पति की संपत्ति न होने पर स्थायी गुजारा भत्ता और भरण-पोषण का फरमान लागू नहीं किया जा सकता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
Shahadat
13 Aug 2022 11:00 AM IST

Punjab & Haryana High court
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में डिक्री धारक-पत्नी की निष्पादन याचिका खारिज करने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। निचली ने उक्त पत्नी की याचिका को इस तथ्य के आधार पर खारिज कर दिया कि वह निर्णय-देनदार/पति के स्वामित्व वाली संपत्तियों या संपत्तियों को रिकॉर्ड में नहीं ला सकती।
न्यायालय ने कहा कि पति उन संपत्तियों का मालिक नहीं है जिनकी सूची निष्पादन न्यायालय को प्रस्तुत की गई है, इसलिए इसे अटैच नहीं किया जा सकता।
जस्टिस अलका सरीन की पीठ ने आगे कहा कि इस न्यायालय के समक्ष भी डिक्री धारक/पत्नी के वकील कुछ भी ऐसा नहीं दिखा पाए, जो संपत्ति के स्वामित्व को उसके पति से जोड़ता हो।
अदालत ऐसे मामले से निपट रही थी जहां दोनों पक्षों ने तलाक ले लिया। अदालत ने पत्नी को स्थायी गुजारा भत्ता और 60 लाख रुपये का भरण-पोषण देने का आदेश दिया। पत्नी ने इसकी वसूली के लिए एग्जीक्यूशन अर्जी दाखिल की और पति की संपत्ति कुर्क करने के लिए एग्जीक्यूशन अटैचमेंट भेजा। इसके बाद, तीसरे पक्ष की आपत्तियां दायर की गईं, जिसमें कहा गया कि संपत्ति पति के स्वामित्व में नहीं है। इस वजह से कोर्ट ने निष्पादन याचिका को असंतुष्ट बताते हुए खारिज कर दिया।
वर्तमान मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद अदालत ने कहा कि पति यूनाइटेड किंगडम में रहता है। उपलब्ध रिकॉर्ड से भारत में उसके नाम पर कोई संपत्ति नहीं है।
इसने टिप्पणी की कि डिक्री धारक के कष्ट उसके पक्ष में डिक्री प्राप्त करने के बाद शुरू होते हैं। वर्तमान मामले में पत्नी को अभी भी 2014 में दिए गए स्थायी गुजारा भत्ता और भरण-पोषण की वसूली करनी है। अदालत ने कहा कि वह उसके लिए सहानुभूति रख सकती है। लेकिन यह बलाचौर या परिवार न्यायालय, पंचकुला में सिविल कोर्ट के फैसले में कोई अवैधता नहीं पाता।
अदालत ने उसके पास प्रासंगिक विवरण उपलब्ध होने के बाद नई निष्पादन याचिका के साथ न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता के साथ पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल: मेघा राणा बनाम कंवर समीरो
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