आगरा मस्जिद में कथित रूप से दबी मूर्तियों की खुदाई की मांग का मामला: मथुरा कोर्ट ने केंद्र सकार को नोटिस देने के अभाव के कारण वाद लौटाया

Shahadat

28 May 2022 9:16 AM GMT

  • आगरा मस्जिद में कथित रूप से दबी मूर्तियों की खुदाई की मांग का मामला: मथुरा कोर्ट ने केंद्र सकार को नोटिस देने के अभाव के कारण वाद लौटाया

    मथुरा के केशव देव मंदिर से स्वर्ण जड़ित मूर्तियों को आगरा किले में दीवान-ए-खास के पास बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाने का दावा करने वाले ताजा वाद में शुक्रवार को मथुरा कोर्ट ने सीपीसी की धारा 80 के तहत केंद्र सरकार को नोटिस देने के अभाव के कारण वाद वापस कर दिया।

    हालांकि, सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 80 (2) के तहत नोटिस (60 दिनों का) के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 80 (1) के तहत आवश्यक होने के आधार पर वाद दायर किया गया है। हालांकि, न्यायालय इस बात से संतुष्ट नहीं है कि मामले को तत्काल सुने जाने की आवश्यकता नहीं है। इस प्रकार, कोर्ट ने वादपत्र वापस कर दिया।

    उल्लेखनीय है कि सीपीसी की धारा 80 (2) में यह प्रावधान है कि यदि न्यायालय पक्षकारों को सुनने के बाद संतुष्ट हो जाता है कि वाद में कोई तत्काल राहत प्रदान करने की आवश्यकता नहीं है तो वाद को प्रस्तुत करने के बाद अधिनियम की उपधारा (1) की आवश्यकताओं का अनुपालन करते हुए वाद को वापस किया जा सकता है।

    विवाद के पहले वादी में से एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा दायर मुकदमे में उन मूर्तियों को वापस करने की मांग की गई है, जिन्हें मुगल सम्राट औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर (केशव देव मंदिर) से कथित रूप से हटा दिया था।

    वादी ने भारत संघ, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक और मथुरा और आगरा में एएसआई अधिकारियों को प्रतिवादी पक्ष के रूप में नामित किया था, लेकिन इसने प्रतिवादियों (सीपीसी की धारा 80) को दो महीने का नोटिस नहीं दिया था।

    याचिका में अनुरोध किया गया कि एएसआई को निर्देश दिया जाए कि इन मूर्तियों को आगरा किले में बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों से खोदकर वापस श्रीकृष्ण जन्मभूमि के केशव देव मंदिर में लाया जाए। याचिका में यह भी निर्देश देने की मांग की गई कि जनता को संबंधित स्थल पर जाने से रोका जाए।

    लाइव लॉ से बात करते हुए एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि उनकी याचिका वापस कर दी गई, क्योंकि उन्होंने सीपीसी की धारा 80 (1) के अनुसार केंद्र सरकार सहित प्रतिवादियों को वाद की प्रति नहीं दी थी, इसलिए वह अब भारत संघ को नोटिस देंगे।

    इससे पहले, याचिकाकर्ताओं एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह और एडवोकेट राजेंद्र माहेश्वरी द्वारा विवादित ईदगाह मस्जिद परिसर को सील करने की प्रार्थना के साथ मथुरा में अदालत के समक्ष आवेदन दिया गया था। इस आवेदन में दावा किया गया था कि यदि विवादित परिसर को सील नहीं किया गया तो संपत्ति का धार्मिक चरित्र बदल जाएगा।

    आवेदन में यह भी मांग की गई कि शाही ईदगाह मस्जिद परिसर की सुरक्षा बढ़ाई जाए, किसी भी तरह की आवाजाही पर रोक लगाई जाए और सुरक्षा अधिकारियों की नियुक्ति की जाए। इस याचिका पर सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट एक जुलाई को सुनवाई करेगा।

    श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने अपने आवेदन में कहा कि शाही ईदगाह मस्जिद में स्वस्तिक, कमल का फूल, सांप, घंटी, कलश, फूलों की माला और अन्य धार्मिक प्रतीकों जैसे सनातन मंदिरों के प्रमाण भी मौजूद हैं।

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