पीएमएलए | गिरफ्तारी का आधार लिखित रूप से बताने वाला 'पंकज बंसल' मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूर्वव्यापी रूप से लागू होगा: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
Avanish Pathak
1 Nov 2023 4:12 PM IST
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रियल एस्टेट समूह एम3एम के निदेशक रूप बंसल की गिरफ्तारी को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि पंकज बंसल मामले में ईडी की शक्तियों के नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया ऐतिहासिक फैसले के मद्देनजर पीएमएलए की धारा 19 के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने एम3एम के अन्य निदेशकों पंकज बंसल और बसंत बंसल की गिरफ्तारी को रद्द करते हुए कहा था, ''...अब से यह आवश्यक होगा कि गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के लिखित आधार की एक प्रति दी जाए... निस्संदेह और बिना किसी अपवाद के।"
जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस विक्रम अग्रवाल की खंडपीठ ने गिरफ्तारी को रद्द करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत का फैसला पूर्वव्यापी रूप से लागू होगा।
कोर्ट ने कहा,
"इसमें कोई संदेह नहीं है, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि गिरफ्तारी का आधार "अब से" आरोपी को लिखित रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, लेकिन साथ ही, उसने पंकज बंसल और बसंत बंसल की गिरफ्तारी और परिणामी रिमांड को अवैध घोषित कर दिया। यदि शर्त को केवल भावी बनाने का इरादा होता तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पंकज बंसल और बसंत बंसल की गिरफ्तारी को अवैध घोषित नहीं किया होता।''
अदालत रूप बंसल की गिरफ्तारी और रिमांड को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिस पर ईडी द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7, 8, 11 और 13 के साथ आईपीसी की धारा 120-बी के तहत मामला दर्ज किया गया था। चूंकि आईपीसी के तहत अपराध पीएमएलए के तहत अनुसूचित अपराध हैं, इसलिए ईडी ने ईसीआईआर दर्ज की।
यह आरोप लगाया गया था कि एक आईआरईओ समूह जिस पर 1,376 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप था, उसने एम3एम ग्रुप ऑफ कंपनीज के माध्यम से अपने 400 करोड़ रुपये से अधिक के फंड को डायवर्ट किया था।
पंकज बंसल के मामले का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा, "...माननीय शीर्ष अदालत ने कहा कि गिरफ्तारी के आधार की जानकारी देने का तरीका आवश्यक रूप से सार्थक होना चाहिए ताकि इच्छित उद्देश्य पूरा हो सके। पीएमएलए की धारा 45 का संदर्भ दिया गया था जो गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत पर रिहाई की मांग करने में सक्षम बनाता है। यह देखा गया कि धारा 45 दो शर्तें निर्धारित करती है जिन्हें पूरा करना आवश्यक है, जिसके अभाव में गिरफ्तार व्यक्ति जमानत का हकदार नहीं होगा।"
कोर्ट ने जोड़ा, "यह माना गया कि संविधान के अनुच्छेद 22 (1) और पीएमएलए की धारा 19 द्वारा अनिवार्य, गिरफ्तारी के आधार का कम्यूनिकेशन, इस उच्च उद्देश्य को पूरा करने के लिए है और इसे उचित महत्व दिया जाना चाहिए।"
अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में आधार बताने का तरीका पंकज बंसल जैसा ही है, जिसमें गिरफ्तारी के आधार उन्हें पढ़ कर सुनाए गए थे और प्रवर्तन निदेशालय के अपने मामले के अनुसार, उन्होंने उस पर अपने हस्ताक्षर भी किए थे।
"...जहां तक पंकज बंसल और वर्तमान याचिकाकर्ता का सवाल है, दोनों ने दो अन्य गवाहों के अलावा गिरफ्तारी के आधार पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन माना कि गिरफ्तारी के आधार उन्हें लिखित रूप में नहीं दिए गए थे। इसलिए, पंकज बंसल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित अनुपात के मद्देनजर यह पीएमएलए की धारा 19 और भारत के संविधान के अनुच्छेद 22 के प्रावधानों का पर्याप्त अनुपालन नहीं होगा। (सुप्रा) हालांकि इसके अलावा, पीएमएलए की धारा 19 के प्रावधानों का उचित अनुपालन किया गया था।"
केस टाइटल: रूप बंसल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य
केस साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (पीएच) 219