केवाईसी के लिए 'एनपीआर का पत्र' लाने के एसबीआई के विज्ञापन के ख़िलाफ़ तेलंगाना हाईकोर्ट में पीआईएल

LiveLaw News Network

26 Feb 2020 7:58 AM GMT

  • केवाईसी के लिए एनपीआर का पत्र लाने के एसबीआई के विज्ञापन के ख़िलाफ़ तेलंगाना हाईकोर्ट में पीआईएल

    स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के 26 जनवरी के एक विज्ञापन के ख़िलाफ़ तेलंगाना हाईकोर्ट में एक पीआईएल दायर की गई है। इस विज्ञापन में बैंक ने अपने ग्राहकों को केवाईसी साबित करने के लिए 28 फ़रवरी 2020 तक "राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर" का पत्र जमा करने को कहा गया है और अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो उनके खाते को फ़्रीज़ कर दिया जाएगा।

    संडे टाइम्ज़ ऑफ़ इंडिया, हैदराबाद में छपे इस विज्ञापन में केवाईसी साबित करने के लिए कई तरह के दस्तावेज़ पेश करने को कहा गया है जिनमें एनपीआर का पत्र सहित आधार कार्ड, मतदाता पहचानपत्र, ड्राइविंग लाइसेन्स आदि शामिल हैं।

    याचिकाकर्ता वक़ील खाजा ऐजाज़ुद्दीन ने कहा कि चूंकि अभी तक एनपीआर की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई है, उसका पत्र पेश करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। उन्होंने अदालत को बताया कि सरकार ने 1 अप्रैल 2020 और 30 सितंबर 2020 के बीच राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने की घोषणा की है और इस समय किसी के पास भी एनपीआर का पत्र जारी करने का अधिकार नहीं है। इस तरह, एसबीआई ने जो विज्ञापन जारी किया है वह असंवैधानिक है।

    "प्रतिवादी नम्बर 6 (भारत का जनसंख्या आयुक्त) ने अधिसूचना जारी की है …जिसके अनुसार केंद्र सरकार ने जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने का निर्णय किया है और यह कार्य 1 अप्रैल 2020 और 30 सितंबर 2020 के बीच पूरा किया जाएगा…

    इसका मतलब यह हुआ कि अभी इसकी प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है और अभी राज्य स्तर पर कोई भी अथॉरिटी या प्रतिवादी नंबर 6 ख़ुद इस बारे में कोई पत्र जारी करने को अधिकृत नहीं है और इस स्थिति में प्रतिवादी नंबर 5 (एसबीआई) को यह अधिकार नहीं है कि वह विज्ञापन द्वारा एनपीआर से इस तरह का पत्र एक दस्तावेज़ के रूप में पेश करने को कहे ताकि केवाईसी की प्रक्रिया पूरी की जा सके। यह अनावश्यक और असंवैधानिक है," उन्होंने कहा।

    याचिकाकर्ता ने अदालत को यह भी कहा कि बैंक को उन्होंने इस बारे में लिखा है और उसने इसे प्राप्त किया है और इस तरह इस गड़बड़ी को जानता है कि उसके विज्ञापन से किस तरह की स्थिति पैदा हो गई है पर उसने अभी तक इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया है।

    इस वजह से उसने अदालत से मांग की कि एनपीआर के पत्र को पेश करने की बाध्यता को निरस्त करें और इस शर्त को निलंबित करने/स्थगित करने की मांग की।

    इस मामले की अगली सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की पीठ आज 26 फ़रवरी को करेगी।

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