एमएसएमईडी अधिनियम की धारा नौ के अनुसार 75% से अधिक राशि का प्री-डिपोसिट किश्तों में जमा किया जा सकता है: गुजरात हाईकोर्ट

Shahadat

27 May 2022 7:53 AM GMT

  • गुजरात हाईकोर्ट

    गुजरात हाईकोर्ट

    गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में एक पक्षकार को माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज डेवलपमेंट (एमएसएमईडी) एक्ट, 2006 के तहत अपील की अनुमति दी। उक्त पक्षकार अधिनियम की धारा 19 के तहत पूर्व-डिपोज़िट बनाने के लिए अर्थात् 75% राशि का किस्तों में करने की मांग कर रहा था।

    याचिकाकर्ता अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के आदेश से पीड़ित था। उक्त न्यायाधीश ने अवॉर्ड अमाउंट के 75% को जमा करने के लिए समय के विस्तार के उसके आवेदन को अस्वीकार कर दिया था।

    जस्टिस एनवी अंजारिया और जस्टिस समीर देव की पीठ ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता एम/एस यमुना केबल एक्सेसरीज प्राइवेट लिमिटेड ने पहले ही 30 लाख रूपये दे दिए हैं। 2,50,96,654/- रूपये वह 29 सितंबर को या उससे पहले जमा कर देगा है। इसके बाद शेष अवार्ड अमाउंट 3,46,07,118.31 बचती है।

    पीठ ने अपीलकर्ता को अपने उपक्रम का पालन करने का निर्देश दिया और तदनुसार, याचिका की अनुमति दी।

    मामले के संक्षिप्त तथ्य यह है कि मध्यस्थता की कार्यवाही याचिकाकर्ता और प्रतिवादी के बीच हुई थी, जो एकमात्र मध्यस्थ द्वारा अवार्ड में समाप्त हो गई थी, जहां याचिकाकर्ता को 12% के साथ प्रतिवादी को 3,46,07,118.31 रूपये की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था। प्रतिवादी ने बाद में 1,50,000 रूपये के अतिरिक्त अवार्ड के लिए मध्यस्थता अधिनियम की धारा 33 के तहत आवेदन दायर किया, जिसे याचिकाकर्ता द्वारा इसकी प्राप्ति तक ब्याज के रूप में भुगतान किया गया था। नतीजतन, याचिकाकर्ता ने मध्यस्थता अधिनियम की धारा 34 (2) (iv) के तहत अवार्ड को चुनौती दी और जिसे खारिज कर दिया गया।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की राय के आधार पर पूर्व-डिपोइट को किस्तों में भुगतान किया जा सकता है।

    हाईकोर्ट ने अंतिम आदेश के लिए नोटिस जारी करते हुए इस आधार पर ध्यान दिया कि एमएसएमईडी अधिनियम की धारा 19 के प्रावधानों और गुडइयर इंडिया लिमिटेड बनाम नॉर्टन इंटेक रबर्स प्राइवेट लिमिटेड और एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर याचिकाकर्ता को एक बार में 75% की जमा राशि का भुगतान करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है। वह किस्तों में भुगतान कर सकता है।

    बोनाफाइड दिखाने के लिए याचिकाकर्ता ने 30 लाख रूपये 75% राशि की ओर से जमा किया था। याचिकाकर्ता कंपनी के वकील ने यह भी कहा कि 30 लाख रूपये का भुगतान करने के बाद याचिकाकर्ता 2,50,96,654 रूपये की शेष राशि एक साथ जमा करेगा।

    तदनुसार, हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता ने 29.09.22 की राशि जमा की, जैसा कि याचिकाकर्ता द्वारा उपक्रम में किया गया है। अदालत ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि वह धारा 34 के तहत आवेदन के साथ आगे बढ़ें और योग्यता के आधार पर भी ऐसा ही तय करे।

    केस टाइटल: यमुना केबल्स एक्सेसरीज प्रा. लिमिटेड बनाम एस देसाई एंटरप्राइज

    केस नं.: सी/एससीए/7210/2022

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