विमानन दुर्घटनाओं के बाद मीडिया रिपोर्टिंग के लिए सलाह की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने कहा- पायलटों को समय से पहले दोषी ठहराना गलत

Shahadat

17 July 2025 1:51 PM

  • विमानन दुर्घटनाओं के बाद मीडिया रिपोर्टिंग के लिए सलाह की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने कहा- पायलटों को समय से पहले दोषी ठहराना गलत

    मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर कर विमानन दुर्घटनाओं के बाद मीडिया रिपोर्टिंग के लिए आवश्यक दिशानिर्देश/सलाह जारी करने की मांग की गई, जिसमें पायलटों को समय से पहले दोषी ठहराना गलत बताया गया।

    मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नागरिक उड्डयन मंत्रालय, नागरिक उड्डयन महानिदेशक और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से विमानन दुर्घटनाओं के बाद मीडिया रिपोर्टिंग के लिए आवश्यक दिशानिर्देश/सलाह जारी करने का अनुरोध किया गया।

    कोयंबटूर के एडवोकेट एम. प्रवीण द्वारा दायर इस याचिका में विस्तृत दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आधिकारिक जांच पूरी होने तक दुर्घटनाओं के बाद कोई भी समय से पहले या अटकलें लगाने वाला बयान न दिया जाए।

    अहमदाबाद विमान दुर्घटना में पायलटों को दोषी ठहराने वाली हालिया मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया कि अक्सर विमानन दुर्घटनाओं के बाद न्यूज एजेंसियाँ और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पायलटों को दोष देते हुए बिना पुष्टि की गई सामग्री प्रकाशित करते हैं। याचिका में कहा गया कि इस तरह की पूर्वाग्रही रिपोर्टिंग पायलटों की प्रतिष्ठा और उनके करियर की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाती है और उनकी व्यक्तिगत गरिमा और कल्याण को प्रभावित करती है।

    याचिकाकर्ता ने दलील दी कि अक्सर, मीडिया संस्थान नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) या अन्य सक्षम प्राधिकारियों द्वारा जांच पूरी होने से पहले ही पायलटों को दोषी ठहरा देते हैं। याचिका में यह भी कहा गया कि पायलटों पर इस तरह समय से पहले दोष मढ़ने से विमानन पारिस्थितिकी तंत्र में जनता का विश्वास और आधिकारिक जाँच की सत्यनिष्ठा कमज़ोर होगी।

    याचिका में कहा गया कि पायलटों पर समय से पहले दोष मढ़ना निर्दोषता की धारणा के सिद्धांतों और संविधान के अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 19(1)(ए) और अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त गरिमा और निजता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

    याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि ऐसे मामलों में जहां पायलट की भी हवाई दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है, पायलट के परिवार को अतिरिक्त आघात और अपमान का सामना करना पड़ता है। ऐसा आचरण संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित गरिमा और करुणा के सिद्धांतों के विपरीत है।

    इस प्रकार, याचिकाकर्ता ने कहा कि इस स्थिति में जिम्मेदार और नैतिक डिजिटल रिपोर्टिंग को बढ़ावा देने वाले तंत्र स्थापित करने के लिए प्राधिकारियों और संबंधित हितधारकों के बीच तत्काल सहयोग की आवश्यकता है।

    Case Title: M Pravin v. The Secretary, Ministry of Civil Aviation and Others

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