विवाहित महिला और अविवाहित पुरुष लिव-इन रिलेशन में : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एसएसपी को उनकी शिकायत पर विचार करने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

8 Jun 2021 12:30 PM IST

  • विवाहित महिला और अविवाहित पुरुष लिव-इन रिलेशन में : पंजाब एंड  हरियाणा हाईकोर्ट ने एसएसपी को उनकी शिकायत पर विचार करने का निर्देश दिया

    Punjab & Haryana High court

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को एसएसपी, फरीदकोट को निर्देश दिया है कि उस विवाहित महिला और अविवाहित पुरुष की शिकायत पर विचार करे, जो लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हैं और निजी पक्षकारों से अपने जीवन और स्वतंत्रता को खतरा बताते हुए सुरक्षा देने की मांग की है।

    न्यायमूर्ति विवेक पुरी की पीठ ने याचिकाकर्ताओं (विवाहित महिला और अविवाहित पुरुष) की शिकायत पर विचार करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, फरीदकोट को निर्देश देते हुए उनकी याचिका का निपटारा कर दिया है।

    संक्षेप में मामला

    भारत के संविधान के आर्टिकल 226 के तहत याचिकाकर्ताओं के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करने और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए आधिकारिक प्रतिवादियों को निर्देश जारी करने की मांग करते हुए यह याचिका दायर की गई थी।

    आरोपों के अनुसार, दोनों याचिकाकर्ताओं ने वयस्कता की आयु प्राप्त कर ली है। याचिकाकर्ता नंबर 1 (महिला) की शादी प्रतिवादी नंबर 4 से हुई है और उनकी शादी अभी खत्म नहीं हुई है, लेकिन याचिकाकर्ता नंबर 2 (पुरुष) अविवाहित है।

    याचिकाकर्ता लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं और उनको महिला के पति सहित अन्य प्रतिवादियों से अपने जीवन और स्वतंत्रता को खतरे की आशंका है।

    याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने यह भी कहा कि महिला के पति ने महिला (याचिकाकर्ता नंबर 1) की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए भारत के संविधान के आर्टिकल 226 के तहत हैबियस कार्पस रिट याचिका दायर की थी।

    हालांकि, उक्त याचिका को यह कहते हुए निस्तारित कर दिया गया था कि महिला याचिकाकर्ता नंबर 2 के साथ स्वेच्छा से और अपनी मर्जी से रह रही है और उसे अवैध रूप से हिरासत में नहीं लिया गया है।

    इस प्रकार, आधिकारिक प्रतिवादियों को प्रस्ताव का नोटिस जारी करते हुए, न्यायालय ने कहा किः

    ''याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने यह उचित रूप से माना जाता है कि यदि उनकी रक्षा और सरंक्षण के लिए पर्याप्त निर्देश जारी किए जाते हैं और आधिकारिक प्रतिवादियों को पहले ही प्रस्तुत किए जा चुके अभ्यावेदन पर उचित कार्रवाई शुरू की जाती है, तो वे संतुष्ट होंगे।''

    अंत में, अदालत ने कहा कि यह आदेश याचिकाकर्ताओं के संबंधों को मान्य करने या किसी भी सिविल और आपराधिक कार्यवाही पर किसी भी अभिव्यक्ति के रूप में नहीं माना जाएगा।

    केस का शीर्षक - गुरजीत कौर व अन्य बनाम पंजाब राज्य व अन्य

    ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



    Next Story