राष्ट्रपति रामनाथ ने डॉ. एन. आर. माधव मेनन को पद्म भूषण प्रदान किया

LiveLaw News Network

8 Nov 2021 4:36 PM IST

  • राष्ट्रपति रामनाथ ने डॉ. एन. आर. माधव मेनन को पद्म भूषण प्रदान किया

    भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सोमवार को सार्वजनिक मामलों (पब्लिक अफेयर्स) में योगदान के लिए डॉ नीलकांत रामकृष्ण माधव मेनन को (मरणोपरांत) पद्म भूषण प्रदान किया। उनकी पत्नी श्रीमती रमा डी. मेनन ने पुरस्कार प्राप्त किया।

    गृह मंत्रालय ने पिछले साल (25 जनवरी, 2020) पुरस्कार पाने वालों के नामों की घोषणा की थी। पद्म पुरस्कार समारोह सोमवार को दिल्ली में आयोजित किया गया।

    इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हुए।

    अरुण जेटली और सुषमा स्वराज को भी मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

    डॉ. मेनन का आठ मई, 2019 को निधन हो गया था। इससे पहले उन्हें 2003 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।

    डॉ. मेनन को नेशनल लॉ स्कूलों की स्थापना का बीड़ा उठाकर भारतीय कानूनी शिक्षा का चेहरा बदलने के लिए जाना जाता है। उन्हें पहले के तीन साल के पाठ्यक्रम के स्थान पर पांच वर्षीय एकीकृत एलएलबी पाठ्यक्रम की अवधारणा का श्रेय दिया जाता है

    वह नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआईयू) और नेशनल ज्यूडिशियल एकेडमी, भोपाल के संस्थापक निदेशक और पश्चिम बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिडिकल साइंसेज (एनयूजेएस) के संस्थापक कुलपति थे।

    1935 में जन्मे डॉ. एन.आर. माधव मेनन ने बी.एससी. और बी.एल. केरल विश्वविद्यालय, एलएलएम से डिग्री और पीएच.डी. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से से ली। वहीं पंजाब विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री ली। उन्होंने 1956 में केरल हाईकोर्ट में एक वकील के रूप में नामांकन लिया।

    डॉ. मेनन 1960 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संकाय में शामिल हुए; 1965 में दिल्ली विश्वविद्यालय चले गए, कैंपस लॉ सेंटर के प्रोफेसर और प्रमुख बने। इस अवधि के दौरान उन्होंने पांडिचेरी के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट के सचिव के रूप में प्रतिनियुक्ति पर कार्य किया।

    1986 में डॉ. मेनन बार काउंसिल ऑफ इंडिया के निमंत्रण पर भारतीय राष्ट्रीय विधि विद्यालय की स्थापना और कानूनी शिक्षा का एक नया मॉडल, पंचवर्षीय एकीकृत एलएलबी कार्यक्रम शुरू करने के लिए बैंगलोर चले गए।

    उन्होंने एनएलएसआईयू के संस्थापक कुलपति के रूप में 12 वर्षों तक सेवा की। उन्हें पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा कोलकाता में इसी तरह का एक लॉ स्कूल स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया गया।

    1998 से 2003 तक उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक विज्ञान विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति के रूप में कार्य किया।

    सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल में राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी की स्थापना के लिए उनकी सेवाओं की मांग की और 2006 तक एनजेए के संस्थापक निदेशक रहे।

    डॉ. मेनन कानूनी शिक्षा, कानूनी पेशे, कानूनी सहायता, न्यायिक प्रशिक्षण और न्याय प्रशासन पर एक दर्जन से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं। यूनिवर्सल लॉ पब्लिशर्स, दिल्ली (2010) द्वारा प्रकाशित एक पुस्तक "टर्निंग पॉइंट" प्रो. मेनन के जीवन और कार्यों पर आधारित पुस्तक है।

    एक लाख रुपये का वार्षिक सर्वश्रेष्ठ विधि शिक्षक पुरस्कार और आधी सदी से भी अधिक समय से कानूनी पेशे और कानूनी शिक्षा के लिए उनकी सेवाओं की स्मृति में सोसाइटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स द्वारा प्रो. मेनन के नाम पर एक पट्टिका स्थापित की गई है।

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