पॉक्सो एक्ट का उद्देश्य किशोरों के प्रेम संबंधों को अपराध बनाना नहीं, सहमति से संबंध जमानत देने के विचारणीय: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Avanish Pathak
31 Oct 2023 8:54 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा, पॉक्सो एक्ट 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए बनाया गया था और इसका उद्देश्य किशोरों के बीच सहमति से बने प्रेम संबंधों को अपराध बनाना नहीं था।
जस्टिस कृष्ण पहल की पीठ ने कहा कि आजकल यह काननू किशारों के शोषण का एक उपकरण बन गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे मामलों में जमानत देते समय सहमति से बने संबंध पर विचार किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने आगे कहा कि यदि ऐसे मामलों में पीड़ित के बयान को नजरअंदाज किया जाता है और आरोपी को जेल में पीड़ा सहने के लिए छोड़ दिया जाता है, तो यह न्याय की विकृति होगी।
सिंगल जज ने 15 वर्षीय लड़की को कथित तौर पर बहला-फुसलाकर ले जाने के आरोप में धारा 363, 366 आईपीसी और 7/8 पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज एक आरोपी को जमानत देते हुए ये टिप्पणियां कीं।
अदालत के समक्ष, आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि आवेदक को अनावश्यक परेशान करने और उसे पीड़ित करने के लिए वर्तमान मामले में झूठा फंसाया गया था।
पीड़िता की उम्र के संबंध में, उन्होंने कहा कि स्थानीय स्कूल से उसके स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र पर विचार नहीं किया जा सकता है और लड़की का कोई ऑसिफिकेशन टेस्ट नहीं किया गया था।
आगे कहा गया कि आवेदक का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और वह मई 2023 से जेल में बंद है।
इन दलीलों की पृष्ठभूमि में, अपराध की प्रकृति, आरोपी की संलिप्तता के संबंध में रिकॉर्ड पर मौजूद सबूत, पीड़ित के बयान, भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के व्यापक आदेश को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने आरोपी को जमानत दे दी।
केस टाइटल: मृगराज गौतम @ रिप्पू बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 3 अन्य [CRIMINAL MISC. BAIL APPLICATION No. - 45007 of 2023]
केस साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (एबी) 409