''पुलिस परिस्थिति को ठीक से संंभालने मेंं विफल रही''- घर भेजने में हुई देरी के कारण उपद्रव करने के मामले में गिरफ्तार प्रवासी श्रमिकों को गुजरात हाईकोर्ट ने दी जमानत

LiveLaw News Network

9 July 2020 3:14 PM IST

  • पुलिस परिस्थिति को ठीक से संंभालने मेंं विफल रही- घर भेजने में हुई देरी के कारण उपद्रव करने के मामले में गिरफ्तार प्रवासी श्रमिकों को गुजरात हाईकोर्ट ने दी जमानत

    गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को उन 25 प्रवासी श्रमिकों को जमानत दे दी है, जिनको राजकोट में 17 मई को पुलिस कर्मियों के साथ हुई झड़प के बाद कथित तौर पर हत्या और डकैती के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। प्रवासी श्रमिकों को उनके मूल राज्यों में वापिस भेजने में हुई देरी के चलते यह उपद्रव हुआ था।

    न्यायमूर्ति गीता गोपी की पीठ ने इस बात की सराहना की है कि इस मामले में दायर शिकायत में लगाए गए आरोपों से पता चलता है कि ''प्रवासी मजदूरों की भावनाएं मौजूदा स्थिति के कारण हर समय उच्च स्तर पर थी'' और ''वे अपने मूल राज्यों में जल्द से जल्द वापिस लौटना चाहते थे।'' वह पुलिस ही थी जो उचित रूप से इस स्थिति का प्रबंध/ नियंत्रण करने में विफल रही थी।''

    पीठ ने कहा कि-

    '' इस न्यायालय का विचार है कि यदि राज्य सरकार द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारियों और के बीच उचित समन्वय होता तो पूरी घटना टल सकती थी।'' ''पुलिस को भीड़ को सावधानी से संभालना चाहिए था।''

    पीठ ने यह भी विचार व्यक्त किया कि ''प्रवासी मजदूरों की ओर से पुलिस कर्मियों की हत्या का प्रयास करने का कोई इरादा नहीं होगा''और पुलिसकर्मियों को लगी चोट जान के लिए खतरनाक नहीं थी।''

    यह देखते हुए कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों से कहा है कि वे लाॅकडाउन के उपायों का उल्लंघन करने के चलते आपदा प्रबंधन अधिनियम और अन्य संबंधित अपराधों के तहत प्रवासी मजदूरों के खिलाफ दर्ज की गई शिकायतों या मुकदमों को वापिस लेने पर विचार करें। अदालत ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए सभी श्रमिकों को जमानत दे दी है।

    इन श्रमिकों को हत्या और डकैती के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस मामले में प्राथमिकी आईपीसी की धारा 143, 147, 148, 149, 325, 332, 337, 338, 307, 395, 427, 431, 188 व 269 , दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144, गुजरात पुलिस अधिनियम की धारा 43, आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 51, प्रीवेंशन आॅफ डिस्ट्रक्शन टू पब्लिक प्राॅपर्टी एक्ट 1984 की धारा 3 (ई) और 7 के तहत दर्ज की गई थी।

    यह आरोप लगाया गया था कि हंगामा उनकी वापसी की व्यवस्था करने के लिए किया गया था और श्रमिकों ने जोर देकर कहा था कि वे स्कूल के मैदान को तब तक नहीं छोड़ेंगे,जब तक कि उनकी वापसी की व्यवस्था नहीं हो जाती है। इसी मैदान में विशेष श्रमिक ट्रेनों के माध्यम से उनकी यात्रा के लिए पंजीकरण करने का काम चल रहा था।

    यह भी तर्क दिया गया कि भीड़ में से कुछ लोगों ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया और पुलिस ने उन्हें शांत करने की कोशिश की। लेकिन सभी प्रयास बेकार हो गए और अभियुक्तों ने भीड़ को उकसाया। जिसके बाद ड्यूटी पर तैनात पुलिस के लोगों को मारने की धमकी दी गई। कथित तौर पर पुलिस अधिकारियों को मारने के इरादे से उन पर पत्थर फेंके गए और पेड़ों की शाखाओं से उनकी पिटाई की गई। पुलिस अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों को मामूली चोटें आईं। यहां तक कि आम जनता के वाहनों में भी तोड़फोड़ की गई। इतना ही नहीं भीड़ ने एक गुजराती समाचार चैनल के एक पत्रकार से कैमरा छीनने की भी कोशिश की थी, जो घटना की शूटिंग कर रहा था।

    पीठ ने कहा कि-

    ''गुजरात सरकार ने 29 अप्रैल 2020 के एक आदेश जारी किया था,जिसमें बताया गया था कि भारत सरकार ने 29 अप्रैल 2020 को दिशा-निर्देश जारी किए हंै,जिनके तहत एक-राज्य से दूसरे राज्य में व्यक्तियों की आवाजाही की अनुमति दी गई है। परंतु उसके लिए संबंधित राज्य /केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के साथ समन्वय होना आवश्यक है ताकि गुजरात और अन्य राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के बीच व्यक्तियों की आवाजाही सुचारू और व्यवस्थित रूप से हो सकें। इस तरह के उद्देश्य के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए थे। इस प्रकार उक्त आदेश/ प्रस्ताव के माध्यम से गुजरात सरकार ने कुछ निर्देश जारी किए थे ताकि इन नोडल अधिकारियों के मार्गदर्शन में आवाजाही की सुविधा में आवश्यक सहायता प्रदान की जा सकें।''

    यह देखते हुए कि ''फील्ड मार्शल ग्राउंड में सैकड़ों प्रवासी मजदूरों के आने के बारे में स्थानीय अधिकारियों को पूरी जानकारी थी'', इसलिए ''पुलिस को अन्य अधिकारियों के साथ समन्वय में काम करने की आवश्यकता थी।''

    पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार द्वारा 29 अप्रैल 2020 के आदेश के तहत नियुक्त किए गए ''नोडल अधिकारियों और पुलिस के बीच समन्वय की कमी थी'' ,जिस कारण ''अराजकता की स्थिति पैदा हुई।''

    आदेश की प्रति डाउनलोड करें



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