पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एडिडास इंडिया मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड और उसके दो लीगल ऑफिसर को यौन शोषण मामले में जाली दस्तावेज पेश करने की कर्मचारी की शिकायत पर नोटिस जारी किया

Shahadat

7 Dec 2022 7:54 AM GMT

  • पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एडिडास इंडिया मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड और उसके दो लीगल ऑफिसर को यौन शोषण मामले में जाली दस्तावेज पेश करने की कर्मचारी की शिकायत पर नोटिस जारी किया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में एडिडास इंडिया मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड और उसके दो लीगल ऑफिसर को पूर्व कर्मचारी द्वारा दायर शिकायत पर नोटिस जारी किया। इस शिकायत में आरोप लगाया गया कि कंपनी और उसके ऑफिसर ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संबंधित अदालती कार्यवाही में जाली दस्तावेज़ पेश किए।

    जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह और जस्टिस विक्रम अग्रवाल की खंडपीठ ने एडिडास इंडिया के इन-हाउस वकील के रूप में काम करने वाली महिला द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के तहत दायर आवेदन पर नोटिस जारी किया।

    उसने आरोप लगाया कि कार्यस्थल पर उसके सीनियर सहकर्मी ने उसका यौन उत्पीड़न किया। उसने आगे आरोप लगाया कि अन्य सीनियर ऑफिसर ने उसके उत्पीड़क के साथ मिलकर उसकी शिकायत को आंतरिक शिकायत समिति को नहीं भेजा और उसके खिलाफ काउंटर कंप्लेंट की गई। उसने आरोप लगाया कि उसे कंपनी से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया और उसे 2019 में स्थानीय समिति, गुरुग्राम के समक्ष शिकायत करने के लिए विवश किया गया।

    स्थानीय समिति द्वारा जारी नोटिस को चुनौती देते हुए एडिडास और उसके अधिकारियों ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कार्यवाही रद्द करने की मांग की। रिट याचिकाओं में कुछ दस्तावेज पेश किए गए, जिसमें कहा गया कि आरोपियों को आंतरिक जांच के साथ-साथ पुलिस जांच में भी क्लीन चिट दे दी गई।

    हालांकि, महिला ने उन दस्तावेजों की विश्वसनीयता पर विवाद किया और तर्क दिया कि ये जाली और मनगढ़ंत थे। उसने एकल पीठ के समक्ष झूठी गवाही का आवेदन भी दायर किया।

    जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल की एकल पीठ ने 22 मार्च, 2021 को रिट याचिकाओं की अनुमति दी और स्थानीय समिति द्वारा जारी किए गए नोटिसों को इस कारण से रद्द कर दिया कि शिकायत POSH अधिनियम 2013 के तहत निर्धारित समय सीमा के भीतर दर्ज नहीं की गई। एकल पीठ झूठी गवाही के आवेदन पर भी विचार नहीं किया।

    झूठी गवाही के आवेदन को लेने के लिए एकल पीठ के इनकार को चुनौती देते हुए महिला ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की। उसने कंपनी और उसके ऑफिसर द्वारा दायर रिट याचिकाओं को अनुमति देने वाले एकल पीठ के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष लेटर्स पेटेंट अपील भी दायर की।

    सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त, 2022 को महिला को हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष झूठी गवाही के लिए नया आवेदन दायर करने की अनुमति दी, जो उसकी अपील पर विचार कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के आवेदन पर कानून के अनुसार विचार करने के लिए डिवीजन बेंच के लिए खुला होगा।

    हाईकोर्ट द्वारा दी गई स्वतंत्रता के अनुसार, उसने खंडपीठ के समक्ष सीआरपीसी की धारा 340 के तहत नया आवेदन दायर किया। खंडपीठ ने अपील पर विचार करते हुए झूठी गवाही की शिकायत पर प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया।

    इस मामले को अपील के साथ 30 जनवरी, 2023 तक के लिए पोस्ट किया गया।

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