"आरोपी शॉर्ट टैम्पर्ड हो सकता है": सुप्रीम कोर्ट ने सहकर्मी की हत्या के आरोपी की दोषसिद्धि को संशोधित किया, शाहरुख का सुरक्षा गार्ड था आरोपी

Avanish Pathak

10 Aug 2022 9:11 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते दिए एक फैसले में दोषी की धारा 302 आईपीसी के तहत दोषसिद्धी को धारा 304 भाग एक आईपीसी के तहत संशोधित करते हुए दोषी के शॉर्ट टैम्पर्ड होने की संभावना को ध्यान में रखा।

    जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा, "इस पर विवाद नहीं हो सकता कि कोई व्यक्ति किसी विशेष स्थिति में कैसे प्रतिक्रिया करता है, यह किसी विशेष व्यक्ति के स्वभाव पर निर्भर करता है। एक गर्म स्वभाव वाला व्यक्ति शांत स्वभाव वाले व्यक्ति की तुलना में अलग तरह से प्रतिक्रिया कर सकता है।"

    मामले में यतेंद्रसिंह अजबसिंह चौहान बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान के मन्नत बंगले में सुरक्षा गार्ड के रूप में कार्यरत थे। उक्त बंगले पर मृतक चंद्रप्रताप सिंह और अन्य सुरक्षा गार्ड भी तैनात थे। 14 अगस्त 2006 की रात को मृतक चंद्रप्रताप सिंह ने आरोपी से सवाल किया कि वह कुर्सी पर क्यों बैठा है और उसकी रिवॉल्वर गोलियों से भरी हुई थी या नहीं। उसने आरोपी से यह भी पूछा कि उसका हथ‌ियार काम कर रहा है या नहीं।

    आरोपी ने गुस्से में चंद्रप्रताप सिंह को कॉलर से पकड़ लिया और फिर रिवॉल्वर के ट्रिगर को खींच लिया जो उसके सीने पर लगा था, जिससे चंद्रप्रताप सिंह नीचे गिर गया। एक अन्य सुरक्षा गार्ड ने एफआईआर दर्ज की और आरोपी पर हत्या का आरोप लगाया गया। निचली अदालत ने उन्हें आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषी ठहराया था।

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह कहते हुए अपील खारिज कर दी कि भले ही कोई पूर्वचिन्तन नहीं था, यह गंभीर और अचानक उकसावे का मामला नहीं है।

    "इरादे के लिए पूर्वचिन्तन की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन कुछ मिनटों के भीतर इरादा बनाया जा सकता है। कृत्य के आधार पर ही इरादे बनाया जा सकता है। वर्तमान मामले में, आरोपी एक सुरक्षा गार्ड के रूप में काम कर रहा था। उसके पास लाइसेंसी रिवॉल्वर था। वह बन्दूक की शक्ति से पूरी तरह वाकिफ था। उसने रिवॉल्वर को छाती पर, यानी मृतक के शरीर के महत्वपूर्ण हिस्से पर रखा और उससे फायर किया। वह अपने कृत्य के परिणाम से पूरी तरह वाकिफ था और चोट मृत्यु का कारण बनने के लिए पर्याप्त थी। मृतक की तुरंत मृत्यु हो गई।"

    पीठ ने कहा कि यह सवाल कि क्या आरोपी का मृतक की हत्या करने का इरादा था या नहीं, यह कई कारकों के संयोजन पर निर्भर करेगा।

    "हत्या करने का इरादा था या नहीं, यह तय करने के लिए कोई स्ट्रेटजैकेट फॉर्मूला नहीं हो सकता है। इसी तरह, क्या कोई गंभीर और अचानक उकसावा एक आरोपी को आत्म-नियंत्रण की शक्ति खोने का कारण होगा, यह तथ्यों और परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। यह विवादित नहीं हो सकता है कि कोई व्यक्ति किसी विशेष स्थिति में कैसे प्रतिक्रिया करता है, यह किसी विशेष व्यक्ति के स्वभाव पर निर्भर करेगा। एक गर्म स्वभाव वाला व्यक्ति एक शांत स्वभाव वाले व्यक्ति की तुलना में अलग तरह से प्रतिक्रिया कर सकता है ...

    ..... रिकॉर्ड में रखी गई सामग्री के अवलोकन से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि कोई पूर्वचिन्तन नहीं था और मृतक और अपीलकर्ता के बीच कहासुनी हुई थी। मृतक ने अपीलकर्ता से पूछताछ की कि उसकी रिवाल्वर गोलियों से भरी थी या नहीं। उन्होंने यह भी सवाल किया कि उनका हथ‌ियार काम कर रहा है या नहीं। अपीलकर्ता के नाराज होने और दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से जवाब देने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। दुर्भाग्य से, अपीलकर्ता को उसके नियोक्ता द्वारा एक लोडेड हथियार प्रदान किया गया था। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अपीलकर्ता को सावधानी बरतनी चाहिए थी और खुद पर नियंत्रण रखना चाहिए था। हालांकि, जैसा कि यहां ऊपर चर्चा की गई है, किसी विशेष स्थिति की प्रतिक्रिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकती है।"

    इस प्रकार देखते हुए, पीठ ने दोषसिद्धि को धारा 304 भाग 1 आईपीसी में संशोधित किया। कोर्ट ने यह फैसला इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए किया कि आरोपी ने 8 साल से अधिक समय तक सजा काट ली। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि यदि किसी अन्य मामले में आवश्यकता न हो तो आरोपी को तत्काल रिहा किया जाए।

    केस डिटेल: यतेंद्रसिंह अजबसिंह चौहान बनाम महाराष्ट्र राज्य | 2022 लाइव लॉ (एससी) 664 | CrA 822 OF 2018 | 4 अगस्त 2022| जस्टिस बीआर गवई और पीएस नरसिम्हा

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