंधों के बारे में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। पहली प्रतिवादी के बयान में मुख्यमंत्री, उनके प्रधान सचिव और एक निजी कर्मचारी के साथ उसके घनिष्ठ संबंध का भी खुलासा हुआ है।

    उसने वाणिज्य दूतावास के सहयोग से माननीय मुख्यमंत्री और माननीय स्पीकर के कहने पर विदेशी मुद्रा की तस्करी के बारे में भी स्पष्ट रूप से बताया है। उसने राज्य मंत्रिमंडल के तीन माननीय मंत्र‌ियों और माननीय स्पीकर की अनुचित और अवैध गतिविधियों के बारे में भी स्पष्ट रूप से बताया है।

    उसने आगे विभिन्न सौदों से हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों को मिलने वाले किकबैक के बारे में बताया है। "

    सीमा शुल्क की ओर से दायर इस बयान ने केरल में राजनीतिक तूफान ला दिया। इस बीच, एक सिविल पुलिस अधिकारी का बयान सामने आया है, जिसमें आरोप लगाया गया कि ईडी ने स्वप्ना को बयान देने के लिए मजबूर किया।

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