जब सरकार मोबाइल डेटा निलंबित करती है तब सार्वजनिक वाईफाई तक पहुंच उपलब्ध कराई जाए, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने याचिका पर पंजाब सरकार, यूओआई से जवाब मांगा
Avanish Pathak
21 April 2023 9:38 PM IST
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने मोबाइल डेटा सेवाओं को सीमित/ प्रतिबंधित किए जाने पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध वाई-फाई या ब्रॉडबैंड के माध्यम से इंटरनेट का उपयोग करने के लिए एक वैकल्पिक साधन का प्रावधान करने के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग करने वाली रिट याचिका पर पंजाब सरकार और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
जस्टिस विनोद एस भारद्वाज की पीठ ने नीरज नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका में यह आदेश पारित किया, जिसने अदालत में यह तर्क दिया था कि मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के निलंबन से नागरिकों के एक विशेष वर्ग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जो इंटरनेट का उपयोग केवल 2जी/3जी/4जी/5जी/सीडीएमए/जीपीआरएस जैसे साधन से ही मोबाइल डेटा सेवाओं का उपयोग करता है।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता, जो एक इंटरनेट उपयोगकर्ता है और केवल मोबाइल-डेटा सेवाओं के माध्यम से इंटरनेट तक पहुंच प्राप्त करता है, सबसे बुरी तरह प्रभावित व्यक्ति हैं, जब राज्य ने केवल मोबाइल-डेटा सेवाओं को निलंबित करने का फैसला किया है, जैसा कि हाल ही में हुआ है ( मार्च 2023 में)।
याचिकाकर्ता ने एक और तर्क दिया है कि जब मोबाइल डेटा को निलंबित कर दिया जाता है, तो लोगों (जो मोबाइल डेटा के माध्यम से इंटरनेट का उपयोग करते हैं) का इंटरनेट एक्सेस करने का मौलिक अधिकार अंततः प्रभावित होता है, जबकि दूसरी ओर, जिन लोगों की वाईफाई/ ब्रॉडबैंड तक पहुंच होती है, वे इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं, जिससे यह लोगों के दो समूहों के बीच अनुचित वर्गीकरण का मामला बनता है।
इसे देखते हुए, याचिकाकर्ता ने रेखांकित किया है कि जब इंटरनेट का उपयोग केवल मोबाइल-डेटा सेवाओं को निलंबित करके ही कम किया जाता है, तो यह राज्य के लिए अनिवार्य हो जाता है कि वह अपने कार्यालयों में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध ब्रॉडबैंड/वाई-फाई सेवाओं के माध्यम से वैकल्पिक इंटरनेट पहुंच सुनिश्चित करे, और ऐसा वैकल्पिक प्रावधान संवैधानिक रूप से अनिवार्य "निष्पक्ष, न्यायसंगत और उचित" प्रक्रिया का एक हिस्सा बन जाता है, और इसलिए कानून के तहत आवश्यक है।
इस पृष्ठभूमि में याचिका में हाईकोर्ट से एक घोषणा के लिए प्रार्थना की गई है कि राज्य में मोबाइल डेटा सेवाओं को निलंबित करने के हालिया आदेशों ने अनुराधा भसीन बनाम यूनियर ऑफ इंडिया के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा व्याख्या की गई इंटरनेट तक पहुंच के मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया है।
इसलिए, याचिका में परमादेश की प्रकृति में एक दिशा निर्देश के लिए भी प्रार्थना की गई है कि टेलीकॉम सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकालीन या सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017 को उस सीमा तक अवैध करार दिया जाए, जिस सीमा तक वह सक्षम अधिकारियों को इंटरनेट का उपयोग करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करने के लिए सशक्त बनाता है।
केस टाइटल- नीरज बनाम पंजाब राज्य