'व्हाई आई किल्ड गांधी' मूवी स्ट्रीमिंग पर रोक लगाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर

LiveLaw News Network

21 Feb 2022 5:00 PM IST

  • व्हाई आई किल्ड गांधी मूवी स्ट्रीमिंग पर रोक लगाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर

    इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) याचिका दायर कर लघु फिल्म 'व्हाई आई किल्ड गांधी' की स्ट्रीमिंग पर रोक लगाने की मांग की गई। याचिका में कहा गया कि चल रहे विधानसभा चुनावों के बीच फिल्म का प्रदर्शन उत्तर प्रदेश के सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ सकता है।

    रेहान आलम खान और हिमांशु गुप्ता द्वारा याचिका दायर की गई। याचिका में प्रस्तुत किया गया कि ओटीटी प्लेटफॉर्म लाइमलाइट पर 30 जनवरी [महात्मा गांधी की पुण्यतिथि] पर रिलीज हुई फिल्म राष्ट्रपिता की छवि खराब करती है। साथ ही राष्ट्र और भारतीय समाज की शांति और सामाजिक सद्भाव को भी बिगाड़ती है।

    एडवोकेट कृष्ण कन्हैया पाल के माध्यम से दायर याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि फिल्म के संवाद अत्यधिक आपत्तिजनक और गंभीर प्रकृति के हैं। याचिका में यह भी विरोध किया गया कि फिल्म के संवाद, सामग्री और गुमराह करने वाली कहानी से बापू की छवि खराब हो रही है।

    याचिका में यह भी कहा गया कि लखनऊ में फिल्म की स्ट्रीमिंग के कारण राज्य में विधानसभा चुनाव प्रभावित हो रहे हैं। याचिका में कोर्ट से फिल्म की स्ट्रीमिंग पर रोक लगाने का निर्देश देने की मांग की गई है।

    संबंधित समाचार में, 31 जनवरी, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने "व्हाई आई किल्ड गांधी" फिल्म की स्ट्रीमिंग पर रोक लगाने की मांग वाली एक रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। 30 जनवरी, महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को ओटीटी प्लेटफॉर्म 'लाइमलाइट' पर रिलीज हुई थी।

    जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच ने याचिकाकर्ता को अपने आदेश में हाईकोर्ट जाने को कहते हुए कहा,

    "अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका केवल तभी दायर की जा सकती है जब मौलिक अधिकार के उल्लंघन का सवाल हो। याचिकाकर्ता के किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ प्रतीत होता है। हालांकि ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता एक नागरिक है और चिंता का एक गंभीर कारण हो सकता है। याचिकाकर्ता को अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता है। इस याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती।"

    केस का शीर्षक - रेहान आलम खान और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य

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