प्राइवेट पार्ट्स धुंधले, अश्लीलता नहीं: नग्न महिला की तस्वीर प्रकाशित करने पर दैनिक भास्कर के खिलाफ याचिका खारिज

Shahadat

30 Oct 2025 1:31 PM IST

  • प्राइवेट पार्ट्स धुंधले, अश्लीलता नहीं: नग्न महिला की तस्वीर प्रकाशित करने पर दैनिक भास्कर के खिलाफ याचिका खारिज

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दैनिक भास्कर समाचार पत्र के प्रधान संपादक के खिलाफ एक नग्न महिला की तस्वीर वाला विज्ञापन चलाने के आरोप में दायर याचिका खारिज की।

    जस्टिस अचल कुमार पालीवाल ने कहा कि विज्ञापन में दिखाई गई महिला के शरीर पर कोई कपड़ा नहीं है, लेकिन स्तन और जननांगों को पर्याप्त रूप से धुंधला कर दिया गया और उन हिस्सों पर कुछ शब्द भी लिखे गए।

    पीठ ने कहा,

    "किसी भी कोण से देखने पर यह नहीं कहा जा सकता कि उपरोक्त तस्वीर भ्रष्ट मानसिकता का संकेत देती है और उन लोगों में यौन इच्छा जगाने के लिए बनाई गई, जो उन्हें देखने और देखने की संभावना रखते हैं।"

    इसने अवीक सरकारर और अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एवं अन्य (2014) मामले का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने विश्व प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी बोरिस बेकर की तस्वीर को अश्लील नहीं पाया, जिसमें वे अपनी सांवली मंगेतर के साथ नग्न अवस्था में हैं और उसके स्तन उनकी बाहों से पूरी तरह ढके हुए हैं।

    हाईकोर्ट ने कहा,

    "इस मामले में महिला के स्तन पूरी तरह धुंधले कर दिए गए और वे दिखाई नहीं दे रहे हैं। इस प्रकार, इस मामले में भी महिला के स्तन और जननांग बिल्कुल भी दिखाई नहीं दे रहे हैं। इस न्यायालय की राय में दैनिक भास्कर समाचार पत्र, रीवा संस्करण में प्रकाशित महिला की उपरोक्त तस्वीर का उन लोगों के मन को भ्रष्ट करने या भ्रष्ट करने का कोई इरादा नहीं है, जिनके हाथों में यह समाचार पत्र आएगा।"

    यह घटनाक्रम नागेंद्र सिंह गहरवार नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका के बाद सामने आया, जिसमें उन्होंने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 292 और 293 तथा महिलाओं का अश्लील चित्रण (निषेध) अधिनियम, 1986 की धारा 3, 4 और 6 के तहत अपनी शिकायत खारिज किए जाने को चुनौती दी थी।

    याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा,

    "इस न्यायालय की राय में प्रथम दृष्टया भी IPC की धारा 292 और 293 तथा अधिनियम, 1986 की धारा 3, 4 और 6 के तहत अपराध के लिए कोई ठोस आधार नहीं बनता है। आगे की कार्यवाही करने तथा IPC की धारा 292 और 293 तथा अधिनियम, 1986 की धारा 3, 4 और 6 के तहत अपराध का संज्ञान लेने के लिए पर्याप्त साक्ष्य और आधार नहीं हैं।"

    Case Title: Nagendra Singh Gaharwar v Dainik Bhaskar [M.Cr.C. No. 4891 of 2014]

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