''विवाहित बेटियों को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित करने वाली नीति समानता का उल्लंघन'': मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (डबल बेंच) ने सिंगल बेंच के आदेश को सही ठहराया

LiveLaw News Network

19 April 2021 8:15 AM GMT

  • विवाहित बेटियों को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित करने वाली नीति समानता का उल्लंघन: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (डबल बेंच) ने सिंगल बेंच के आदेश को सही ठहराया

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने इंदौर में स्थित हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ द्वारा व्यक्त किए उस विचार पर सहमति जताई है जो विवाहित बेटी की अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में व्यक्त किया गया था।

    जस्टिस शेल नागू और जस्टिस आनंद पाठक की खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ राज्य की तरफ से दायर अपील को खारिज कर दिया है। एकल पीठ ने याचिकाकर्ता की उस चुनौती को स्वीकार कर लिया था,जिसमें उसने कहा था कि सिर्फ उसकी वैवाहिक स्थिति के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए उसके दावे को अस्वीकार कर दिया गया है।

    याचिकाकर्ता (यहां प्रतिवादी) उस मृतक सरकारी कर्मचारी की विवाहित बेटी है, जिसकी मौत एएसआई (एम) के पद पर रहते हुए हो गई थी।

    सिंगल बेंच ने मीनाक्षी दुबे बनाम एमपी पूरवा कच्छेरा विद्युत विट्रान कंपनी लिमिटेड के मामले में दिए गए फैसले पर भरोसा किया और अनुकंपा नियुक्ति के लिए याचिकाकर्ता द्वारा किए गए आग्रह को स्वीकार कर लिया।

    उक्त मामले में, इंदौर में एक पूर्ण खंडपीठ ने कहा था कि विवाहित बेटी को अनुकंपा नियुक्ति देने पर विचार करने से रोकने वाली सरकार की नीति संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन है।

    न्यायमूर्ति सुजॉय पॉल, न्यायमूर्ति जेपी गुप्ता और न्यायमूर्ति नंदिता दुबे की खंडपीठ ने कहा था कि ऐसी नीति जो विवाहित महिला को अनुकंपा नियुक्ति के अधिकार से वंचित करती है, समानता का उल्लंघन करती है।

    उक्त मामले में, पूर्ण पीठ ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय कानून सिद्धांतों और संधियों का उल्लेख किया जो लैंगिक भेदभाव को रोकते हैं। पीठ ने सचिव, रक्षा मंत्रालय बनाम बबीता पुनिया व अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण को भी संदर्भित किया थाः "केंद्र सरकार का नीतिगत निर्णय अवसर की समानता के लिए महिला अधिकारियों के अधिकार की मान्यता है। उस अधिकार का एक पहलू लिंग के आधार पर गैर-भेदभाव का सिद्धांत है जो संविधान के आर्टिकल 15 (1) में सम्मिलित है। अधिकार का दूसरा पहलू आर्टिकल 16(1) के तहत सार्वजनिक रोजगार के मामलों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता है।''

    वर्तमान मामले में, डिवीजन बेंच ने कहा कि मीनाक्षी दुबे मामले (सुप्रा) को राज्य द्वारा किसी भी उच्च फोरम में चुनौती नहीं दी गई है। इस प्रकार, न्यायालय ने एकल पीठ के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

    केस का शीर्षकः एमपी राज्य व अन्य बनाम ज्योति शर्मा

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