लूट, डकैती और फिरौती आदि जैसे अपराधों के लिए गिरफ्तार किए गए कैदी दिल्ली हाई पावर्ड कमेटी के गाइडलाइन के तहत अंतरिम जमानत के हकदार नहीं

LiveLaw News Network

13 Sep 2021 6:19 AM GMT

  • लूट, डकैती और फिरौती आदि जैसे अपराधों के लिए गिरफ्तार किए गए कैदी दिल्ली हाई पावर्ड कमेटी के गाइडलाइन के तहत अंतरिम जमानत के हकदार नहीं

    दिल्ली हाईकोर्ट की हाई पावर्ड कमेटी (एचपीसी) ने प्रस्ताव पारिता किया कि इस वर्ष COVID-19 महामारी के बीच कैदियों को अंतरिम जमानत देने के लिए उसके द्वारा निर्धारित मानदंड का लाभ उन कैदियों को नहीं मिलेगा जिन पर लूट, डकैती और फिरौती जैसे अपराधों के तहत मामला दर्ज किया गया है।

    यह निर्देश हाईकोर्ट के एचपीसी के मानदंडों पर स्पष्टीकरण की मांग करने वाले आदेश के तहत आया।

    अपने आदेश में हाईकोर्ट ने पूछा था कि क्या एचपीसी की गाइडलाइन का लाभ उन विचाराधीन कैदियों पर लागू किया जा सकता है जिन्हें आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धाराओं 364 ए, 394, 397 के तहत गिरफ्तार किया गया है।

    समिति ने अपनी आठ सितंबर की बैठक में कहा,

    "केवल इसलिए कि निर्दिष्ट अपराध आईपीसी की धारा 302 के तहत आने वाले अपराध अंतरिम जमानत देने के लिए अनुशंसित मामलों की श्रेणी में आते हैं, पर इसका मतलब यह नहीं है कि लूट, डकैती या फिरौती के लिए अपहरण जैसे अपराध आदि को भी अंतरिम जमानत के लाभ में शामिल किया गया है। ऐसे मामलों को अंतरिम जमानत के लाभ से जानबूझकर बाहर रखा गया है।"

    यह भी जोड़ा गया:

    "यह देखते हुए कि जब ऐसे अपराध जिनमें 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है, को मानदंड निर्धारित करते समय वर्ग/श्रेणी में प्रथम स्थान पर शामिल नहीं किया गया है, तो इन अपराधों को बहिष्करण खंड में डालने का कोई सवाल नहीं है।"

    आगे कहा गया,

    "विचार-विमर्श के मद्देनजर यह सर्वसम्मति से स्पष्ट किया गया कि लूट, डकैती और फिरौती के लिए अपहरण आदि जैसे अपराध इस समिति द्वारा दिनांक 04.05.2021 और 11.05.2021 की बैठकों में निर्धारित मानदंडों में शामिल नहीं हैं।"

    समिति का विचार है कि यह निर्धारित करने के लिए 'पूर्ण विवेक' दिया गया कि न केवल अपराध की गंभीरता के आधार पर बल्कि अपराध की प्रकृति या किसी भी श्रेणी के कैदियों को अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहा किया जा सकता है।

    समिति ने कहा,

    "इस प्रकार, कोई भी कैदी चाहे वह किसी भी श्रेणी या अपराध में शामिल हो जेल से रिहा होने की मांग या दावा नहीं कर सकता है।"

    न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने दो जमानत याचिकाओं से निपटने के दौरान सवाल उठाया कि,

    "क्या एचपीसी द्वारा 2021 में जारी किए गए दिशा-निर्देश उन विचाराधीन कैदियों को लाभ प्रदान करते हैं जो आईपीसी की धारा 364 ए, 394, 397 आदि के तहत दायर अपराधों के लिए मुकदमे का सामना कर रहे हैं। खासकर जब ये अपराध अपवर्जन खंड में नहीं आते हैं।"

    यह भ्रम तब पैदा हुआ जब पीठ ने दो आवेदनों पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट द्वारा पारित दो आदेशों का अवलोकन किया। इन आदोशों में अदालत ने एक आरोपी को इस आधार पर अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया कि आईपीसी की धारा 394 के तहत अपराध को एचपीसी के साल 2020 में जारी दिशानिर्देशों के दायरे से बाहर रखा गया है। अन्य जमानत याचिका में न्यायालय ने आईपीसी की धारा 302, 392, 397, 411, 120बी और 34 के तहत अपराधों के लिए उक्त दिशानिर्देशों का लाभ दिया था।

    उपरोक्त शर्तों में एचपीसी द्वारा प्रश्न का समाधान किया गया था।

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