हाईकोर्ट ने राज्य के कानून के तहत निजी व्यक्ति द्वारा गौ-रक्षा का आरोप लगाने वाली याचिका पर हरियाणा सरकार से जवाब मांगा
Shahadat
12 Nov 2025 9:11 PM IST

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को हरियाणा सरकार से उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें एक निजी व्यक्ति द्वारा कथित तौर पर हरियाणा गौवंश संरक्षण एवं गौसंवर्धन अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के तहत गौ-रक्षा का आरोप लगाया गया।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ राष्ट्रीय भारतीय महिला महासंघ (NFIW) द्वारा दायर जनहित याचिका (PILल) पर सुनवाई कर रहे थे और उन्होंने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया।
याचिकाकर्ता के वकील अर्जुन श्योराण ने तर्क दिया कि हरियाणा गौवंश संरक्षण एवं गौसंवर्धन अधिनियम, 2015 की धारा 16 और 17, योग्यता, सुरक्षा उपाय या जवाबदेही निर्धारित किए बिना सरकार द्वारा अधिकृत "किसी भी व्यक्ति" को तलाशी, ज़ब्ती और अभियोजन की "संप्रभु शक्तियाँ" अवैध रूप से सौंपती हैं।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि इस तरह का खुला अधिकार सौंपना मनमाना है। अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है, क्योंकि यह निजी व्यक्तियों और निगरानी समूहों को राज्य के कार्यों को बलपूर्वक करने का अधिकार देता है, जिससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और कानून के शासन को खतरा होता है।
याचिका में आगे कहा गया,
"इन प्रावधानों ने हरियाणा और अन्य जगहों पर गौ-रक्षकों की गतिविधियों को व्यवस्थित रूप से बढ़ावा दिया, जहां कई स्वयंभू गौरक्षक या गौरक्षक उभरे हैं और कानून के अधिकार से लैस होकर उन लोगों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं जिन्हें वे गौ-तस्करी या वध का 'दोषी' पाते हैं।"
Case: NFIW v. State of Haryana & Ors.

