COVID के मद्देनजर राजनीतिक सभाओं को रोका जाए अन्यथा अदालत को ऐसे कदम उठाने पड़ेंगे, जो अधिकारी नहीं उठा कर पा रहे हैं : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
28 Sept 2020 10:11 AM IST
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (ग्वालियर खंडपीठ) ने शुक्रवार (25 सितंबर) को इस तथ्य को स्वीकार किया है कि ग्वालियर जिले में COVID महामारी बढ़ रही है और इससे होने वाली मौतों की संख्या भी बढ़ रही है।
न्यायमूर्ति शील नागु और न्यायमूर्ति राजीव कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने उपरोक्त निष्कर्ष COVID19 के पाॅजिटिव व्यक्तियों की बढ़ती संख्या के आंकड़ों को देखने के बाद निकाला है।
न्यायालय ने आगे कहा कि,
''ऐसी स्थिति में यदि कार्यकारी प्राधिकरण केंद्र सरकार, राज्य सरकार और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा निर्धारित प्रतिबंधों के उल्लंघन में बड़ी संख्या में लोगों को एकत्रित होने से नहीं रोक पाते हैं तो इस न्यायालय को कुछ ऐसा करने के लिए कदम उठाने पड़ सकते हैं जो राज्य के कार्यकारी अधिकारी करने में विफल हो रहे हैं।''
पिछली सुनवाई अर्थात् शुक्रवार (18 सितंबर) को कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी
इस बात पर भी ध्यान दिया गया कि पिछली सुनवाई पर (शुक्रवार,18 सितंबर) को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा था कि,''कानून, चाहे वैधानिक हो या कार्यकारी निर्देशों के आकार में,सभी द्वारा उसका सम्मान व पालन किया जाना चाहिए, भले ही वह कोई आम आदमी हो,एक नेता हो,कोई राजनीतिक अधिकारी हो या फिर राज्य का प्रमुख ही हो।''
न्यायमूर्ति शील नागु और न्यायमूर्ति राजीव कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ इस मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है,जिसमें मांग की गई है कि प्रतिवादी अधिकारियों को निर्देश दिया जाए कि वह राज्य में राजनीतिक दलों द्वारा आयोजित किए जाने वाले समारोह पर प्रतिबंधित लगाने के लिए कार्रवाई करें। पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए इस कहावत का भी हवाला दिया था- "Be you ever so high, the Law is above you"
इसके अलावा, एक अंतरिम उपाय के रूप में,बड़े पैमाने पर जनता के हित में ही नहीं बल्कि राष्ट्र के हित में, कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सुनवाई की अगली तारीख तक राजनीतिक पदाधिकारी और राज्य के पदाधिकारी उन '' COVID19 protocol'' का सख्ती से पालन करें,जो केंद्र सरकार, राज्य सरकार व संबंधित जिले के जिलाधिकारियों द्वारा किसी भी तरह की मण्डली के नियमन के लिए समय-समय पर जारी किए गए हैं।
जनहित याचिका में उठाए गए मामले की महत्वपूर्ण प्रकृति को देखते हुए न्यायालय ने न्याय प्रदान करने में कोर्ट की सहायता करने के लिए एडवोकेट संजय द्विवेदी, एडवोकेट राजू शर्मा और एडवोकेट वी.डी.शर्मा को एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया था।
शुक्रवार (25 सितंबर) को कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी
इस मामले में एमिकस क्यूरी एडवोकेट संजय द्विवेदी, एडवोकेट राजू शर्मा और एडवोकेट वी.डी. शर्मा ने एक संयुक्त रिपोर्ट दायर की, जिसमें बताया गया कि कोर्ट द्वारा पिछली सुनवाई पर पारित अंतरिम आदेश का कई अवसरों पर उल्लंघन किया गया है और बड़ी संख्या में लोगों को इकट्ठा होने दिया गया है।
एमिकस क्यूरी एडवोकेट राजू शर्मा और एडवोकेट द्विवेदी ने अदालत को सूचित किया कि मध्य प्रदेश राज्य में विधान सभा की खाली सीटों के लिए होने वाले आगामी उपचुनाव के कारण केंद्र सरकार ,राज्य सरकार व जिला मजिस्ट्रेट की तरफ से जारी निषेधात्मक आदेशों का उल्लंघन करते हुए लोगों को एकत्रित किया जा रहा है।
दूसरी ओर, अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि बिहार राज्य में होने वाले विधान सभा के आम चुनाव को COVID19 महामारी के कारण स्थगित करने की मांग करते हुए एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी,परंतु उसे शीर्ष कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
अंत में, कोर्ट ने निर्देश दिया कि अब इस मामले की अगली सुनवाई 29 सितम्बर 2020 की जाएगी। इसलिए मामले की सुनवाई की अगली तारीख से पहले, निम्नलिखित निर्देश का पालन सुनिश्चित किया जाए -
(1) एमिकस क्यूरी की तरफ से दायर संयुक्त रिपोर्ट पर राज्य अपना जवाब दाखिल करें।
(2) बिहार राज्य के विधान सभा के चुनाव के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की काॅपी राज्य कोर्ट में दायर करें।
(3) रजिस्ट्री दो दिनों के भीतर एमिकस क्यूरी की तरफ से दायर संयुक्त रिपोर्ट की एक-एक प्रति याचिकाकर्ता व अतिरिक्त एडवोकेट जनरल को उपलब्ध करा दें।
मामले का विवरण-
केस का शीर्षक- आशीष प्रताप सिंह बनाम मध्य प्रदेश राज्य व अन्य
केस नंबर-डब्ल्यूपी-13544-2020
कोरम-न्यायमूर्ति शील नागु और न्यायमूर्ति राजीव कुमार श्रीवास्तव
प्रतिनिधित्व-एडवोकेट राजेश शर्मा (याचिकाकर्ता के लिए), अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी (प्रतिवादी/राज्य के लिए), एडवोकेट संजय द्विवेदी, एडवोकेट राजू शर्मा, और एडवोकेट वी.डी.शर्मा (एमिकस क्यूरी के रूप में)।
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