100 करोड़ रुपए से अधिक के मामले डीआरटी मुंबई को ट्रांसफर करने की केंद्र की अधिसूचना के खिलाफ जनहित याचिका: गुजरात हाईकोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया
Brij Nandan
5 Jan 2023 3:09 PM IST
गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने केंद्र सरकार की 4 अक्टूबर की अधिसूचना को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका (PIL) पर भारत सरकार को नोटिस जारी किया है।
अधिसूचना में 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक राशि से जुड़े आवेदन को ऋण वसूली न्यायाधिकरण-I और ऋण वसूली न्यायाधिकरण-II, अहमदाबाद से ऋण वसूली न्यायाधिकरण-I, मुंबई को ट्रांसफऱ करने का आदेश है।
चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे. शास्त्री की बेंच ने भारत सरकार को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी के लिए पोस्ट कर दी। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने मामले में सुनवाई की तारीख अधिसूचित की।
याचिकाकर्ता एडवोकेट निपुण प्रवीण सिंघवी की ओर से सीनियर एडवोकेट पर्सी कविना और एडवोकेट विशाल जे दवे पेश हुए।
जनहित याचिका में कहा गया है कि केंद्र की अधिसूचना, DRT-1 और DRT-2, अहमदाबाद से मुंबई ट्रांसफर, से अधिकार क्षेत्र में परिवर्तन से बैंकरों / उधारदाताओं, उधारकर्ताओं, गारंटरों के कानूनी अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।
याचिका में कहा गया है,
"स्थान और क्षेत्राधिकार का कथित परिवर्तन उन मुकदमेबाज नागरिकों के अधिकारों का गंभीर रूप से हनन होगा जिनके मामले अहमदाबाद में ऋण वसूली अधिकरण - 1 और II के समक्ष लंबित हैं और नए मामले जिन्हें ऋण वसूली न्यायाधिकरण के समक्ष दायर और न्यायनिर्णित करना होगा। शीघ्र न्याय और निष्पक्ष सुनवाई तक उनकी पहुंच के अधिकार से समझौता किया जा रहा है। इसके अलावा, इसने ऋण वसूली न्यायाधिकरण - I, मुंबई पर अत्यधिक बोझ डाला है और इसलिए, परिस्थितियां कानून की भावना के खिलाफ खड़ी हैं जिसके लिए न्यायाधिकरण बनाए गए थे।"
यह ध्यान दिया जा सकता है कि अधिसूचना के अनुसार, 100 करोड़ रुपए और उससे अधिक की ऋण राशि वाले सभी आवेदनों के ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) के अधिकार क्षेत्र दिल्ली, मुंबई और चेन्नई में डीआरटी को ट्रांसफर कर दिए गए हैं।
इस अधिसूचना के आधार पर, डीआरटी अहमदाबाद के समक्ष लंबित सभी आवेदन, जिनमें 100 करोड़ रुपए और उससे अधिक की ऋण राशि शामिल है, डीआरटी मुंबई को ट्रांसफर कर दी गई है।
जनहित याचिका में कहा गया है कि केंद्र की अधिसूचना के कारण, कार्रवाई के हर कारण के लिए, वादियों को अब RDBA, SARFAESI और IBC के तहत शिकायतों के निवारण के लिए DRT-I, मुंबई जाने की आवश्यकता होगी और इससे ऐसी स्थिति पैदा होगी जिसमें न्याय तक पहुंच महंगी हो जाएगी।
यह भी प्रस्तुत करता है कि विवादित अधिसूचना में कोई स्पष्ट अंतर नहीं है जिसके आधार पर अधिकार क्षेत्र को ट्रांसफर किया गया है। यह आगे कहता है कि यह अधिसूचना वित्त मंत्रालय द्वारा जारी नहीं की जा सकती थी और कानून और न्याय मंत्रालय को इस अधिसूचना के साथ आना चाहिए था।
जनहित याचिका में प्रार्थना की गई है कि विवादित अधिसूचना को रद्द कर दिया जाए और इस बीच, विवादित अधिसूचना पर रोक लगा दी जाए।
उल्लेखनीय है कि नवंबर 2022 में बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने विभिन्न ऋण वसूली न्यायाधिकरणों (डीआरटी) के अधिकार क्षेत्र को संशोधित करने वाली केंद्र की 4 अक्टूबर की अधिसूचना पर रोक लगा दी थी।
बाद में, दिसंबर 2022 में, केरल हाईकोर्ट ने भी ऋण वसूली न्यायाधिकरण-I और ऋण वसूली न्यायाधिकरण-II, एर्नाकुलम, ऋण वसूली न्यायाधिकरण-I, चेन्नई के के अधिकार क्षेत्र में आने वाले 100 करोड़ रुपये और उससे अधिक की ऋण राशि वाले सभी आवेदनों के अधिकार क्षेत्र को प्रदान करने वाली अधिसूचना के संचालन पर रोक लगा दी थी।
केस टाइटल - निपुण प्रवीण सिंघवी बनाम भारत सरकार [रिट याचिका (पीआईएल) नंबर 91 ऑफ 2022]
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