"पुलिस का यह जानना जरूरी नहीं कि वकील कैसे आरोपी का प्रतिनिधित्व करता है": गुजरात हाईकोर्ट

Shahadat

18 Jun 2022 11:08 AM IST

  • पुलिस का यह जानना जरूरी नहीं कि वकील कैसे आरोपी का प्रतिनिधित्व करता है: गुजरात हाईकोर्ट

    गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सीनियर एडवोकेट और पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएसजी) आईएच सैयद को कथित रूप से अवैध सहायता प्रदान करने के लिए पुलिस द्वारा आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41 ए के तहत अनीक कादरी को जारी नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। उक्त याचिका हाईकोर्ट के वकील अनीक कादरी द्वारा दायर की गई है।

    जस्टिस समीर दवे की पीठ के समक्ष सीनियर वकील मिहिर जोशी ने तर्क दिया कि यदि किसी अभियुक्त का बचाव करने के लिए सहमत होने वाले एडवोकेट को इस तरह के नोटिस जारी किए जाते हैं तो इसका उन पर बहुत प्रभाव पड़ेगा और वे अभियुक्तों का प्रतिनिधित्व करने से पहले दो बार सोचेंगे।

    कोर्ट ने कहा,

    "यह (मामला) सीमा को पार कर रहा है ... पुलिस का यह जानना जरूरी नहीं है कि वकील आरोपी का प्रतिनिधित्व कैसे करता है, उसने प्रतिनिधित्व करने के लिए कौन-सी प्रक्रिया अपनाई ... अपने मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने में वकील की भूमिका, जो एक आरोपी है, वह 41ए प्रवेश नहीं कर सकता।"

    उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता/कादरी को व्यावसायिक विवाद से संबंधित सीनियर वकील सैयद (कादरी के सीनियर) के खिलाफ दर्ज एफआईआर के संबंध में सीआरपीसी धारा 41-ए के तहत जारी किया गया है और उन्हें हमले और जबरन वसूली के आरोपी के रूप में नामित किया गया है।

    कादरी ने एफआईआर में अपनी अग्रिम जमानत की सुनवाई और याचिका खारिज करने के दौरान सीनियर एडवोकेट सैयद का प्रतिनिधित्व किया था। उन्हें 8 जून को गुजरात एचसी द्वारा अग्रिम जमानत दी गई थी।

    15 जून, 2022 को रात 10:07 बजे पेथापुर पुलिस ने कादरी को सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस जारी किया, जिसमें संकेत दिया गया कि सैयद को अवैध सहायता या पनाह देने के उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत उपलब्ध है।

    सीनियर वकील मिहिर जोशी द्वारा एचसी के समक्ष आगे प्रस्तुत किया गया कि धारा 41 ए के तहत नोटिस एडवोकेट कादरी के खिलाफ पूरी तरह से अस्थिर है, क्योंकि यह आरोप कि वकील के आरोप ने उनके मुवक्किल को "अवैध सहायता" प्रदान की, इस मामले में सिद्ध नहीं करता है और प्रकृति में अस्पष्ट है।

    कादरी को नोटिस जारी करने के आधार पर सवाल उठाते हुए सीनियर वकील जोशी ने तर्क दिया:

    "एक वकील को सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस जारी करने का उद्देश्य क्या होगा, जिसके बारे में कहा जाता है कि जमानत पर बाहर आरोपी को उपस्थित रहने के निर्देश के साथ आप मुझे किस लिए नोटिस जारी कर रहे हैं? क्या आपको जांच करने की ज़रूरत है? सीआरपीसी की धारा 41-ए की सामग्री वर्तमान मामले में नहीं मिलती।"

    यह भी तर्क दिया गया कि वकील एक आरोपी की सहायता करने के लिए बाध्य है और अपने मुवक्किल/आरोपी की ओर से मामला दायर करने वाले वकील पर 'संरक्षण' (आरोप के रूप में) का कार्य लागू नहीं हो सकता।

    दूसरी ओर सीनियर एडवोकेट पर्सी कविता ने पीठ को सूचित किया कि गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन (जीएचसीएए) ने याचिका में हस्तक्षेप आवेदन दायर किया है और वह एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व करेंगे।

    उल्लेखनीय है कि गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन (जीएचसीएए) पहले ही 16 जून को एडवोकेट अनीक कादरी के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर चुका है।

    सीनियर वकील कविता ने तर्क दिया कि इस मामले में न्याय वितरण प्रणाली (एडवोकेट्स) के पहियों में से एक पर हमला किया जा रहा है और राज्य की शक्ति को पूरी ताकत के साथ इस्तेमाल किया जा रहा है।

    उन्होंने कहा,

    "यदि आप एडवोकेट ऑफिस को कमजोर करते हैं तो आप गणतंत्र की नींव हिला रहे हैं ... हम उसी कुर्सी को हिला रहे हैं जिस पर हम खुद बैठे हैं। एक वकील के बिना आम नागरिक कानून को कैसे जान सकता है, और न्याय तक कैसे पहुंच सकता है?"

    उन्होंने अदालत को आगे बताया कि जीएचसीएए ने एक एसोसिएशन के रूप में मामले को बहुत गंभीरता से लिया है, यह बार के अधिकारों से संबंधित है।

    उन्होंने कहा,

    "प्रक्रिया का उपयोग सजा के रूप में नहीं किया जा सकता।"

    दूसरी ओर, प्रतिवादियों की ओर से पेश हुए लोक अभियोजक ने निवेदन प्रस्तुत किया कि मामले की सुनवाई की अगली तारीख तक कादरी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 जून, 2022 की तारीख तय की।

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