पीएम मोदी डिग्री केस | गुजरात यूनिवर्सिटी द्वारा दायर मानहानि मामले में अहमदाबाद की अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, राज्यसभा सांसद संजय सिंह को समन जारी किया

Shahadat

17 April 2023 5:00 AM GMT

  • पीएम मोदी डिग्री केस | गुजरात यूनिवर्सिटी द्वारा दायर मानहानि मामले में अहमदाबाद की अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, राज्यसभा सांसद संजय सिंह को समन जारी किया

    गुजरात के अहमदाबाद जिले की एक अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को गुजरात यूनिवर्सिटी द्वारा दायर आपराधिक मानहानि की शिकायत में समन जारी किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक डिग्री के संबंध में विवाद के संबंध में दोनों द्वारा कथित अपमानजनक बयान दिए गए थे।

    अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट जयेशभाई चोवाटिया की अदालत ने शनिवार को गुजरात यूनिवर्सिटी द्वारा उसके रजिस्ट्रार डॉ. पीयूष एम.पटेल के माध्यम से केजरीवाल और सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 500 के तहत दायर आपराधिक शिकायत पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। कोर्ट ने अपने आदेश में उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला पाया।

    गुजरात हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के 2016 के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें गुजरात यूनिवर्सिटी को "नरेंद्र दामोदर मोदी के नाम पर डिग्री के बारे में जानकारी" देने करने का निर्देश दिया था। इसके बाद केजरीवाल ने उक्त कथित टिप्पणी की थी।

    दायर शिकायत में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में व्यंग्यात्मक और मानहानिकारक बयान देने और मोदी की डिग्री को लेकर यूनिवर्सिटी को निशाना बनाने वाले ट्विटर हैंडल पर आरोप लगाया गया।

    केजरीवाल ने अपने बयान में कहा था,

    "अगर डिग्री है और वो सही है तो डिग्री दी क्यों नहीं जा रही है...गुजरात और दिल्ली यूनिवर्सिटी डिग्री क्यों नहीं दे रही हैं? डिग्री इसलिए नहीं दे रहे हैं कि डिग्री फर्जी हो सकती है, डिग्री नकली हो सकती है...अगर प्रधानमंत्री जी दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढे, गुजरात यूनिवर्सिटी से पढे तो गुजरात यूनिवर्सिटी को सेलीब्रेट करना चाहिए कि हमारा लड़का देश का प्रधानमंत्री बन गया...वो उनकी डिग्री को छुपने की कोशिश कर रहे हैं...(यूनिवर्सिटी) प्रधानमंत्री की फर्जी डिग्री को सही साबित करने में जुट गई है।"

    शिकायत में आगे कहा गया कि गुजरात हाईकोर्ट के आदेश के तुरंत बाद केजरीवाल ने प्रेस कान्फ्रेंस में गुजरात यूनिवर्सिटी के खिलाफ मानहानिकारक बयान दिया, जबकि वह इस तथ्य से अवगत थे कि यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर बहुत पहले ही प्रधानमंत्री की डिग्री प्रकाशित हो चुकी है।

    यूनीवर्सिटी ने अपनी शिकायतकर्ता में तर्क भी रखा कि सीएम केजरीवाल ने अपनी "व्यक्तिगत क्षमता" और "राज्य के मामलों में नहीं" बयान दिए। इस सबमिशन से सहमत होते हुए कोर्ट ने केस के टाइटल में केजरीवाल के नाम से 'चीफ मिनिस्टर' शब्द हटाने का आदेश दिया।

    इसके अलावा, न्यायालय ने यह भी पाया कि प्रथम दृष्टया केजरीवाल और सिंह दोनों ने गुजरात यूनिवर्सिटी को निशाना बनाया, क्योंकि उनके द्वारा बोले गए शब्द व्यंग्यात्मक थे और लोगों के मन में गुजरात यूनिवर्सिटी की छवि को लक्षित करने के लिए थे।

    अदालत ने कहा,

    "यह स्वाभाविक है कि आरोपी लोगों के बयानों के कारण जो लोग गुजरात यूनिवर्सिटी का श्रेय जानते हैं और वे सभी लोग जो गुजरात यूनिवर्सिटी को नहीं जानते हैं, गुजरात यूनिवर्सिटी के प्रति अविश्वास विकसित करेंगे।"

    न्यायालय ने यह भी मत व्यक्त किया कि यदि राजनीतिक पदाधिकारी अपने लोगों के प्रति अपने कर्तव्य को पूरा करने के बजाय प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी व्यक्तिगत शत्रुता या स्वार्थ के लिए विरोधियों या उसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए कोई कार्य करते हैं और यदि वे ऐसा कोई शब्द कहते हैं, उन शब्दों को लोगों द्वारा रखे गए भरोसे का उल्लंघन माना जाएगा और बोले गए शब्दों को व्यक्तिगत माना जाएगा।

    इस पृष्ठभूमि में केजरीवाल और सिंह को उनके खिलाफ आरोपों का खंडन करने का उचित अवसर देते हुए अदालत ने उन्हें 23 मई को पेश होने का निर्देश देते हुए सीआरपीसी की धारा 204 के तहत समन/प्रक्रिया जारी किया।

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