पैगंबर पर टिप्पणी का मामला | 'सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखें': कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्रीय बलों की तैनाती, हिंसक विरोध प्रदर्शनों में एनआईए जांच की मांग पर आदेश सुरक्षित रखा

Avanish Pathak

15 Jun 2022 8:10 AM GMT

  • कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट 

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को पूर्व भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल द्वारा पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के खिलाफ चल रहे विरोध के बीच पश्चिम बंगाल में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग वाली जनहित याचिकाओं के एक बैच पर आदेश सुरक्षित रख लिया।

    मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से भी हिंसा की घटनाओं की इस आधार पर जांच कराने की मांग की गई थी कि इस तरह के विरोध प्रदर्शन कथित तौर पर 'पूर्व नियोजित' प्रकृति के थे।

    सुनवाई की अंतिम तारीख पर चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की पीठ ने कहा कि राज्य के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई अप्रिय घटना न हो और आगे निर्देश दिया कि राज्य को केंद्रीय बलों से मदद लेनी चाहिए यदि वे नियंत्रण में विफल रहते हैं।

    बेंच ने बुधवार को राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल एसएन मुखर्जी द्वारा दायर रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया, जिसमें राज्य के अधिकारियों द्वारा स्थिति को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों का संकेत दिया गया था।

    अदालत को अवगत कराया गया कि हिंसा की इन छिटपुट घटनाओं में सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचा है, लेकिन राज्य के अधिकारियों ने उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई करने में तत्परता दिखाई है। महाधिवक्ता ने प्रस्तुत किया कि हावड़ा पुलिस आयुक्तालय में 9 से 10 जून के बीच 17 एफआईआर दर्ज की गई हैं और 99 गिरफ्तारियां की गई हैं।

    यह भी बताया गया कि जिला हावड़ा ग्रामीण में 9 से 10 जून के बीच 9 एफआईआर दर्ज कर 38 गिरफ्तारियां की जा चुकी हैं. महाधिवक्ता ने पीठ को यह भी बताया कि निषेधात्मक आदेश और इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने के आदेश भी जारी किए गए हैं और संबंधित अधिकारियों द्वारा विश्वास बहाली के उपाय किए गए हैं।

    मुर्शिदाबाद जिले में 11 से 13 जून के बीच 5 एफआईआर दर्ज की गई है और 18 को गिरफ्तार किया गया है। जबकि डायमंड हार्बर जिले में एक एफआईआर दर्ज की गई है और 17 गिरफ्तारियां की गई हैं।

    पीठ को आगे बताया गया कि राज्य के अधिकारी न्यायालय के पूर्व निर्देशों के अनुसार अपराधियों की पहचान करने के लिए रिकॉर्ड वीडियो फुटेज पर भी भरोसा कर रहे हैं। कोर्ट ने इन रिफरेंस: डिस्ट्रक्शन ऑफ पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टीज बनाम एपी सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी रखा गया था, जिसमें सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान के मुआवजे के अनुदान के लिए दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं।

    इसके विपरीत, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों ने कहा कि राज्य मशीनरी पूरी तरह से चरमरा गई है और हिंसा की ऐसी घटनाएं फिर से होने की संभावना है। याचिकाकर्ताओं ने अदालत के समक्ष आगे प्रार्थना की कि इस बीच किसी भी धार्मिक और राजनीतिक जुलूस को रोकने के लिए एक निर्देश जारी किया जाना चाहिए।

    केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को इस आधार पर तैनात करने के लिए भी जोरदार अनुरोध किया गया था कि पूरी तरह से खुफिया विफलता हुई है और राज्य पुलिस अधिकारी मूकदर्शक बने रहे हैं।

    न्यायालय को यह भी अवगत कराया गया कि भाजपा नेताओं को राष्ट्रीय राजमार्ग पर पुलिस अधिकारियों द्वारा अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है और इस प्रकार याचिकाकर्ताओं द्वारा इस संबंध में न्यायालय के हस्तक्षेप की भी मांग की गई थी।

    कार्यवाही के दौरान, सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए चीफ जस्टिस ने मौखिक रूप से सभी वकीलों को संबोधित करते हुए कहा,

    "आप सभी बार के नेता हैं, जिन पार्टियों का आप प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, उन्हें कम से कम यह बताएं कि उन्हें सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखना चाहिए। उन्हें ऐसी अप्रिय घटनाओं से बचना चाहिए, कम से कम आप इसे अपनी पार्टियों, मुवक्किलों को बता सकते हैं कि आप किसका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, अन्य मुद्दों पर हम गौर करेंगे। हम इस पर विचार कर रहे हैं।"

    इसके अलावा, एडवोकेट जनरल को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ताओं की चिंताओं को प्रतिध्वनित करते हुए टिप्पणी की, "वे जो कहते हैं वह यह है कि उन्हें आशंका है कि किसी विशेष दिन फिर से ऐसा हो सकता है"।

    जवाब में, एडवोकेट जनरल ने प्रस्तुत किया कि अदालत के पिछले आदेश के अनुसार, यदि स्‍थ‌िति नियंत्रण से बाहर हुईं तो राज्य केंद्रीय बलों का प्रयोग करेगा। उन्होंने आगे कहा कि यह एक स्थापित कानून है कि यह पूरी तरह से राज्य के अधिकारियों को तय करना है कि केंद्रीय बलों की तैनाती की आवश्यकता है या नहीं।

    तदनुसार, बेंच ने कहा कि वह सभी मुद्दों पर विचार करेगी और आदेश पारित करेगी। यह भी स्पष्ट किया गया कि मामले का निपटारा नहीं किया जाएगा।

    केस शीर्षक: नीलाद्रि साहा बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य संबंधित मामले

    Next Story