'सांप्रदायिक' डिबेट्स प्रसारित करने वाले न्यूज चैनलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट का सुनवाई से इनकार

Shahadat

30 Sept 2025 9:56 AM IST

  • सांप्रदायिक डिबेट्स प्रसारित करने वाले न्यूज चैनलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट का सुनवाई से इनकार

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जनहित याचिका (PIL) पर विचार करने से इनकार किया, जिसमें केंद्र सरकार और नियामक प्राधिकरणों को कथित तौर पर सांप्रदायिक रंग देने वाली बहसें प्रसारित करने वाले न्यूज़ चैनलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

    चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा,

    "जब यही मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है तो हमें इस याचिका पर विचार क्यों करना चाहिए?"

    अदालत ने कहा कि उसने हाल ही में एक ऐसी ही याचिका पर विचार करने से इनकार किया था, जिसमें कहा गया कि अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ एवं अन्य का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, जिसमें अभद्र भाषा के इसी मुद्दे के संबंध में सभी राज्यों को नोटिस जारी किए गए थे और मामला अभी लंबित है।

    चीफ जस्टिस ने कहा,

    "हम इस मामले में भी यही आदेश पारित करेंगे।"

    अश्विनी कुमार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में सभी राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि जब भी कोई भाषण या कोई ऐसी कार्रवाई हो, जो भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153ए, 153बी, 295ए और 506 आदि जैसे अपराधों को आकर्षित करती हो तो बिना कोई शिकायत दर्ज किए, स्वतः संज्ञान लेकर मामले दर्ज किए जाएं और अपराधियों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाए।

    पंजाब निवासी राज कुमार द्वारा दायर जनहित याचिका में भारत संघ और समाचार प्रसारण एवं डिजिटल मानक प्राधिकरण को न्यूज़ चैनलों पर कथित रूप से घृणा और वैमनस्य भड़काने वाली सांप्रदायिक सामग्री पर अंकुश लगाने के निर्देश देने की मांग की गई।

    याचिकाकर्ता ने आग्रह किया कि अधिकारी देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने की रक्षा और संरक्षण के लिए कानून के प्रासंगिक प्रावधानों का उपयोग करें, या यदि आवश्यक हो तो आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग करें।

    उन्होंने प्रतिवादियों से न्यूज़ चैनलों को ऐसी बहस आयोजित करने से रोकने में उनकी कथित विफलता या निष्क्रियता के लिए स्पष्टीकरण मांगा और चैनलों तथा एंकरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बार-बार व्यक्त की गई चिंताओं और अधिकारियों द्वारा जारी की गई सलाह के बावजूद, अपने प्रसारण में एकतरफा, विभाजनकारी सामग्री के माध्यम से सांप्रदायिक दरार को बढ़ावा देना जारी रखा।

    Title: Ram Kumar v. UOI & Ors.

    Next Story