दिल्ली हाईकोर्ट में COVID-19 अस्पतालों के बाहर बेड की स्थिति को दिखाए जाने के लिए डिस्प्ले लगाए जाने की मांग करने वाली याचिका दायर, कहा- सरकारी एप गलत जानकारी देता है

LiveLaw News Network

22 April 2021 9:45 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट में COVID-19 अस्पतालों के बाहर बेड की स्थिति को दिखाए जाने के लिए डिस्प्ले लगाए जाने की मांग करने वाली याचिका दायर, कहा- सरकारी एप गलत जानकारी देता है

    दिल्ली हाईकोर्ट में ऑर्थोडोक्स क्रिश्चियन मेडिकल फैलोशिप की ओर से एक नर्सिंग अधिकारी ने एक याचिका दायर कर दिल्ली सरकार को निर्देश दिए जाने की मांग की है कि दिल्ली में सभी अस्पतालों को एक परिपत्र जारी करने के लिए निर्देश दिया जाए ताकि वे अपने परिसर के बाहर "बेड डिस्प्ले बोर्ड" लगाएं, जो COVID-19 माहमारी के इस भयावह दौर में अस्पताल में उपलब्ध बेड, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर आदि की जानकारी देते हो।

    याचिकाकर्ता का कहना है कि एक नर्सिंग अधिकारी के रूप में वह फ्रंट लाइन वर्कर के रूप से काम करता है इसलिए "अस्पतालों में रोगियों और चिकित्सा पेशेवरों द्वारा सामना की जाने वाली कठिनाइयों से अवगत हैं।"

    द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की दिनांक 19 अप्रैल की एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि, "दिल्ली में कई अस्पतालों द्वारा बेड से वंचित करने के मामले जो गंभीर अवस्था में है और तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता है" को पर्याप्त रूप से प्रकाश में लाया गया है।

    अदालत ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि,

    "अस्पताल के बेड और ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग पहले की तरह नहीं बढ़ी है।"

    याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की कि अस्पतालों के बाहर डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाए, जिसमें अस्पताल में बेड, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन के बारे में जानकारी देना अनिवार्य हो। इसके अलावा, शहर के प्रत्येक अस्पताल में स्थिति की दैनिक निगरानी के लिए भी प्रार्थना की गई है।

    याचिकाकर्ता ने आगे कहा है कि दिल्ली सरकार द्वारा मोबाइल एप्लिकेशन वास्तविक तथ्यात्मक परिदृश्य के साथ सूचना को प्रदर्शित नहीं करता और इसलिए ऐसे डिस्प्ले बोर्ड की आवश्यकता और भी अधिक अनिवार्य है।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि इस तरह का सर्कुलर कर्नाटक में पहले से ही प्रभावी है और हालांकि इस आशय की कुछ दिशा पहले दिल्ली द्वारा पारित की गई थी, लेकिन अस्पतालों द्वारा इसका कड़ाई से अनुपालन नहीं किया जा रहा है।

    यह याचिका एडवोकेट रॉबिन राजू और एम.पी. श्रीगणेश की ओर से दायर की है।

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