बॉम्बे हाईकोर्ट से सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका वापस ली गई

Shahadat

8 Sep 2023 7:09 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट से सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका वापस ली गई

    बॉम्बे हाईकोर्ट से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के डायरेक्टर के रूप में आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जयसवाल की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका वापस ले ली गई। यह याचिका कोर्ट को यह सूचित किए जाने के बाद वापस ले ली गई कि अधिकारी का कार्यकाल समाप्त हो गया है, जिस कारण जनहित याचिका निरर्थक हो गई है। यह पद अब आईपीएस अधिकारी प्रवीण सूद के पास है।

    चीफ जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने जनहित याचिका को वापस लिया हुआ मानते हुए खारिज कर दिया।

    खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,

    “एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को सूचित किया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो के डायरेक्टर के रूप में प्रतिवादी नंबर 3 का कार्यकाल 25 मई 2023 को समाप्त हो गया, जिससे जनहित याचिका निरर्थक हो गई। याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि याचिकाकर्ता नंबर 3 को पीआईएल याचिका वापस लेने की अनुमति दी जा सकती है। अनुमति दी जाती है। इस प्रकार, जनहित याचिका याचिका को वापस लिया गया मानते हुए खारिज किया जाता है।”

    जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि जायसवाल के पास दिल्ली पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 4ए के तहत सीबीआई डायरेक्टर बनने के लिए आवश्यक अनुभव नहीं था।

    इसमें कहा गया कि उनके नेतृत्व में विशेष जांच दल द्वारा की गई जांच के संबंध में सत्र न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट दोनों द्वारा सख्तियां टिप्पणियां की गई थीं। इसमें कहा गया कि यह सामग्री, जिसका उनकी विश्वसनीयता पर सीधा असर पड़ता है, उसको सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति के लिए गठित समिति द्वारा न तो रखा गया और न ही उस पर विचार किया गया।

    इसलिए जनहित याचिका में नियुक्ति से संबंधित रिकॉर्ड और कार्यवाही मंगाने के बाद सीबीआई डायरेक्टर के रूप में जायसवाल की नियुक्ति रद्द करने की मांग की गई।

    इसमें जयसवाल को यह बताने के लिए भी कहा गया कि वह किस अधिकार के तहत केंद्रीय जांच ब्यूरो के डायरेक्टर पद पर हैं।

    जयसवाल 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। 2002 में उन्हें सैकड़ों करोड़ रुपये के प्रसिद्ध तेलगी स्टांप घोटाले में एसआईटी का प्रमुख नियुक्त किया गया था।

    2007 में दोषपूर्ण जांच के संबंध में एसआईटी और जयसवाल के खिलाफ सख्त आदेश पारित किए गए थे।

    याचिका में दावा किया गया कि 2021 में डीएसपीई एक्ट की धारा 4ए के तहत आवश्यक भ्रष्टाचार विरोधी मामलों में विशेषज्ञता की कमी के बावजूद और उनकी ईमानदारी और विश्वसनीयता का निर्धारण किए बिना जयसवाल को सीबीआई डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया।

    जयसवाल ने अपनी नियुक्ति पर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया।

    सीसी- वकील एस. बी. तालेकर ए/डब्ल्यू. माधवी अयप्पन आई/बी. याचिकाकर्ता के लिए तालेकर एंड एसोसिएट्स

    एएसजी देवांग व्यास एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ए/डब्ल्यू. प्रतिवादी नंबर 1 2 और 4 के लिए डी. पी. सिंह और अनुषा अमीन

    एडवोकेट हेमल आई/बी. प्रतिवादी नंबर 3 के लिए नवदीप वोरा एंड एसोसिएट्स

    केस टाइटल - राजेंद्रकुमार विश्वनाथ त्रिवेदी बनाम द यूनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य।

    केस नंबर पीआईएल 26544 ऑफ 2021

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